India-US Trade Deal: भारत-अमेरिका के बीच ट्रेड समझौता फाइनल! दोनों देशों के बीच बेहतर होगा व्यापार

India-US Trade Deal: भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित अंतरिम व्यापार समझौते की घोषणा 8 जुलाई 2025 से पहले हो सकती है, क्योंकि दोनों पक्षों ने सभी प्रमुख शर्तों पर सहमति बना ली है। वाणिज्य विभाग के विशेष सचिव राजेश अग्रवाल के नेतृत्व में भारतीय दल वाशिंगटन में अंतिम दौर की वार्ता कर रहा है। यह सौदा ठीक समय पर आया है, क्योंकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा वैश्विक व्यापारिक देशों पर लगाए गए 26% पारस्परिक शुल्क की 90-दिन की निलंबन अवधि 9 जुलाई को समाप्त हो रही है।

ट्रम्प ने हाल ही में फॉक्स न्यूज पर कहा कि उनके प्रशासन द्वारा शुल्क बढ़ाने की संभावना नहीं है, क्योंकि भारत के साथ ‘बड़ा सौदा’ होने वाला है। अमेरिका ने 2 अप्रैल 2025 को भारतीय आयातों पर 26% अतिरिक्त शुल्क की घोषणा की थी, लेकिन इसे 9 जुलाई तक निलंबित कर दिया गया। हालांकि, 10% बेसलाइन शुल्क अभी लागू है। भारत इस 26% शुल्क से पूर्ण छूट की मांग कर रहा है, साथ ही स्टील और एल्यूमीनियम पर 50% शुल्क को हटाने की कोशिश कर रहा है।

समझौते का दायरा

यह अंतरिम व्यापार समझौता कृषि, ऑटोमोबाइल, औद्योगिक सामान और श्रम-प्रधान उत्पादों पर केंद्रित है। भारत और अमेरिका का लक्ष्य 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक दोगुना करना है, जो 2024-25 में $131.84 बिलियन था।

भारत की मांगें: भारत कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़ा, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क रियायत चाहता है। ये क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था और रोजगार के लिए महत्वपूर्ण हैं। भारत ने हाल के बजट में झींगा, हाई-एंड मोटरसाइकिल और कुछ इलेक्ट्रॉनिक्स पर शुल्क कम किया है।

अमेरिका की मांगें: अमेरिका औद्योगिक सामान, इलेक्ट्रिक वाहन, वाइन, पेट्रोकेमिकल, डेयरी और कृषि उत्पादों (सेब, ट्री नट्स, आनुवंशिक रूप से संशोधित फसलें) पर शुल्क रियायत चाहता है। हालांकि, भारत ने जीएम फसलों के आयात पर सख्त नियमों के कारण इन्हें शामिल करने से इनकार किया है, लेकिन गैर-जीएम उत्पाद जैसे अल्फाल्फा हेय (पशु चारा) के लिए खुला है।

कृषि और डेयरी

कृषि और डेयरी भारत के लिए चुनौतीपूर्ण क्षेत्र हैं। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हाल ही में कहा कि ये क्षेत्र व्यापार समझौते में ‘रेड फ्लैग‘ हैं, क्योंकि भारत अपने लाखों छोटे किसानों और डेयरी उद्योग की रक्षा करना चाहता है। भारत ने किसी भी मुक्त व्यापार समझौते में डेयरी को नहीं खोला है और जीएम फसलों पर सख्त नियामक मानक बनाए रखे हैंइसके लिए भारत न्यूनतम आयात मूल्य (MIP) या आयात कोटा जैसे उपायों पर विचार कर रहा है।