स्वतंत्र समय, इंदौर
मानव दुर्व्यापार संबंधी अपराधों की रोकथाम एवं बालक/बालिकाओं के गुमशुदा अपरहण के प्रकरणों में पुलिस की कार्यप्रणाली को और बेहतर बनानें हेतु इंदौर पुलिस के साथ मिलकर, ढ्ढढ्ढरू इन्दौर द्वारा घर से गुम या गायब होने वाले बालक बालिकाओं के प्रकरणों में, विस्तृत रूप से विश्लेषण कर रिसर्च हेतु विगत 5 जुलाई 2023 को एक एमओयू साईन किया गया था, जिसकी विस्तृत रिसर्च रिपोर्ट ३ फरवरी को पलासिया स्थित कार्यालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में आईआईएम इन्दौर के निदेशक हिमांशु राय द्वारा द्वारा पुलिस आयुक्त नगरीय इन्दौर मकरंद देऊस्कर को प्रस्तुत की गयी। पुलिस कमिश्नर इन्दौर मकरंद देऊस्कर और आईआईएम इन्दौर डायरेक्टर हिमांशु राय के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में, पुलिस उपायुक्त ज़ोन-1 इंदौर आदित्य मिश्रा, पुलिस उपायुक्त ज़ोन-3/(आसू./सुरक्षा) इंदौर हंसराज सिंह, पुलिस उपायुक्त ज़ोन-4 इंदौर राजेश कुमार सिंह, पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) जगदीश डावर, अति पुलिस उपायुक्त (मुख्यालय) श्रीमती सीमा अलावा, ढ्ढढ्ढरू रिसर्च टीम के नवीन कृष्णा राय, सुश्री श्रुति तिवारी, सुश्री शिवानी शर्मा, सहित सहायक पुलिस आयुक्त (महिला सुरक्षा मुख्यालय) श्रीमती अपूर्वा किलेदार, रक्षित निरीक्षक दीपक कुमार पाटिल, महिला थाना प्रभारी श्रीमती प्रिती तिवारी, विभिन्न सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी, महिला थाना व महिला सुरक्षा शाखा का स्टाफ, शहर के विभिन्न थानों में पदस्थ ऊर्जा डेस्क प्रभारी तथा अन्य पुलिस अधिकारी/कर्मचारीगण उपस्थित रहें। कार्यक्रम की शुरूआत करतें हुए अति पुलिस उपायुक्त मुख्यालय द्वारा कार्यक्रम मे उपस्थित अतिथिगणों एवं अधिकारियों का परिचय और स्वागत उदबोधन दिया गया।
कार्यक्रम के अतिथि आईआईएम इन्दौर के डायरेक्टर हिमांशु राय द्वारा उक्त रिसर्च रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए सर्वप्रथम पुलिस कमिश्नर इंदौर और उनकी टीम को धन्यवाद दिया गया कि, उनके ही विशेष रूचि लेने के कारण आईआईएम को समाज के इस मुख्य पहलू पर काम करने का मौका मिला, जिसे आईआईएम इंदौर ने एक प्रोजेक्ट के रूप में न लेते हुए एक मिशन के रूप में लिया। वर्तमान समय में गुम होने घर छोडक़र चले जाने के मामलें अधिक संख्या में देखनें में आ रहें हैं। आईआईएम इंदौर की टीम ने इस पर विगत पांच वर्ष के डेटा के आधार पर विभिन्न मामलों के 70 से ज्यादा केस को स्टडी किया। इनमें पुलिस के विवेचना अधिकारियों तथा सामाजिक संस्थाओं से मिलकर चर्चा की तथा प्रकरणों के पीडि़त उनके परिजनों से, 49 विभिन्न पाइंट पर इंटरव्यू लियें, इस प्रकार उनकी टीम ने विस्तृत रूप से रिसर्च करीं कि, किस वर्ग व आयु के बालक/बालिका इसमें जा रहें है और वह किन क्षेत्रों से है तथा इनके घर से जाने या अपहरण के क्या आंतरिक और बाहरी कारण हैं।
उक्त रिसर्च के आधार पर उनकी टीम ने पाया कि इस प्रकार के मामलों में लड़कियों की संख्या लगभग 75 प्रतिशत है और वह भी अधिकतर 13 से 17 वर्ष की आयुवर्ग की और शहर के आर्थिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों की बस्तियों/मोहल्लों आदि से है तथा इस प्रकार के मामलों के हॉट स्पाट नगरीय क्षेत्र के पांच थाना क्षेत्रों चंदन नगर, आजाद नगर, द्वारकापुरी, लसूडिय़ा, भंवरकुआं में पायें गयें। और ये लड़किया जिनके साथ जा रही है या अपहरण करके ले जाई जा रही है उनमें भी अधिकतर 18 से 23 वर्ष के युवा निकलकर आएं तथा इनमें भी ज्यादातर मामलों में या तो वह इन लड़कियों के परिचित/रिश्तेदार अथवा आस-पड़ोस के ही निकलें। इस रिसर्च में एक तथ्य यह भी निकल कर आया कि इनमें ये बाहर की चकाचैंध नहीं बल्कि इनके घर की आपसी समस्यों के कारण ही ये उन्होंनें ये कदम उठाया है। इनमें से 43 प्रतिशत लड़किया दस्तयाब के बाद भी घर वापस जाना नहीं चाहती है और वह अपने कदम को गलत भी नहीं मानती है।
आईआईएम इंदौर द्वारा रिसर्च के आधार पर इस प्रकार के प्रकरणों के निराकरण हेतु एक मॉडल केस डायरी बनाई है तथा कुछ महत्वपूर्ण प्रकार के प्रकरणों के सैम्पल केस स्टडी भी तैयार की है और इसमें कार्यप्रणाली के बेहतर क्रियान्वयन के लिये एक ट्रेनिंग माड्यूल भी बनाया है जिसकों पुलिस अपनी कार्यप्रणाली में उसे शामिल करती है तो, निश्चय ही इस प्रकार के प्रकरणों के निराकरण में सहायता मिलेगीं। पुलिस कमिश्नर इंदौर श्री मकरंद देऊस्कर द्वारा इस शोध के लिए आईआईएम इन्दौर एवं उनकी टीम को धन्यवाद दिया एवं कहा कि आपने जो विस्तृत रिसर्च की है, निश्चित ही उनकेे आधार पर कार्यवाही करने के अच्छे परिणाम प्राप्त होगें। उन्होनें विश्वास दिलाया कि, इंदौर पुलिस उक्त शोध रिपोर्ट का विस्तृत रूप से अध्ययन कर, इनकों अपनी कार्यप्रणाली में शामिल कर, इस प्रकार के प्रकरणों में कमी लाने का अपनी ओर से पूरा प्रयास करेगी। साथ ही समाज के अन्य लोगों की भी इसमें सहभागिता हेतु कार्य करने की बात पर जोर देते हुए, शोध में जो जागरूकता की बात की गई है, उस पर इंदौर पुलिस लगातार कार्य कर रही है, उन्होनें इस संबंध में इंदौर पुलिस द्वारा चलाएं जा रहे विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों, सृजन, सायबर पाठशाला, नशामुक्ति अभियान, घर छोडक़र न जाओं अभियान आदि के संबंध में भी बताया।
उन्होंने उपस्थित पुलिस अधिकारियों से भी उक्त रिसर्च रिपोर्ट का अध्ययन कर अपना फीडबैक देनें व इसमें बताएं गये सुझावों व मॉडल केस स्टडी व ट्रेनिंग माड्यूल अनुसार कार्यवाही हेतु आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए। और कहा कि यदि हम सभी मिलकर काम करेंगें तो इसके निश्चित ही अच्छे परिणाम होंगे और हम किसी के गुमशुदा ना होने के लिए प्रयास कर लोगों के चेहरे की मुस्कान बरकरार रख पाएंगे। कार्यक्रम के अंत में अति पुलिस उपायुक्त मुख्यालय द्वारा कार्यक्रम मे पधारें सभी अतिथिगणों को धन्यवाद देते हुए कार्यक्रम के सफल आयोजन पर सभी का आभार व्यक्त किया गया।
रिसर्च के आधार पर दिए सुझाव
- आईआईएम डायरेक्टर ने बताया कि उक्त रिसर्च के आधार पर कुछ सुझाव भी दिये हैं, जिसके माध्यम से हम समाज हित में इस प्रकार के मामलों के बेहतर निदान हेतु प्रयास कर सकते हैं-
- इस प्रकार के गुमशुदा/अपहरण क प्रकरणों हेतु एक केन्द्रीय प्रणाली हो जो लगातार आपस में समन्वय स्थापित करें तथा गुमशुदा के दस्तयाबी के लिये भी परिवहन और जो भी संसाधन लगें उसकी उचित व्यवस्था करें।
- विभाग में एक पुरस्कार आधारित प्रोत्साहन प्रणाली होना चाहिए, जिसमें इस प्रकार के प्रकरणों में रिकार्ड समय में अच्छा काम करने वाले पुलिस अधिकारियों को उचित पारितोषिक मिलें, जिससें अन्य पुलिसकर्मी भी प्रोत्साहित होगें तथा इस प्रकार के प्रकरणों के जल्द निराकरण व इनमें कमी लाने में भी सहायता मिलेगीं।
- किशोर वर्ग के प्रकरणों के निराकरण हेतु विशेष टीमें बनाई जाएं जो, इस प्रकार के प्रकरणों में किस प्रकार बेहतर कार्यवाहीं की जाएं इसके लिये विवेचना अधिकारियों को प्रशिक्षित करें।
- इन्र्फमेशन, एज्यूकेशन व कम्यूनिकेशन की थ्योरी पर काम करते हुए, इन प्रकरणों में कमी लाने हेतु लगातार चिन्हित इलाकों में जाकर लोगों को इन अपराधों के संबंध में जानकारी दी जाएं उन्हें इस संबंध में जागरूक किया जाएं और लगातार उनसे आपसी संवाद स्थापित कर, इस प्रकार के प्रकरणों में किस प्रकार कमी आ सके इसके लिये अन्य विभागों व समाज से जुडक़र हरसंभव प्रयास कियें जाएं।