सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भर बनेगा भारत, घरेलू स्तर पर बनेगी हर जरूरत की चिप

भारत ने सेमीकंडक्टर सेक्टर में आत्मनिर्भर बनने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। केंद्र सरकार ने देश में 23 चिप डिजाइन प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दे दी है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के मुताबिक ये प्रोजेक्ट्स डिजाइन लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम के तहत स्वीकृत किए गए हैं। इस पहल का मकसद है कि CCTV कैमरा, बिजली मीटर, पंखा, ड्रोन और एयरोस्पेस जैसे सेक्टर्स में इस्तेमाल होने वाली चिप्स अब भारत में ही डिजाइन और विकसित की जाएं।

घरेलू स्टार्टअप्स और MSMEs को मिलेगा सहयोग

सरकार ने साफ किया है कि इस मिशन में घरेलू स्टार्टअप्स और MSMEs को खास समर्थन दिया जाएगा। मंजूरी पाने वाली कंपनियों में वर्वसेमी माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स का नाम भी शामिल है, जो बेंगलुरु स्थित एक फैब्लेस सेमीकंडक्टर कंपनी है। फैब्लेस कंपनियां खुद मैन्युफैक्चरिंग यूनिट नहीं चलातीं, बल्कि डिजाइन और इनोवेशन पर ध्यान देती हैं और उत्पादन थर्ड-पार्टी से करवाती हैं।

विभिन्न क्षेत्रों के लिए तैयार होंगी चिप्स

वर्वसेमी कई तरह के इंटीग्रेटेड सर्किट्स (ICs) डिजाइन कर रही है, जिनका इस्तेमाल अलग-अलग क्षेत्रों में किया जाएगा।

  • स्मार्ट एनर्जी मीटर और ब्रिज सेंसर
  • घरेलू उपकरणों जैसे पंखों के मोटर्स
  • इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और ड्रोन
  • इंडस्ट्रियल ऑटोमेशन
  • एयरोस्पेस और एवियोनिक्स के लिए डाटा प्रोसेसिंग

वर्तमान में इनके इंजीनियरिंग सैंपल तैयार किए जा रहे हैं, जिससे आगे उत्पादन का रास्ता साफ होगा।

भारत के लिए बड़ा अवसर

कंपनी के संस्थापक और सीईओ राकेश मलिक का मानना है कि ये कदम भारत के सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम को नई ऊंचाई देगा। मेड-इन-इंडिया चिप्स न केवल इम्पोर्ट पर निर्भरता घटाएंगी, बल्कि भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर मार्केट में लीडर की पंक्ति में खड़ा कर सकती हैं।

सरकार की सेमीकंडक्टर रणनीति

यह फैसला केंद्र सरकार की बड़ी चिपमेकिंग योजना का हिस्सा है। हाल ही में कैबिनेट ने चार और सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी थी। इनमें से दो यूनिट्स ओडिशा, जबकि एक-एक यूनिट आंध्र प्रदेश और पंजाब में लगाई जाएगी। कुल मिलाकर छह राज्यों में लगभग ₹1.6 लाख करोड़ के निवेश से 10 सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स शुरू किए जाएंगे। इन प्रोजेक्ट्स से हजारों रोजगार सृजित होने की उम्मीद है।