भारत और पाकिस्तान के बीच हाल ही में बढ़े तनाव के मद्देनज़र केंद्र सरकार ने सुरक्षा व्यवस्था को लेकर सतर्कता बढ़ा दी है। गृह मंत्रालय ने देश के कई राज्यों को 7 मई को मॉक ड्रिल आयोजित करने का निर्देश दिया है। इस अभ्यास का उद्देश्य नागरिकों को युद्ध जैसी स्थिति में सुरक्षित रहने और प्रतिक्रिया देने की प्रक्रिया से अवगत कराना है।
यह पहली बार नहीं है जब देश में इस तरह की तैयारी की जा रही है। 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी इसी तरह की मॉक ड्रिल की गई थी। उस समय यह युद्ध के दौरान ही आयोजित की गई थी, लेकिन इस बार संभावित खतरे को भांपते हुए पूर्व तैयारी की जा रही है।
पाकिस्तान से बढ़ता तनाव और हालिया आतंकी हमला
22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक बड़ा आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए। इसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि भारत कोई बड़ा जवाबी कदम उठा सकता है, जिससे पाकिस्तान प्रतिक्रिया स्वरूप युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकता है।
यह युद्ध यदि होता है, तो यह केवल सीमावर्ती इलाकों तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि दिल्ली, मुंबई जैसे बड़े शहरों पर भी हमला करने की कोशिश की जा सकती है। इस खतरे को भांपते हुए सरकार युद्ध के दौरान नागरिक सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में कदम उठा रही है।
ब्लैकआउट और मॉक ड्रिल: क्या होती है और क्यों ज़रूरी है?
मॉक ड्रिल का मकसद होता है किसी आपात स्थिति की पूर्व तैयारी। इसमें यह देखा जाता है कि नागरिक, प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियाँ आपदा या हमले के दौरान कितनी जल्दी और कैसे प्रतिक्रिया देती हैं।
वहीं ब्लैकआउट एक्सरसाइज का उद्देश्य यह है कि यदि दुश्मन देश हवाई हमला करे, तो इलाकों को अंधेरे में रखकर उन्हें दुश्मन के निशाने से बचाया जा सके। इससे दुश्मन को बम या मिसाइल से सटीक हमला करना मुश्किल हो जाता है।
पंजाब के सीमावर्ती जिले फिरोजपुर की छावनी में हाल ही में एक ब्लैकआउट अभ्यास किया गया, जहाँ रविवार रात 9 बजे से 9:30 बजे तक बिजली बंद कर दी गई। इस दौरान लगातार 30 मिनट तक हूटर बजते रहे और लोगों से पहले ही आग्रह किया गया कि वे घरों से बाहर न निकलें।
गृह मंत्रालय के निर्देश और नागरिक सुरक्षा उपाय
गृह मंत्रालय ने राज्यों से निम्नलिखित महत्वपूर्ण तैयारियाँ करने को कहा है:
- हवाई हमलों की चेतावनी देने वाले सायरनों का परीक्षण
- नागरिकों और छात्रों को हमले की स्थिति में बचाव का प्रशिक्षण
- ब्लैकआउट उपायों की योजना और क्रियान्वयन
- संवेदनशील प्रतिष्ठानों को छिपाने की रणनीति
- इवैक्युएशन प्लान तैयार कर उसका अभ्यास करना