दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण कंपनी फॉक्सकॉन (जिसे होन हाई प्रिसिजन इंडस्ट्रीज़ के नाम से भी जाना जाता है) अब भारत को अपने मैन्युफैक्चरिंग ऑपरेशंस का एक नया वैश्विक केंद्र बनाने की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रही है। कंपनी ने भारत में 1.49 अरब डॉलर (लगभग 12,500 करोड़ रुपये) के निवेश की योजना बनाई है। यह निवेश फॉक्सकॉन की सिंगापुर स्थित यूनिट के माध्यम से किया जाएगा और सीधे भारत में स्थित उसकी सहायक कंपनी युझान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में लगाया जाएगा।
यह निवेश सिर्फ आईफोन असेंबली तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि कंपनी अब आईफोन के महत्वपूर्ण पार्ट्स को भी भारत में ही निर्मित करने की तैयारी कर रही है। इसी दिशा में, मई 2025 में चेन्नई के पास कंपनी ने 1.5 अरब डॉलर की लागत से एक पार्ट्स निर्माण संयंत्र स्थापित करने की घोषणा की थी। इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि फॉक्सकॉन भारत को एक वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स हब में तब्दील करने की दिशा में गंभीर है।
अमेरिका में नई तकनीकी पहल: डेटा सेंटर और सर्वर असेंबली
फॉक्सकॉन केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अमेरिका में भी अपनी उपस्थिति को और सशक्त बना रही है। कंपनी को 37.5 करोड़ डॉलर के निवेश को लेकर ताइवान सरकार से स्वीकृति मिल चुकी है। इस निवेश के माध्यम से अमेरिका में एक नई कंपनी स्थापित की जाएगी, जिसका उद्देश्य होगा डेटा सेंटर मॉड्यूल्स को सुरक्षित बनाना और सर्वर असेंबल करना।
अमेरिका में इस पहल को वहां की टेक्नोलॉजी और डेटा संबंधित ज़रूरतों की पूर्ति के लिहाज से अहम माना जा रहा है। साथ ही, अमेरिका और चीन के बीच लगातार बढ़ते व्यापारिक तनाव के कारण भी फॉक्सकॉन जैसी दिग्गज कंपनियां अब चीन पर निर्भरता कम करने के विकल्प तलाश रही हैं, जिसमें भारत और अमेरिका जैसे देश प्रमुख बनते जा रहे हैं।
फॉक्सकॉन की वैश्विक मौजूदगी और भारत की बढ़ती भूमिका
फॉक्सकॉन इस समय दुनिया के 24 देशों में 223 फैक्ट्रियों और ऑफिस का संचालन कर रही है। इनमें से अमेरिका में 54, जबकि भारत और यूरोप में 12-12 प्लांट्स हैं। यह आंकड़े कंपनी की वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति को दर्शाते हैं।
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, मार्च से मई 2025 के बीच भारत से अमेरिका को करीब 3.2 अरब डॉलर के आईफोन निर्यात किए गए हैं। यह कुल अमेरिकी मांग का लगभग 97% है, जो बताता है कि भारत अब फॉक्सकॉन और ऐपल के लिए एक अहम रणनीतिक मैन्युफैक्चरिंग सेंटर बन चुका है।
चीन से दूरी, भारत की ओर झुकाव
यह पूरा निवेश और रणनीति ऐसे समय में सामने आ रही है जब अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर तेज़ होता जा रहा है। इस माहौल में फॉक्सकॉन चीन से अपने प्लांट्स को धीरे-धीरे हटाकर भारत, मेक्सिको, वियतनाम और यूरोप जैसे देशों में स्थानांतरित कर रही है। भारत को इसमें प्रमुख प्राथमिकता दी जा रही है, जिससे भारत को वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन की दिशा में एक नया मुकाम हासिल होने की संभावनाएं बढ़ गई हैं।