देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो इस समय गंभीर परिचालन संकट से जूझ रही है। पायलटों की कमी और कोहरे के कारण उड़ानों के रद्द होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा जारी कारण बताओ नोटिस का जवाब देने के लिए इंडिगो ने और समय मांगा है। एयरलाइन प्रबंधन का कहना है कि वे स्थिति को संभालने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं।
बीते कुछ दिनों से इंडिगो की सैकड़ों उड़ानें रद्द हुई हैं, जिससे हजारों यात्री हवाई अड्डों पर फंस गए हैं। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए डीजीसीए ने एयरलाइन से जवाब तलब किया था। सूत्रों के अनुसार, इंडिगो ने नियामक संस्था से अपना पक्ष रखने के लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी है, ताकि वे विस्तृत जानकारी साझा कर सकें।
हवाई अड्डों ने जारी की एडवाइजरी
यात्रियों की बढ़ती भीड़ और अफरातफरी को देखते हुए कई प्रमुख हवाई अड्डों ने एडवाइजरी जारी की है। दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु जैसे व्यस्त हवाई अड्डों पर यात्रियों को सलाह दी गई है कि वे घर से निकलने से पहले अपनी उड़ान की स्थिति (Flight Status) जरूर जांच लें। हवाई अड्डा प्रशासन ने यात्रियों से एयरलाइन के कस्टमर केयर से संपर्क में रहने की भी अपील की है ताकि अंतिम समय में होने वाली असुविधा से बचा जा सके।
पायलटों की कमी बनी बड़ी मुसीबत
इंडिगो के सामने सबसे बड़ी चुनौती पायलटों की अनुपलब्धता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कई पायलट बीमारी या थकान के कारण छुट्टी पर हैं, जिससे रोस्टर प्रबंधन गड़बड़ा गया है। इसके अलावा, उत्तर भारत में घने कोहरे ने परिचालन को और मुश्किल बना दिया है। एयरलाइन का नेटवर्क इतना विशाल है कि एक जगह उड़ान रद्द होने का असर पूरे नेटवर्क पर पड़ रहा है।
यात्रियों का गुस्सा सातवें आसमान पर
सोशल मीडिया पर यात्रियों का गुस्सा साफ देखा जा सकता है। कई यात्रियों ने शिकायत की है कि उन्हें उड़ान रद्द होने की सूचना बहुत देर से दी गई। कुछ मामलों में यात्रियों को रिफंड या वैकल्पिक उड़ान की व्यवस्था में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हवाई अड्डों पर लंबी कतारें और अनिश्चितता का माहौल बना हुआ है।
डीजीसीए की सख्ती और निगरानी
नागरिक उड्डयन मंत्रालय और डीजीसीए पूरे मामले पर नजर बनाए हुए हैं। डीजीसीए ने स्पष्ट किया है कि यात्रियों को मुआवजा देने और रिफंड के नियमों का सख्ती से पालन होना चाहिए। यदि एयरलाइन संतोषजनक जवाब नहीं देती है या स्थिति में सुधार नहीं होता है, तो नियामक संस्था सख्त कदम उठा सकती है। यह संकट ऐसे समय में आया है जब त्योहारी सीजन और छुट्टियों के कारण हवाई यात्रा की मांग अपने चरम पर है।