दिल्ली में प्रदुषण से जो कोहरा छा जाता है इससे बचने के लिए इस बार दिल्ली सरकार प्रदुषण रोकने के लिए कृत्रिम वर्षा करा रही है। इसको लेकर दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर ने कृत्रिम वर्षा के ट्रायल के लिए समझौता किया गया है। केंद्र सरकार ने 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक की अनुमति दी है। मुख्यमंत्री ने प्रदूषण से निपटने के लिए इसे एक महत्वपूर्ण कदम बताया। परीक्षण उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में सुबह 7 से 9 बजे के बीच होंगे। यह परियोजना दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने में मदद करेगी।
प्रदूषण से जंग में कृत्रिम वर्षा के ट्रायल के लिए दिल्ली सरकार और आईआईटी कानपुर ने (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए है। यह समझौता केंद्र सरकार से एक अक्टूबर से 30 नवंबर तक के लिए ट्रायल की अनुमति मिलने के बाद किया गया है। इस अवसर पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा भी उपस्थित रहे।
ट्रायल के परिणाम करेगा आगे की दिशा तय
सीएम ने कहा कि प्रदूषण से निपटने के लिए उनकी सरकार “हर संभव मोर्चे” पर काम कर रही है। इसमें इलेक्ट्रिक परिवहन को बढ़ावा देने से लेकर स्माग के उत्सर्जन को कम करना शामिल है। उन्होंने कहा, “इस समझौता ज्ञापन से दो महीने के कृत्रिम वर्षा के ट्रायल का मार्ग प्रशस्त होगा, जो अक्टूबर और नवंबर में उपयुक्त दिनों पर विमानों का उपयोग करके किया जाएगा। इसके परिणाम हमें आगे की राह तय करने में मदद करेंगे। यह पहल ऐतिहासिक और दिल्ली के लिए लाभकारी साबित होगी।
13 एजेंसिंयों से समन्वय स्थापित
कृत्रिम वर्षा के ट्रायल को तेज़ी और सुरक्षित तरीके से शुरू करने के लिए दिल्ली सरकार ने 13 एजेंसियों से जुड़ी जटिल अनुमति प्रक्रिया का समन्वय किया। इसमें नागरिक उडडयन, रक्षा, गृह, पर्यावरण और एयरपोर्ट अथारिटीज़ समेत मौसम विभाग और ज़िला स्तर की मंजूरी शामिल रही। इस प्रयास में उड़ान सुरक्षा, साइट तैयारियां (उत्तर/उत्तर-पश्चिम इलाका, हिंडन एयर बेस आपरेशन) और ज़मीनी अनुपालन शामिल रहे। इसी से डीजीसीए अनुमति विंडो संभव हो सकी एवं अक्टूबर की शुरुआत में ट्रायल का रास्ता साफ हुआ।