प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को कहा कि भारत अब दुनिया के सबसे बड़े रक्षा उत्पाद निर्यात करने वाले देशों में से एक के रूप में उभर चुका है। यह सफलता पिछले एक दशक में देश की रणनीतिक दृष्टि और विनिर्माण क्षमताओं में हुए महत्वपूर्ण सुधारों का नतीजा है। नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि बढ़ते रक्षा निर्यात ने भारत को वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद आत्मविश्वास से भरपूर राष्ट्र के रूप में स्थापित किया है।
21वीं सदी की चुनौतियों में भारत की मजबूती
प्रधानमंत्री ने 21वीं सदी के पहले 25 वर्षों की वैश्विक परिदृश्य पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि यह दौर आर्थिक उथल-पुथल, युद्ध, वैश्विक महामारी और तकनीकी बदलावों से भरा रहा, जिससे पूरी दुनिया में अस्थिरता का माहौल बना। इन वर्षों में विश्व ने वित्तीय संकट, महामारी और तकनीकी बदलावों के कारण कई उतार-चढ़ाव देखे। उन्होंने कहा कि इन परिस्थितियों के बावजूद भारत एक अलग और मजबूत लीग में खड़ा है, जो वैश्विक मंदी के समय भी निरंतर विकास की कहानी लिखता रहा है।
आर्थिक विकास ही आत्मविश्वास की नींव
प्रधानमंत्री ने जोर दिया कि भारत का वैश्विक आत्मविश्वास उसकी आर्थिक मजबूती पर आधारित है। हाल ही में जारी राष्ट्रीय आर्थिक विवरण में दूसरी तिमाही में 8.2% विकास दर को भारत की मजबूत बुनियाद के प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ आंकड़े नहीं हैं, बल्कि व्यापक आर्थिक संकेत हैं, जो दिखाते हैं कि भारत आज वैश्विक विकास में प्रमुख भूमिका निभा रहा है।
उच्च विकास और कम महंगाई का मॉडल
मोदी ने आगे बताया कि जब दुनिया की औसत विकास दर लगभग 3% है और G7 देशों की औसत वृद्धि मात्र 1.5% है, भारत उच्च विकास और नियंत्रित महंगाई का उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। यह संकेत है कि भारत न केवल अपने नागरिकों के लिए आर्थिक अवसर बढ़ा रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपने विकास मॉडल के जरिए उदाहरण पेश कर रहा है।
भारत का वैश्विक मंच पर नया स्थान
प्रधानमंत्री ने निष्कर्षतः कहा कि भारत वैश्विक अर्थव्यवस्था में तेजी से उभर रहा है और इसकी रणनीतिक, आर्थिक और तकनीकी क्षमताएं इसे विश्व मंच पर एक आत्मनिर्भर और प्रभावशाली राष्ट्र के रूप में स्थापित कर रही हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में भारत का यह रुख रक्षा, उद्योग और आर्थिक क्षेत्रों में और मजबूती के साथ जारी रहेगा।