इनकम टैक्स विभाग का मौका, नोटिस मिला है तो तुरंत करें सुधार

इनकम टैक्स विभाग ने हाल ही में टैक्सपेयर्स को भेजे गए ईमेल और नोटिस को लेकर स्थिति स्पष्ट की है। विभाग का कहना है कि ITR और वित्तीय लेन-देन में अंतर पाए जाने पर जो कम्युनिकेशन भेजा गया है, उसका मकसद न तो पेनल्टी लगाना है और न ही स्क्रूटनी की प्रक्रिया शुरू करना। यह पूरी तरह सलाहकारी यानी एडवाइजरी प्रकृति का कदम है, ताकि टैक्सपेयर्स समय रहते अपनी जानकारी की जांच कर सकें।

क्यों भेजे जा रहे हैं ईमेल और एसएमएस?

पिछले कुछ दिनों में बड़ी संख्या में टैक्सपेयर्स को ईमेल और एसएमएस मिले हैं, जिनमें उनके PAN से जुड़े हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन का जिक्र किया गया है। ये ऐसे लेन-देन हैं जो या तो ITR में दर्ज नहीं किए गए थे या फिर घोषित आय के मुकाबले काफी अधिक दिखाई दे रहे थे। इसी वजह से कई लोगों में भ्रम और चिंता की स्थिति बनी, जिस पर अब विभाग ने अपना पक्ष रखा है।

विभाग के पास पहले से मौजूद डेटा पर आधारित नोटिस

इनकम टैक्स विभाग ने साफ किया है कि भेजे गए सभी नोटिस और ईमेल पूरी तरह उस डेटा पर आधारित हैं, जो पहले से विभाग के रिकॉर्ड में मौजूद है। यह जानकारी बैंकों, म्यूचुअल फंड हाउस, रजिस्ट्रार और अन्य रिपोर्टिंग संस्थानों से मिलती है। विभाग का उद्देश्य सिर्फ यह बताना है कि इन ट्रांजैक्शन की जानकारी उसके पास उपलब्ध है और टैक्सपेयर्स को अपनी फाइलिंग एक बार फिर जांच लेनी चाहिए।

किन मामलों में भेजी गई एडवाइजरी?

CBDT के अनुसार, ये कम्युनिकेशन केवल उन्हीं मामलों में भेजे गए हैं, जहां ITR में किए गए खुलासों और थर्ड-पार्टी से मिले डेटा के बीच बड़ा अंतर पाया गया है। ऐसे मामलों में विभाग चाहता है कि टैक्सपेयर्स अपनी रिटर्न की समीक्षा करें। अगर किसी तरह की गलती या चूक हुई है तो उसे स्वेच्छा से सुधार लिया जाए, ताकि आगे कोई परेशानी न हो।

टैक्सपेयर्स के पास क्या विकल्प हैं?

टैक्सपेयर्स चाहें तो AIS की जांच कर सकते हैं और यदि किसी तरह की गलती नजर आती है तो संशोधित ITR फाइल कर सकते हैं। इसके अलावा, जिन्होंने अब तक रिटर्न दाखिल नहीं की है, वे लेट ITR भी भर सकते हैं। वहीं, अगर किसी टैक्सपेयर को लगता है कि उसकी फाइलिंग पूरी तरह सही है और कोई त्रुटि नहीं है, तो वह इस एडवाइजरी को नजरअंदाज भी कर सकता है।

31 दिसंबर 2025 तक मिलेगा सुधार का मौका

असेसमेंट ईयर 2025-26 के लिए संशोधित या लेट ITR फाइल करने की अंतिम तारीख 31 दिसंबर 2025 तय की गई है। हाल ही में हजारों टैक्सपेयर्स को ऐसे ईमेल भेजे गए हैं, जिनमें बैंक जमा, निवेश, दान और अन्य हाई-वैल्यू ट्रांजैक्शन ITR में शामिल न होने या घोषित आय से अधिक होने की बात सामने आई है।

डेटा आधारित निगरानी का हिस्सा है यह अभियान

इनकम टैक्स विभाग का यह कदम डेटा आधारित मॉनिटरिंग ड्राइव का हिस्सा है। इसमें AIS, SFT, TDS और TCS से प्राप्त जानकारी का इस्तेमाल किया जा रहा है। विभाग का उद्देश्य यह है कि टैक्सपेयर्स समय रहते अपनी गलतियां सुधार लें, जिससे भविष्य में किसी तरह की जांच, कार्रवाई या कानूनी परेशानी से बचा जा सके।