इस रहस्मई मंदिर में हनुमानजी की नाभि से निकलता है चमत्कारी जल, लोगो को मिलती है रोगों से मुक्ति!

Jamsavli Hanuman Mandir : आज हम आपको बाल ब्रह्मचारी हनुमानजी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे है, जहां हनुमानजी की प्रतिमा पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में विराजमान है। यहां हनुमानजी की स्वयंभू प्रतिमा है।

केवल इतना ही नहीं यहां हनुमानजी की नाभि से लगातार जल की धारा बहती रहती है। हम बात कर रहे है जामसांवली हनुमान मंदिर की, जो कि मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में जामसांवली गांव में है। जो कि पांढूर्णा से करीब 25 किलोमीटर दूर है।

हनुमानजी की नाभि से निकलता है चमत्कारी जल 

मान्यता है कि हनुमानजी की नाभि से निकलने वाले जल को सभी भक्तो को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। खास बात ये है कि ये जलधारा कहां से आती है ये किसी को भी नहीं पता है। श्रद्धालु इस जल को प्रसाद के रुप में ग्रहण करते है। इस मंदिर की पौराणिक मान्यता है कि यहां हनुमान जी के दर्शन से लोगो को लाइइलाज और गंभीर बिमारियों से मुक्ति मिल जाती है।

जामसांवली हनुमाजी का ये पावन मंदिर एक प्राचीन मंदिर है। ये मंदिर लगभग 22 एकड़ भूमि पर बना है। वैसे तो रोजाना भक्त यहां हनुमानजी के दर्शन करने आते है, लेकिन मंगलवार और शनिवार के दिन भक्तो की संख्या बढ़ जाती है।

इसलिए विश्राम अवस्था में विराजमान है हनुमानजी….

सबसे खास बात है कि इस मंदिर में हनुमानजी पीपल के पेड़ के नीचे विश्राम अवस्था में विराजमान है। पौराणिक मान्यता है कि रामायण काल में जब राम-रावण युद्ध के दौरान लक्ष्मण घायल हो गए थे और तब हनुमानजी को संजीवनी बूटी लेने के लिए भेजा गया था। मान्यता है कि तब उस समय हनुमानजी ने लौटते समय यहां रूककर विश्राम किया था। इसलिए यहां हनुमानजी की लेटी हुई प्रतिमा विराजमान है। हनुमानजी की मुर्ति की लंबाई 18 फीट है और उनके सिर पर चांदी का मुकुट है।   
साथ ही ये भी मान्यता है कि जामसांवली हनुमानजी के प्रतिमा के नाभि से निकला जल बहुत चमत्कारी माना जाता है। इस जल में त्वता और मानसिक रोगो को ठीक करने की शक्ति होती है। यहां लोगो को कोई दवा या अन्य चिकित्सा सहायता नहीं दी जाती है, उन्हे केवल हनुमाजी की नाभि से निकला जल ही दिया जाता है। कहते है इस मंदिर में आने वाले बिमार लोग तब तक मंदिर परिसर में ही रहते है जब तक कि वे ठीक नहीं हो जाते।