उम्मीद की किरण बना इंडेक्स हॉस्पिटल – तीन साल को सर्जरी से मिली नई जिंदगी!

छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर से आए तीन साल के मासूम की कहानी किसी चमत्कार से कम नहीं। जन्म से ही पीठ पर गांठ और बालों का गुच्छा लिए इस बच्चे की जिंदगी एक बड़ी चुनौती बन चुकी थी। धीरे-धीरे हालात इतने बिगड़ गए कि बच्चा चलने में भी असमर्थ हो गया। परिजनों ने देश के कई बड़े शहरों के चक्कर लगाए, लेकिन उम्मीद की किरण तब नजर आई जब उन्होंने इंदौर के इंडेक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल का दरवाजा खटखटाया।

कमर की हड्डी में था ट्यूमर
यहां के न्यूरो सर्जन डॉ. क्षितिज निगम और उनकी टीम ने न सिर्फ इस बच्चे की गंभीर स्थिति को पहचाना, बल्कि उसे जीवनदान भी दिया। बच्चे की रीढ़ की हड्डी में एक दुर्लभ जन्मजात विकृति – एराक्नॉइड सिस्ट विथ टेथर्ड कॉर्ड पाई गई। इसके साथ ही बालों का गुच्छा और एक 7 सेमी का ट्यूमर भी उसकी कमर की हड्डी में मौजूद था, जो उसकी नसों को दबा रहा था। यही वजह थी कि बच्चा चलने की कोशिश करता, तो सांस फूलने लगती।

6 घंटे चली सर्जरी
डॉक्टरों ने तत्काल सर्जरी का निर्णय लिया, क्योंकि समय रहते ऑपरेशन न करने पर बच्चा हमेशा के लिए लकवाग्रस्त हो सकता था। डॉ. साईं चंद, डॉ. एकता, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. राकेश गौतम और पूरी टीम ने मिलकर लगभग 6 घंटे तक चली बेहद जटिल सर्जरी को सफलता पूर्वक अंजाम दिया। सर्जरी के दौरान रीढ़ की हड्डी से बालों का गुच्छा और ट्यूमर को निकाल कर नसों से दबाव हटाया गया।

टीम वर्क ने कर दिया असंभव को संभव
डॉ. क्षितिज निगम बताते हैं, “यह बीमारी लाखों में किसी एक बच्चे को होती है। समय पर इलाज न हो तो यह जिंदगीभर के लिए अपंगता का कारण बन सकती है। लेकिन सही डायग्नोसिस और टीमवर्क ने हमें यह चमत्कार करने में सक्षम बनाया।
परिजनों में छाई खुशी जताया आभार
परिजनों ने आयुष्मान भारत योजना और हॉस्पिटल प्रशासन का आभार जताया। इंडेक्स ग्रुप के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया, डीन डॉ. जीएस पटेल, मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. स्वाति प्रशांत, और सीईओ बिजित दिवाकर ने सर्जिकल टीम की सराहना करते हुए इसे संस्था की बड़ी उपलब्धि बताया। इंडेक्स हॉस्पिटल के डाक्टरों की टीम ने यह साबित कर दिया कि जब संकल्प और समर्पण साथ हो, तो नामुमकिन कुछ भी नहीं।