राष्ट्र निर्माण के लिए प्रतिबद्ध आईआईएम इंदौर ने 23 जनवरी, 2025 को अपने सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस अन्वेषण के तहत अपने लीडरशिप एक्सीलेंस प्रोग्राम के नौंवे बैच का समापन किया। भारत सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के सहयोग से यह परिवर्तनकारी पहल, स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के तहत एक स्वच्छ, स्वस्थ और अधिक टिकाऊ भारत बनाने के लिए संस्थान के समर्पण को दर्शाती है।
अन्वेषण के अंतर्गत आईआईएम इंदौर देश भर के वरिष्ठ अधिकारियों को प्रशिक्षित करता रहा है। उन्हें शहरी शासन, अपशिष्ट प्रबंधन और स्थिरता में कौशल विकास करने के उद्देश्य से अत्याधुनिक ज्ञान और नवीन उपकरणों से लैस कर रहा है। प्रोग्राम नगरपालिका के प्रमुखों, स्थानीय सरकारी अधिकारियों और उद्योग विशेषज्ञों को विचारों का आदान-प्रदान करने, ज्ञान साझा करने और रणनीतिक और टिकाऊ समाधानों के साथ अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए सशक्त बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। इस कार्यक्रम में नौ राज्यों – कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, सिक्किम, महाराष्ट्र, राजस्थान, अरुणाचल प्रदेश, चंडीगढ़ और केरल के कुल 39 वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।
इस अवसर पर प्रो. राय ने अभिनव शिक्षा और सहयोग के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के संस्थान के दर्शन पर प्रकाश डाला। अन्वेषण के मिशन के महत्व पर विचार करते हुए, प्रो. राय ने कहा, “आईआईएम इंदौर में, हम केवल उत्कृष्ट नेतृत्व पर ही केन्द्रित नहीं हैं। हम ऐसे लीडरों और प्रबंधकों को तैयार करते हैं जो शहरी भारत को नया रूप दे कर फिर से परिभाषित करेंगे। अन्वेषण राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के साथ अकादमिक उत्कृष्टता को संरेखित करने की हमारी प्रतिबद्धता का उदाहरण है। शहरी एवं आवास मंत्रालय के साथ मिलकर, हम स्वच्छ, स्वस्थ शहरों का निर्माण करने ने लिए तैयार हैं जो हमें एक उज्जवल भविष्य की ओर ले जाएंगे।” उन्होंने सामाजिक रूप से जागरूक प्रबंधकों को तैयार करने और शहरी बुनियादी ढांचे सहित भारत की कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियों से निपटने के लिए आईआईएम इंदौर के मिशन को रेखांकित किया। उन्होंने शिक्षा और जागरूकता की परिवर्तनकारी भूमिका को रेखांकित करते हुए बताया कि सच्ची शिक्षा व्यक्तियों को जिम्मेदारी से बचने की मानसिकता से मुक्त करती है, जिससे यह बदलाव का सबसे शक्तिशाली साधन बन जाता है। उन्होंने जनभागीदारी (सामुदायिक भागीदारी) और सकारात्मक सुदृढीकरण के माध्यम से प्राप्त की गई देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की सफलता की सराहना की। उन्होंने बताया कि जनभागीदारी से ही इंदौर ने स्वच्छ और स्वस्थ भारत के लिए एक मिसाल कायम की। उन्होंने कहा, “प्रमुखों और लीडरों के रूप में आपके पास राष्ट्र के भविष्य को आकार देने की शक्ति है।” उन्होंने प्रतिभागियों से शिक्षा, जागरूकता और समुदाय-संचालित परिवर्तन के माध्यम से स्वच्छ भारत के इस मिशन को मूर्त रूप देने का आग्रह किया।
प्रो. सुबिन सुधीर, एसोसिएट डीन – एग्जीक्यूटिव एजुकेशन ने आईआईएम इंदौर की राष्ट्र निर्माण के प्रति प्रतिबद्धता और अन्वेषण के माध्यम से स्वच्छ भारत में योगदान देने पर जोर दिया। उन्होंने खुली चर्चाओं को प्रोत्साहित किया, प्रतिभागियों से सहयोग करने और विभिन्न राज्यों के साथियों से सीखने का आग्रह किया, ताकि इस परिवर्तनकारी अनुभव का अधिकतम लाभ उठाया जा सके।
प्रो. गणेश कुमार ने उल्लेख किया कि यह कार्यक्रम शहरी शासन की महत्वपूर्ण चुनौतियों को संबोधित करने के लिए तैयार किया गया एक पाठ्यक्रम प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि चार दिनों के दौरान, प्रतिभागियों को उद्योग प्रमुखों, अनुभवी शिक्षाविदों और नीति निर्माताओं के साथ जुड़ने का मौका मिला, जिसमें अपशिष्ट प्रबंधन, सार्वजनिक खरीद, व्यवहार परिवर्तन और परियोजना प्रबंधन जैसे विषयों पर गहन चर्चा की गई।
कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिभागियों को इंदौर नगर निगम (IMC) का दौरा करने का भी अवसर मिला। प्रतिभागियों ने इंदौर को लगातार सात वर्षों तक भारत का सबसे स्वच्छ शहर बनाने वाली सर्वोत्तम प्रथाओं का प्रत्यक्ष अवलोकन किया। इस यात्रा में इंदौर के अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छता की सफलता की कहानियों में शामिल अन्य प्रमुख कर्मियों के साथ विस्तृत चर्चाएँ शामिल थीं।
कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने अपशिष्ट प्रबंधन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं पर अपने ज्ञान को साझा किया। विषयों में एकीकृत ठोस अपशिष्ट प्रबंधन, व्यावहारिक समाधानों के साथ अभिनव प्रथाओं को संयोजित करने वाले समग्र दृष्टिकोण की पेशकश; अक्षय ऊर्जा में हालिया प्रगति, बायोगैस और संपीड़ित बायोगैस मॉडल पर ध्यान केंद्रित करना; अपशिष्ट और लैंडफिल का उपचार करना शामिल थे। सार्वजनिक व्यवहार को प्रभावित करने और समुदाय द्वारा संचालित अपशिष्ट न्यूनीकरण पहलों को बढ़ावा देने के लिए अपशिष्ट प्रबंधन को व्यापक जलवायु लक्ष्यों और रणनीतियों से जोड़ने वाले ढाँचों पर भी चर्चा की गई। शुष्क अपशिष्ट प्रबंधन, प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन और विस्तारित उत्पादक उत्तरदायित्व (EPR) को अनुकूलित करने, डोर-टू-डोर अपशिष्ट संग्रह प्रणालियों को बेहतर बनाने के तरीके और उन्नत अपशिष्ट प्रबंधन तकनीकों पर सत्र भी हुए ।
कार्यक्रम के दौरान, अधिकारियों को अपशिष्ट को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित करने, टिकाऊ समाधानों को एकीकृत करने और अपशिष्ट में कमी लाने में सार्वजनिक भागीदारी को बढ़ावा देने के बारे में व्यावहारिक जानकारी प्राप्त हुई। समग्र नेतृत्व के महत्व को पहचानते हुए, कार्यक्रम में प्रतिभागियों के बीच जागरूकता और स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए दैनिक योग सत्र भी शामिल थे।
शहरी एवं आवास मंत्रालय के साथ साझेदारी में और स्वच्छ भारत मिशन (शहरी) 2.0 के तहत, आईआईएम इंदौर का सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस अन्वेषण अकादमिक अंतर्दृष्टि और वास्तविक दुनिया के अनुप्रयोगों में सामंजस्य बनाए रखता है। प्रभावी सहयोग, क्षमताओं को बढ़ाने और नवाचार की भावना को प्रेरित करने के माध्यम से, अन्वेषण एक स्वच्छ, हरित और अधिक टिकाऊ भारत के निर्माण के लिए समर्पित है।