AQI नियंत्रण में पिछड़ा भारत, 2 हजार AQI को हटा सकती है कृत्रिम बारिश

देशभर के कई शहरों में बढ़ रहे वायू प्रदुषण को नियंत्रित करने के लिए अब तक भारत सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इसका नतीजा यह निकला कि दिल्ली का एक्यूआई 450 से पार हो गया। वहीं अब दिल्ली के एक्यूआई नियंत्रण के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे है। लेकिन अब आप पार्टी ने कृत्रिम बारिश करा कर एक्यूआई नियंत्रण की बात कही है। लेकिन यहां पर एक चौका देने वाली जानकारी सामने आती है कि पाकिस्तान के मुल्तािन में प्रदूषण का आलम इस तरह हो गया था कि वहां दो बार एयर क्वॉ लिटी इंडेक्सन यानी एक्यू आई 2 हजार के पार पहुंच गया। इस एक्यूआई पर पाकिस्तान ने नियंत्रण करके पूरे विश्व को आश्चर्य में डाल दिया था। पाकिस्तान के द्वारा किए गए कृत्रिम बारिश से प्रदुषण पर नियंत्रण के प्रयास की कई देशों ने निंदा की तो कई देशों ने सराहना। वहीं माना जाता है कि कृत्रिम बारिश से पुरा जलचक्र प्रभावित होता है। इससे मानसून का सिस्टम बनने का चक्र भी प्रभावित हो सकता है।

क्या है कृत्रिम बारिश

कृत्रिम बारिश के लिए ‘क्लाउड सीडिंग’ की मदद ली जाती है। इसमें संघनन को बढ़ाने के लिए सिल्वर आयोडाइड और पोटेशियम आयोडाइड के साथ ठोस कार्बनडाई आक्साइड को हवा में फैलाया जाता है। इससे बारिश होती है। क्लाउड सीडिंग’ के घोल को हवाई जहाज की मदद से आसमान में हवा की उल्टी दिशा में छिड़का जाता है। घोल में मौजूद कण आसमान में पहुंचकर जम जाते हैं। इसके बाद बारिश होती है।

कई देशों और शहरों में कराई जा चुकी है कृत्रिम वर्षा

भारत से भी भयानक स्थिति में पाकिस्ता्न के कई शहर इस समय जहरीले और वायु प्रदूषण से जुझ रहे है । पाकिस्ताशन ने इससे निपटने के लिए आर्टिफिशियल रेन (कृत्रिम बारिश) का सहारा लिया है, लेकिन भारत में अभी तक ऐसा उपाय नहीं किया गया है।

सुखाग्रस्त देशों में कराई जाती है बारिश

कृत्रिम बारिश कराने की तकनीक का प्रयोग कई देशों में इस्तेहमाल किया जा चुका है। वहीं अमेरिका, चीन सहित ऑस्ट्रेलिया, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) ने क्लावउड सीडिंग का उपयोग पानी की कमी को सूखे से निपटने के लिए भी क्ला उड सीडिंग की जाती है।