वाहन चालकों की चंद मिनट बचाने की जुगाड़ में दांव पर लग जाती जान, यहीं इंदौर ट्रैफिक जवान है मोबाइल में मस्त

शहर के व्यस्त चौराहों पर यह दृश्य आम देखने को मिलता है, जहां वाहन चालक चलते ट्रैफिक के बीच से अपना वाहन निकालने का प्रयास करते हैं। मात्र चंद सेकंड बचाने के लिए, इस तरह के जोखिम भरे प्रयास अक्सर बड़े हादसों का कारण बन जाते हैं,  जिससे न केवल वाहन क्षतिग्रस्त होते हैं, बल्कि कई बार जान-माल की हानि भी हो जाती है।

शहर में है कई ब्लैकस्पॉट
शहर में ट्रैफिक पुलिस की कई मुहिम के बाद भी शहर का ट्रैफिक सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। इसके पीछे कई कारण है जो शहर को व्यवस्थित नहीं होने दे रहै है।
कई चौराहों पर सार्वजनिक वाहनों के स्टाप भी शहर का ट्रैफिक बिगाड़ने का एक बड़ा कारण है जिसके उदाहरण मरीमाता चौराहा, स्टेशन रोड़ पलासिया सहित कई अन्य चौराहे पर देखा जा सकता है। जब ट्रैफिक जाम होता है तो सब इधर-उधऱ से शार्टकट की तलाश में लग जाते है जिसके चलते हादसे होते रहते है। यातायात पुलिस द्वारा लगातार समझाइश दिए जाने के बावजूद भी वाहन चालक नियमों की अनदेखी करते रहते हैं।

बिगड़ता ट्रैफिक और मोबाइल में व्यस्त पुलिस
शहर में सड़क हादसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। शहर में कई ऐसे ब्लैक स्पाट बन रहे है जहां वाहन में भिंडत होती है लेकिन इन चौराहो पर तैनात किए गए ट्रैफिक जवान आपको ट्रैफिक संभालने की बजाए मोबाइल में व्यस्त देखे जा सकते है। शहर के पोलोग्राउंड पर बने ब्लैक स्पाट पर कभी महिला पुलिस जवान या अन्य जो भी तैनात होता है। ऐसे ही 15 वी बटालियन पर तैनाता ट्रैफिक जवान और मरीमाता सहित रामचंद्र चौराहे सहित शहर कई चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस जवान ट्रैफिक नहीं संभालते बल्कि या तो गप्पे लगाते हुए दिखाई देते है या चौराहे पर मोबाइल में व्यस्त देखे जा सकते है।

वाहन चालकों को सुझाव
सड़क हादसों के बाद वाहन चालक गलती किसकी है और नुकसान की भरपाई कौन करेगा, इसे लेकर झगड़ा करते हैं। जो कई बार जानलेवा भी सिद्ध हो चुका है। यातायात विशेषज्ञ राजकुमार जैन का कहना है कि यदि हम अपने परिवार में यातायात नियम पालन को एक संस्कार के रूप में अपनाएं, तो इस तरह की घटनाओं को रोका जा सकता है। उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का पालन करना न केवल हमारी जिम्मेदारी है, बल्कि यह हमारे जीवन को भी सुरक्षित बनाता है।