सार्थक रही संस्था सार्थक की पहल

धार्मिक एवं सामाजिक जागरूकता को बढ़ावा देने के लिए भारतीय संस्कृति और अध्यात्म के संरक्षण हेतु कार्यरत संस्था “सार्थक” द्वारा लता मंगेशकर सभागृह में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद एवं प्रखर राष्ट्रवादी विचारक डॉ. सुधांशु त्रिवेदी ने “धर्म एवं सेवा का संगम महावीर” विषय पर विशेष व्याख्यान दिया। यह आयोजन महावीर जयंती और हनुमान जयंती की पावन संधि पर हुआ था और इसमें समाज के विभिन्न वर्गों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।

महावीर और हनुमान: दो युगों के समान आदर्श

डॉ. त्रिवेदी ने महावीर स्वामी और हनुमान जी के जीवन और उनके योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि दोनों महापुरुषों ने धर्म, सेवा, और त्याग के माध्यम से समाज को उच्च आदर्श दिए। महावीर स्वामी ने आत्मशुद्धि, अहिंसा और संयम के सिद्धांतों के माध्यम से लोक कल्याण का मार्ग दिखाया, वहीं हनुमान जी ने अपने जीवन को प्रभु सेवा, राष्ट्र रक्षा और धर्म स्थापना के लिए समर्पित किया। उन्होंने यह भी कहा कि धर्म केवल आत्मकल्याण तक सीमित नहीं है, बल्कि समाज और राष्ट्र के कल्याण के लिए कर्म में अभिव्यक्त होता है।

हनुमान जी की जीवनगाथा: शक्ति, सेवा और शुद्ध भक्ति

डॉ. त्रिवेदी ने हनुमान जी के जीवन को सेवा और भक्ति का सर्वोत्तम उदाहरण बताया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी का पराक्रम केवल शारीरिक बल में नहीं, बल्कि उनके अंतर्मन की श्रद्धा, निष्ठा और त्याग में था। हनुमान जी ने अपने जीवन को श्रीराम के चरणों में समर्पित कर यह संदेश दिया कि सेवा में अहंकार रहित समर्पण ही सच्चा धर्म होता है। उन्होंने आज के युवाओं को हनुमान जी के जीवन से प्रेरणा लेने की सलाह दी और कहा कि उनके जैसे कर्तव्यबोध, निष्ठा और निष्कलंक कर्म की आवश्यकता आज के समाज में है।

महावीर स्वामी की अहिंसा और हनुमान जी की निर्भीकता की आज के युग में आवश्यकता

डॉ. त्रिवेदी ने महावीर स्वामी की अहिंसा और आत्मसंयम की साधना और हनुमान जी की निर्भीकता और परमार्थ में कर्मशीलता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि ये दोनों गुण आज के समाज के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। महावीर और हनुमान दोनों ही अपने जीवन में धार्मिकता और राष्ट्रधर्म के आदर्श प्रस्तुत करते हैं, जिससे आज के समय में हमें प्रेरणा मिलनी चाहिए।

धर्म और राष्ट्रधर्म का संबंध

डॉ. त्रिवेदी ने यह भी कहा कि धर्म और राष्ट्रधर्म में कोई अंतर नहीं है। हनुमान जी ने सीता माता की खोज के लिए लंका में प्रवेश किया, यह केवल रामकाज नहीं था, बल्कि एक स्त्री के सम्मान, धर्म की रक्षा और असत्य के खिलाफ सत्य की घोषणा थी, जो राष्ट्रधर्म का आदर्श उदाहरण है। उन्होंने बताया कि आज के समाज में हमें भी धर्म और राष्ट्रधर्म के बीच की परिभाषाओं को समझने की आवश्यकता है।

वक्फ और मुसलमानों की स्थिति पर तीखा सवाल

कार्यक्रम के दौरान, डॉ. त्रिवेदी ने वक्फ की संपत्ति और मुसलमानों की स्थिति पर भी कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर मुसलमानों की स्थिति खराब थी, तो वक्फ की संपत्ति कैसे बढ़ी? उन्होंने यह भी पूछा कि जो लोग वक्फ के विरोध में हैं, वे गरीब मुसलमानों के पक्ष में क्यों नहीं बोलते? डॉ. त्रिवेदी ने यह भी जिक्र किया कि भारत में कई मुसलमान विद्वान हुए हैं, जिनका योगदान भारतीय समाज के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में दारा शिकोह जैसे शासक ने संस्कृत सीखी और उपनिषदों का अध्ययन किया।

अयोध्या में बढ़ते पर्यटकों की संख्या: बदलाव का प्रतीक

डॉ. त्रिवेदी ने 2024 में अयोध्या में पर्यटकों की बढ़ती संख्या को एक महत्वपूर्ण बदलाव के रूप में देखा। उन्होंने कहा कि यह पहला वर्ष था, जब अयोध्या में सबसे ज्यादा पर्यटक गए, जो कि भारतीय संस्कृति और राम के प्रति बढ़ती आस्था का प्रतीक है। उन्होंने यह भी रेखांकित किया कि पहले लोग ताजमहल जाने के लिए ज्यादा आकर्षित होते थे, लेकिन अब लोग अयोध्या की ओर बढ़ रहे हैं, जो एक सांस्कृतिक और धार्मिक बदलाव को दर्शाता है।

“सार्थक” का उद्देश्य: धर्म को जीवन से जोड़ना

संस्था “सार्थक” के प्रमुख दीपक जैन “टीनू” ने कार्यक्रम के उद्देश्य को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह आयोजन केवल एक बौद्धिक चिंतन नहीं था, बल्कि यह समाज में धर्म, सेवा और राष्ट्रधर्म की भूमिका को एक नई दृष्टि से प्रस्तुत करने का प्रयास था। उन्होंने बताया कि संस्था का उद्देश्य धर्म को सिर्फ आध्यात्मिक अभ्यास के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत, जागरूक और जनकल्याणकारी मार्ग के रूप में प्रस्तुत करना है।

समापन और आभार प्रदर्शन

कार्यक्रम का समापन वन्दे मातरम के सामूहिक गान के साथ हुआ। इस दौरान अयोध्या से मंगवाया गया रामलला का प्रसाद उपस्थित जनों को वितरित किया गया। कार्यक्रम में बालयोगी उमेशनाथ महाराज की अध्यक्षता में और केबिनेट मंत्री कैलाश विजयवर्गीय द्वारा संबोधित किया गया। समारोह में राज्यसभा सांसद कविता पाटीदार, महापौर पुष्यमित्र भार्गव, शंकर लालवानी, आशीष अग्रवाल, और कई अन्य गणमान्य अतिथि उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विकास दवे द्वारा किया गया, और अंकित रावल ने आभार व्यक्त किया। प्रसिद्ध कलाकार अजय मलमकर द्वारा भव्य मंच का निर्माण किया गया था, जो कार्यक्रम की भव्यता को और बढ़ा रहा था।