Eng Vs Ind: पहले टेस्ट में 1671 रन और 35 विकेट गिरे फिर सभी ने इस महिला के लिए क्यों बजाई ताली

Eng Vs Ind:  हेडिंग्ले में हाल ही में खत्म हुए भारत और इंग्लैंड के बीच टेस्ट मैच ने क्रिकेट प्रशंसकों का दिल जीत लिया। पांच दिन तक चले इस रोमांचक मुकाबले में कुल 1,671 रन बने और 35 विकेट गिरे। भारत ने अपनी दो पारियों में 471 और 364 रन बनाए, जबकि इंग्लैंड ने 464 और 373 रनों के साथ यादगार जीत हासिल की। लेकिन इस हाई-स्कोरिंग ड्रामे और प्रतिस्पर्धी पिच के पीछे जिस शख्सियत ने सबका ध्यान खींचा, वह थी 28 साल की जैस्मिन निकोल्स—हेडिंग्ले की पहली महिला पिच क्यूरेटर।

टेस्ट क्रिकेट, जो अपनी पांच दिन की अवधि, 15 सत्रों और बार-बार बदलते मोमेंटम के लिए जाना जाता है, में पिच की भूमिका निर्णायक होती है। इस खेल में जहां सतह मैच का रुख तय कर सकती है, जैस्मिन ने अपने कौशल से एक शांत क्रांति ला दी। हेडिंग्ले जैसे प्रतिष्ठित मैदान पर जहां अनुभवी ग्राउंड्समैन की मौजूदगी आम है, वहां जैस्मिन का मुख्य ग्राउंड्समैन रिचर्ड रॉबिन्सन और उनकी टीम के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करना न केवल प्रेरणादायक है, बल्कि क्रिकेट जगत में एक नया अध्याय भी लिख रहा है।

Eng Vs Ind:  पिच ने जीता सबका दिल

हेडिंग्ले टेस्ट की पिच ने बल्लेबाजों और गेंदबाजों दोनों को बराबर मौका दिया। न तो इसमें असमान उछाल था, न ही यह किसी एक पक्ष को खुलकर मदद करती थी। इस संतुलित सतह ने कुशल बल्लेबाजी और अनुशासित गेंदबाजी दोनों को पुरस्कृत किया, जिसके चलते यह मैच क्रिकेट इतिहास में एक रोमांचक मुकाबले के रूप में दर्ज हुआ। मैच के बाद प्रशंसकों और विश्लेषकों ने जैस्मिन और उनकी टीम की जमकर तारीफ की।

जैस्मिन का हेडिंग्ले तक का सफर बिल्कुल भी पारंपरिक नहीं रहा। लेस्टर की रहने वाली जैस्मिन पहले इवेंट मैनेजर थीं और उनका ग्राउंड मेंटेनेंस से कोई लेना-देना नहीं था। काउंटी मैचों के दौरान इवेंट्स आयोजित करने के अनुभव ने उन्हें क्रिकेट के करीब लाया। लेकिन कोविड-19 महामारी ने जब इवेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री को ठप कर दिया, तो उनके लिए एक अप्रत्याशित अवसर खुला।
रिचर्ड रॉबिन्सन ने जैस्मिन की मेहनत और समर्पण को देखते हुए उन्हें ग्राउंड स्टाफ में शामिल होने का न्योता दिया। जैस्मिन ने स्वीकार किया, “मुझे इस काम की तकनीकी जानकारी बिल्कुल नहीं थी। लेकिन मैंने छोटे क्लब ग्राउंड्स पर काम करने वालों से सीखा और धीरे-धीरे पिच तैयार करने की बारीकियां समझीं।” उनकी यह मेहनत रंग लाई और आज वह हेडिंग्ले जैसे बड़े मंच पर इतिहास रच रही हैं।