भारत अब अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए अंतरिक्ष का सहारा लेने जा रहा है। देश की सीमाओं पर होने वाली हर हरकत पर अब आसमान से नजर रखी जाएगी। इसके लिए रक्षा मंत्रालय एक नई उपग्रह निगरानी परियोजना (Satellite Surveillance Project) शुरू करने जा रहा है। इसका उद्देश्य संभावित खतरों और विदेशी जासूसी गतिविधियों का समय रहते पता लगाना और उन पर तुरंत प्रतिक्रिया देना है।
बेंगलुरु की स्टार्टअप कंपनी को मिली जिम्मेदारी
इस महत्वपूर्ण रक्षा परियोजना की जिम्मेदारी बेंगलुरु स्थित निजी अंतरिक्ष स्टार्टअप दिगंतारा (Digantara) को सौंपी गई है। यह भारत में अब तक का सबसे बड़ा रक्षा क्षेत्र से जुड़ा अंतरिक्ष अनुबंध है, जिसे किसी प्राइवेट कंपनी को दिया गया है। इससे यह भी साफ होता है कि सरकार अब निजी कंपनियों की क्षमताओं पर भरोसा कर रही है और उन्हें देश की सुरक्षा में भागीदार बना रही है।
क्या है इस प्रणाली की खासियत?
इस नई सैटेलाइट प्रणाली को खास तौर पर रक्षा निगरानी के लिए तैयार किया जा रहा है। इसका मकसद भारत के खिलाफ की जा रही किसी भी प्रकार की निगरानी या जासूसी को पकड़ना और उसका रियल टाइम में जवाब देना होगा। यह इसरो की मौजूदा ‘नेत्र’ प्रणाली से अलग होगी। ‘नेत्र’ मुख्य रूप से अंतरिक्ष मलबे और उपग्रहों की स्थिति पर नजर रखती है, लेकिन यह नई प्रणाली दुश्मन देशों की जासूसी गतिविधियों पर नजर रखने में सक्षम होगी।
इन उपग्रहों को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि वे आपस में डेटा साझा कर सकें और पूरे देश के अलग-अलग ग्राउंड स्टेशनों तक रियल टाइम जानकारी पहुंचा सकें। इस पूरे प्रोजेक्ट की तकनीक और निर्माण भारत में ही किया जाएगा। इसके नियंत्रण और संचालन के लिए बेंगलुरु में एक खास सेंटर बनाने की योजना है।
भारत का निजी स्पेस सेक्टर में बढ़ता भरोसा
इस परियोजना को सरकार द्वारा निजी अंतरिक्ष क्षेत्र पर बढ़ते भरोसे के रूप में देखा जा रहा है। दिगंतारा पहले ही अमेरिका की रक्षा अनुसंधान एजेंसी DARPA से अनुबंध कर चुका है। इसके अलावा, भारतीय स्टार्टअप Pixel भी NASA के साथ काम कर रहा है। IN-SPACe के अध्यक्ष पवन गोयनका के मुताबिक, अब सरकार देश की अन्य सरकारी एजेंसियों को भी घरेलू स्टार्टअप्स की सेवाएं लेने के लिए प्रोत्साहित कर रही है।