भारत का अरबों का टूरिज़्म सहयोग, फिर भी तुर्की-अज़रबैजान ने दिया पाकिस्तान का साथ, अब इन देशों को बताएं ‘ना’!”

पिछले कुछ वर्षों में भारत से तुर्की और अज़रबैजान की ओर पर्यटन का रुझान तेजी से बढ़ा है। वर्ष 2024 में 2.75 लाख भारतीय तुर्की और 2.5 लाख भारतीय अज़रबैजान की राजधानी बाकू घूमने गए। यह केवल संख्या नहीं, बल्कि इन देशों की अर्थव्यवस्था में भारत की बड़ी भूमिका को भी दर्शाता है।

1. 2022 से 2024 के बीच अज़रबैजान में भारतीय पर्यटकों की संख्या में 68% की वृद्धि हुई है, जहां औसतन हर भारतीय 4-6 दिन रुकता है। वहीं, तुर्की में यह अवधि 7-10 दिन तक रहती है।

2. अज़रबैजान की अर्थव्यवस्था में भारतीय पर्यटक सालाना 1,000 से 1,250 करोड़ रुपये का योगदान देते हैं।

3. तुर्की को इससे भी ज़्यादा – लगभग 2,900 से 3,350 करोड़ रुपये हर साल भारतीय टूरिज़्म से मिलते हैं।

4. एक औसत भारतीय विदेशी यात्रा पर 1-1.25 लाख रुपये खर्च करता है।

5. सोशल मीडिया, बॉलीवुड फिल्मों और बढ़ते मध्यम वर्ग (40 करोड़ लोग) ने तुर्की और अज़रबैजान को भारतीयों के लिए पसंदीदा बना दिया है।

इन दोनों देशों ने भारतीयों की सुविधा के लिए वीज़ा प्रक्रिया आसान की, और भारत से सीधी फ्लाइट्स भी बढ़ाई गईं। भारतीय पर्यटकों के कारण इन देशों में 20,000 से अधिक प्रत्यक्ष और 45,000 से 60,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार पैदा हुए। साथ ही, तुर्की में भारतीय निवेशों में पिछले 4 वर्षों में 35% की बढ़ोतरी दर्ज की गई – खासकर होटल, शॉपिंग, एंटरटेनमेंट और मेडिकल टूरिज्म में।

लेकिन ऑपरेशन सिन्दूर के बाद तुर्की और अज़रबैजान ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। उन्होंने पहलगाम आतंकी हमले पर भारत के विरुद्ध बयान दिया और पाकिस्तान की “निष्पक्ष जांच” की मांग का समर्थन किया।

क्या यह वही देश हैं, जिन्हें भारतीयों ने इतना कुछ दिया?

भारत के पास खुद में और दुनिया में कई सुंदर पर्यटन स्थल हैं – फिर तुर्की और अज़रबैजान क्यों? अगली बार जब आप छुट्टियों की योजना बनाएं – इन दो देशों को अपनी सूची से बाहर रखें। भारत को नज़रअंदाज़ करने वालों को जवाब दीजिए – अपने फैसले से।