इंदौर एक बार फिर सुर्खियों में है । लेकिन इस बार सफाई या स्वाद के लिए नहीं, बल्कि विकास के एक ऐसे ब्लूप्रिंट के लिए जो शहर की तक़दीर बदल सकता है। हाल ही में एक ऐतिहासिक बैठक में शहर के सांसद, उद्योगपति, अर्थशास्त्री, समाजसेवी और युवा वर्ग ने एक मंच पर आकर ली। सभी ने एक मंच पर जुटे और एक साझा लक्ष्य के साथ 2030 तक इंदौर की GDP को दोगुना करना और उसे भारत के टॉप 10 आर्थिक शहरों में शुमार कराने पर चर्चा की
लालवानी ने पेश किया इंदौर का फ्यूचर प्लान
सांसद शंकर लालवानी का विज़नरी और डेटा-ड्रिवन प्रेजेंटेशन हुआ जिसमें एक अनुभवी CEO की तरह उन्होंने इंदौर के आने वाले वर्षों की तस्वीर रखी।जिसमें इन्होने GDP डबल करने की रणनीति सहित 5 प्रमुख सेक्टर- फार्मा, इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, स्टार्टअप्स, टेक्सटाइल और IT के सहित मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर और ट्रांसपोर्ट नेटवर्क और ग्रीन इकॉनमी और इनोवेशन पर ज़ोर दिया। इन्होने कहा कि यह योजना सिर्फ़ कागज़ पर नहीं रहेगी। इसमें जनता की भागीदारी होगी और इंदौर, आत्मनिर्भर और टिकाऊ विकास का राष्ट्रीय मॉडल बनेगा।
सुझावों की बारिश
मालवा चेंबर ऑफ कॉमर्स से जुड़े वरिष्ठ समाजसेवी अशोक बड़जात्या और अर्पित बड़जात्या ने संतुलित विकास पर ज़ोर दिया। कृषि, उद्योग और सेवा सेक्टर में समान विकास, स्किल्ड एजुकेशन और जॉब-केंद्रित इन्वेस्टमेंट, लोकल स्ट्रेंथ को ग्लोबल चांस से जोड़ना
युवाओं को प्रेरित किया विज़न ने
कार्यक्रम की शुरुआत ER. अजीत सिंह नारंग के प्रेरणादायक भाषण से हुई। जिसमें उन्होंने आसान शब्दों में समझाया कि इंदौर कैसे डबल डिजिट ग्रोथ हासिल कर सकता है। हमे युवाओं के स्किल्स को बाज़ार की मांग से जोड़ना होगा इसके साथ ही डिजिटल ट्रांसपोर्टेशन और लॉजिस्टिक नेटवर्क का निर्माण करना होगा। डॉ. जयंती लाल भंडारी ने कहा कि “लालवानी जी का यह विज़न सिर्फ़ एक प्लान नहीं, बल्कि नीति निर्माण का एक शानदार मॉडल है।” वहीं उद्योगपति शिवसिंह मेहता ने कहा कि स्टार्टअप्स को सपोर्ट, निवेश प्रक्रिया को सरल और क्वालिटी पर ज़ोर देना आवश्यक है।
सभी प्रमुख उद्योगपति, नीति निर्माता और विचारक रहे शामिल
बैठक में शिवसिंह मेहता, डॉ. अनिल भंडारी, जीएन शर्मा, प्रमोद डाफरिया, हिमांशु शाह, अशोक कोठारी, दिलीप देव, विशाल गिदवानी, और दर्जनों अन्य प्रभावशाली चेहरे शामिल हुए इंदौर का विकास अब स्लोगन नहीं, एक स्पष्ट एक्शन प्लान है। और अगर ये विज़न ज़मीन पर उतरा, तो 2030 में इंदौर न सिर्फ़ आर्थिक मानचित्र पर चमकेगा बल्कि एक “फ्यूचर-सिटी ऑफ इंडिया” के रूप में पहचान बनाएगा।