IIT Indore का अविष्कार… आंखों की सेफ्टी के लिए अब स्पेशल गॉगल

स्वतंत्र समय, इंदौर

आईआईटी ( IIT ) कॉलेज इंदौर ने गर्मी के मौसम में आंखों को विशेष ठंडक और सुरक्षा के लिए स्पेशल हॉइटेक तकनीक का नया अविष्कार किया है। इस नई तकनीक से, ग्लोबल वार्मिंग और गर्मीयो के मौसम के अलावा तेज धूप के दौरान यह स्पेशल गॉगल यानी विशेष चश्मा पहनने वालों को बड़ी राहत मिलेगी। आईआईटी इंदौर की यह गॉगल तकनीक खाड़ी देशों से लेकर रेगिस्तान वाले इलाकों और गर्म प्रदेश सहित देशों में धूम मचा सकती है। नया अविष्कार करने वाली आईआईटी की वैज्ञानिक टीम ने बताया कि जब पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग यानी वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी के चलते तमाम परेशानियों और कई प्रकार की चिंताओं से घिरी हुई है। गर्मी से निपटने के लिए सारी दुनिया अलग-अलग तरीके खोज रही है और ग्लोबल वार्मिंग से बचने के प्रयास किए जा रहे हैं, तब आईआईटी इंदौर के शोधकर्ताओं की ओर से बड़ी राहत देने वाली खबर आई है।

IIT की भौतिकी विभाग की वैज्ञानिक टीम का कमाल

आईआईटी ( IIT ) इंदौर में भौतिकी विभाग के प्रोफेसर राजेश कुमार के नेतृत्व में टीम ने एक नए प्रकार के फ्लेक्सबल चश्मे का प्रोटोटाइप विकसित किया है, जो गर्मी को रोकने और आँखों को ठंडक प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। ये नए चश्मे इलेक्ट्रोक्रोमिक कलर मॉड्यूलेशन टेक्निक सिस्टम का उपयोग करके इंफ्रारेड हीट को फि़ल्टर कर सकते हैं, जो उन्हें छोटे विद्युत प्रवाह की प्रतिक्रिया में अपनी गर्मी-अवरोधक क्षमता को समायोजित करने की अनुमति देता है। विशेष सामग्रियों को एकीकृत करके, यह उपकरण मात्र एक सेकेण्ड में अपना मोड बदल सकता है, जिससे यह अपनी तरह का सबसे तेज उपकरण बन जाता है।

लगभग 15 फीसदी गर्मी रोकने में कामयाब

इस चश्मे की अनूठी संरचना में टंगस्टन चाल्कोजेनाइड और ऑक्साइड सहित कई सामग्रियों का मिश्रण शामिल है, जो इलेक्ट्रोक्रोमिक सक्रिय सामग्रियों के साथ संयुक्त है। यह संयोजन डिवाइस को चालू होने पर 15प्रतिशत से अधिक गर्मी को रोकने देता है और एक ठंडा तापमान बनाए रखता है, जिसमें चश्मे की सतह के दोनों किनारों के बीच 6डिग्री सेंटीग्रेड का अंतर होता है। यह न केवल चश्मे को ठंडा करने के लिए प्रभावी बनाता है बल्कि पहनने वाले के आराम को भी बढ़ाता है। लेंस नीले और मैजेंटा के बीच रंग बदलता है, जिससे इसकी सक्रिय ऊष्मा-फि़ल्टरिंग अवस्था का क्लियर सिग्नल मिलता है।

दुनिया के लिए माइल स्टोन साबित होगी

गर्मी को रोकने के अलावा, यह चश्मा 60 प्रतिशत तक के ऑप्टिकल मॉड्यूलेशन के साथ लाइट कंट्रोल यानी प्रकाश नियंत्रण का एक महत्वपूर्ण स्तर दिखाता है। प्रोटोटाइप इतना लचीला है और इसे मोड़ा या घुमाया भी जा सकता है, । इस वजह से यह हर परिस्थितियो में काम आ सकता है ।जहाँ हीट आइसोलेशन की आवश्यकता होती है। आई आई टी वैज्ञानिकों के अनुसार यह सफलता आँखों की देखभाल के लिए दुनिया मे जारी नई रिसर्च के लिए यह खोज एक मील का पत्थर साबित होगी ।
आर्मी और रेगिस्तानी इलाकों में काम करने वालों के लिए अहम अविष्कार
आई आई टी प्रोफेसर राजेश ने कहा, यह तकनीक अत्यधिक गर्मी की परिस्थितियों में काम करने वाले लोगों के लिए बहुत उपयोगी होगी, खासकर ऐसे क्षेत्रों में काम करने वाली हमारी सेना और मरुस्थल में काम करने वाले कर्मियों के लिए किसी वरदान से कम नही होगी ।

3डी फिल्में देखने के भी काम आएंगे चश्मे

डिज़ाइन में थोड़े से बदलाव के साथ उसी तकनीक का इस्तेमाल 3डी सिनेमा देखने के लिए चश्मे बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने आगे बताया कि उनकी शोध टीम में 50 प्रतिशत महिला वैज्ञानिक हैं, भूमिका साहू, अंजलि घनघस, निकिता, डॉ. समेरा इवातुरी, डॉ. सुचिता कांडपाल और अन्य टीम के साथी लव बंसल, देब रथ, डॉ. सुबिन के.सी. और डॉ. रवि भाटिया।