जिम्मेदारों की मिलीभगत से जिले में कट रहीं अवैध कॉलोनियां, जिम्मेदार मौन

स्वतंत्र समय, शहडोल

जिले में अवैध प्लाटिंग व कालोनाइजिंग की होड़ लगी हुई है। चारो तरफ क ालोनियां बन रहीं हैं। अब तक ऐसी कई कालोनियां यहां खड़ी की जा चुकीं हैं। इनके आवास भी बिक जाते हैं। लेकिन कालोनी के निर्माण और आवासों की गुणवत्ता की जाच पड़ताल नहीं होती। आवासों की दीवारों व छतों में साल दो साल में ही दरार पड़ जाती है। गैर लायसेंसी कालोनाइजरों की भीड़ बढ़ती जा रही है लेकिन प्रशासन न तो इनकी खोज खबर लेता न इन पर कभी कोई कार्रवाई होती है। यही कारण है कि इनके हौसले बुलंद रहते हैं और कालोनियां खड़ी कर दी जाती हैं। और तो और ग्रामपंचायत क्षेत्रों में भी कालोनियां बनाने की होड़ लग गई है। लेकिन आज तक प्रशासनिक अधिकारियों ने उसकी वैधानिकता की जांच नहीं की है। जबकि कालोनी बनाने वाले ने कई मामलों में नियमों का उल्लंघन किया है। अब तो कई कालोनियां ग्रामीण क्षेत्रों में खड़ी की जा रहीं हैं जिनका लाभ ग्रामपंचायतों को मिलना चाहिए लेकिन ग्राम पंचायतें भी उसके लाभ से वंचित हैं।

कर्मकार मण्डल को शुल्क नहीं

किसी भी बड़े निर्माण कार्य से पूर्व नियमतरू सन्निर्माण कर्मकार मण्डल को सूचित कर वहां शुल्क जमा करना पड़ता है। ताकि अगर निर्माण के दौरान घटना हो तो प्रभावितों की मदद की जा सके। लेकिन एप्पल सिटी के निर्माण के दौरान कर्मकार मण्डल को कोई शुल्क जमा नहीं किया गया है। यह एक गंभीर लापरवाही है। अगर जांच हो तो इसमें कालोनाइजर के विरुद्ध दण्डात्मक कार्रवाई भी हो सकती है। ऐसा नहीं है कि कालोनाइजर इन बातों को जानते नहीं है वे जानबूझ कर प्रावधानों का उल्लंघन करते हैं।
न विकास शुल्क न एनओसी: ग्रामपंचायत को कालोनाइजर ने विकास शुल्क का भुगतान नहीं किया है। बिना विकास शुल्क का भुगतान किए ग्राम पंचायत क्षेत्र में निर्माण कराना प्रावधान उल्लंघन के दायरे मेें आता है। कालोनाइजर ने इसका भी पालन करना और विकास शुल्क करना जरूरी नही समझा है। मु य बात यह है कि कालोनाइजर ने ग्राम पंचायत से अनुमति लेना और उसके प्रावधानों का पालन करना जरूरी ही नहीं समझा। इसीलिए उसके पास ग्रामपंचायत से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं मिला है। बिना पंचायत की एनओसी के ही निर्माण कार्य कराया गया है। कालोनी का निर्माण आज भी पंचायत के लिए आपत्तिजनक हो सकता है।

लाखों रुपए की क्षति

कालोनाइजर ने कर्मकार मण्डल व ग्रामपंचायतों के शुल्क दबाकर शासन को लाखों रुपए का चूना लगाया है। इसी तरह उसने कई अन्य व्यय भी नहीं किए हैं। कालोनी का निर्माण कराया लेकिन कालोनाइजिंग का लाइसेंस नहीं है। नियमविरुद्ध ढंग से कालोनी का निर्माण कराया गया है। यही नहीं शहर में और भी कई कालोनाइजर पनप रहे हैं जो केवल कालोनी बनवाकर मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन उनके पास वैधानिक अधिकार नहीं है। सब केवल चोरी कर रहे हैं।

मानक के अनुरूप सुविधा नहीं

कालोनी का निर्माण तो कराया गया लेकिन मानक के अनुरूप सुविधाएं नहीं दी गईं। पार्क का निर्माण, मनोरंजन के लिए मंच, पर्याप्त पक्की नालियों का निर्माण, पर्याप्त चौड़ाई वाली सडक़ों का निर्माण आदि कार्य अपूर्ण प्रतीत होते हैं। कालोनी की अगर सभी विन्दुओं पर जांच हो तो यह अवैध ही मानी जाएगी। लेकिन हैरानी तो इस बात की है कि यह प्रशासन को दिखाई नहीं पड़ रही है। केवल ग्रामपंचायत स्तर पर ही इसे लेकर कुछ हलचल सी दिखाई पड़ रही है।