भारत ने 2031 AFC एशियन कप के लिए बन सकता है मेजबान:

भारत में फुटबॉल प्रेमियों के लिए बड़ी खबर | ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) ने आधिकारिक रूप से एशिया के फुटबॉल टूर्नामेंट, AFC एशियन कप 2031 की मेजबानी के लिए अपनी दावेदारी पेश कर दी है। अगर भारत को यह मेज़बानी मिलती है, तो यह भारतीय इतिहास में पहली बार होगा की भारत को फुटबॉल टूर्नामेंट की मेजबानी करने का मौका मिलेगा | क्योंकि अब तक भारत ने कभी इस टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं की है। यह कदम खेल प्रेमियों के लिए उत्साह जगायेगा | AIFF के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल एम. सत्यनारायण ने इस दावेदारी की पुष्टि करते हुए बताया कि भारत इस मेगा इवेंट को होस्ट करने के लिए पूरी तरह तैयार है । हालांकि, इस दौड़ में भारत अकेला नहीं है। ऑस्ट्रेलिया, साउथ कोरिया, यूएई, इंडोनेशिया, कुवैत, और किर्गिस्तान-तजाकिस्तान-उज्बेकिस्तान की संयुक्त बोली जैसे कई ताकतवर दावेदार भी मैदान में हैं।

मेजबानी मिलने के फायदे?

अगर भारत को 2031 AFC एशियन कप की मेजबानी मिलती है, तो इसका प्रभाव केवल टूर्नामेंट तक सीमित नहीं रहेगा। सबसे पहले, भारत को इस प्रतियोगिता में खेलने के लिए सीधी एंट्री मिल जाएगी | और खिलाड़ियों को घरेलू माहौल में खेलने का मौका मिलेगा। इसके अलावा, फुटबॉल स्टेडियम, ट्रेनिंग सुविधाएं, और खेल से जुड़ी दूसरी व्यवस्थाओं में भारी सुधर होगा , जिससे मौजूदा टैलेंट को बढ़ावा मिलेगा| अब तक अगर भारत के AFC एशियन कप में प्रदर्शन की बात करें, तो 1964 में फाइनल तक पहुंचना एकमात्र बड़ी उपलब्धि रही है। उसके बाद 1984, 2011, 2019 और हाल ही में 2023 में भारत की टीम ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ पाई। इन आंकड़ों से साफ है कि भारतीय फुटबॉल को और मेहनत और सुधार की ज़रूरत है |

क्या मिल पायेगी भारत को मेजबानी ?

यह दावेदारी केवल एक टूर्नामेंट की मेजबानी नहीं, बल्कि भारत के दीर्घकालिक खेल विज़न का हिस्सा है। 2036 ओलंपिक की मेज़बानी की तैयारियों के तहत यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है। इसके अलावा, गुजरात ने 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए भी दावेदारी है, जो यह बताता है कि भारत अब केवल क्रिकेट पर डिपेंड नहीं रहना चाहता, बल्कि कई तरह के खेलों में खुद को एक मजबूत मेज़बान और प्रतिभागी के रूप में स्थापित करना चाहता है।2026 में AFC द्वारा मेज़बानी को लेकर अंतिम फैसला लिया जाएगा। तब तक भारत को न केवल अपनी तैयारियों को और बेहतर करना होगा, बल्कि एशियन फुटबॉल समुदाय को यह भरोसा भी दिलाना होगा कि वह इस आयोजन को संभाल सकता है—बुनियादी ढांचे से लेकर लॉजिस्टिक्स, फैन इंगेजमेंट से लेकर ब्रॉडकास्टिंग तक।सवाल यह है कि, क्या 2031 में हम अपने देश की ज़मीन पर एशिया की सर्वश्रेष्ठ फुटबॉल टीमों को खेलते हुए देख पाएंगे? इस सवाल का जवाब आने वाला वक्त देगा।