Indian Railway: भारतीय रेलवे ने अपने यात्रियों के सफर को पहले से ज्यादा आरामदायक बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। अब यात्रियों को उनके स्लीपर टिकट पर सेकंड एसी में सफर करने का मौका मिल सकता है, बशर्ते सीट उपलब्ध हो। इस नई सुविधा से यात्रियों को उच्च श्रेणी की यात्रा का लाभ मिलेगा, खासकर उन लोगों को जो सामान्य किराया चुका रहे हैं।
भोपाल मंडल में मिलेगा ज्यादा लाभ
भोपाल रेल मंडल के अंतर्गत चलने वाली 300 से ज्यादा ट्रेनों में यह सुविधा लागू की गई है। पहले जहां करीब 4,000 टिकट अपग्रेड होते थे, वहीं अब यह संख्या बढ़कर 7,000 से अधिक हो जाएगी। इससे यात्रियों को न केवल बेहतर क्लास में यात्रा का अनुभव मिलेगा, बल्कि रेलवे की खाली सीटों का भी उपयोग हो सकेगा।
सिस्टम में हुआ बदलाव
रेलवे ने अपने रिजर्वेशन अपग्रेडेशन सिस्टम में यह बदलाव ट्रेन में सीटों की बेहतरीन उपयोगिता को ध्यान में रखते हुए किया है। अपग्रेडेशन पूरी तरह उपलब्ध सीटों पर निर्भर करेगा और यह प्रक्रिया स्वचालित सॉफ़्टवेयर के माध्यम से होगी। यात्रियों को यात्रा से पहले कुछ अतिरिक्त प्रक्रिया नहीं करनी होगी।
इन श्रेणियों में होगा अपग्रेडेशन
बैठने वाली सीटों के लिए क्रम तय किया गया है: द्वितीय सिटिंग (2S) से चेयर कार (CC), फिर एक्जीक्यूटिव क्लास (EC) और आगे विस्टाडोम ईसी तक। वहीं, सोने की सीटों में स्लीपर से शुरू कर थर्ड एसी इकोनॉमी, थर्ड एसी और सेकंड एसी तक अपग्रेडेशन संभव है। अगर सीटें उपलब्ध हों तो सेकंड एसी से फर्स्ट एसी में भी बदलाव किया जा सकता है।
कंसेशन टिकट पर नहीं मिलेगा लाभ
रेलवे ने साफ किया है कि जो यात्री रियायती टिकट (जैसे वरिष्ठ नागरिक, छात्र आदि) पर यात्रा कर रहे हैं, उन्हें यह अपग्रेड सुविधा नहीं दी जाएगी। केवल फुल किराया चुकाने वाले यात्रियों को ही इसका लाभ मिलेगा। वरिष्ठ नागरिकों को सलाह दी गई है कि ऊंची क्लास में लोअर बर्थ मिलने की गारंटी नहीं है, इसलिए वे सावधानीपूर्वक विकल्प चुनें।
करंट बुकिंग पर कोई असर नहीं
रेलवे ने यह भी स्पष्ट किया है कि अपग्रेडेशन के कारण करंट बुकिंग की सीटों में कोई कटौती नहीं होगी। खाली बची सीटों का ही उपयोग अपग्रेड के लिए किया जाएगा। जैसे ही किसी ट्रेन में कोई नई क्लास जुड़ती है, तो किराए के अंतर के आधार पर दो श्रेणियों तक का अपग्रेडेशन संभव हो सकेगा।
सिस्टम में तकनीकी बदलाव
इस नई योजना को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए रेलवे ने अपने सॉफ़्टवेयर में जरूरी तकनीकी बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। इसका उद्देश्य प्रक्रिया को तेज और स्वचालित बनाना है, जिससे यात्रियों को आसानी से बेहतर श्रेणी की सीट उपलब्ध कराई जा सके।