Indore News : मध्य प्रदेश के इंदौर में एक वकील ने भक्ति और कला का अनूठा संगम प्रस्तुत किया है। उन्होंने पीतल के 1241 पन्नों पर संस्कृत भाषा में संपूर्ण वाल्मीकि रामायण को उकेरा है। इस अनूठी रामायण का कुल वजन 10 किलोग्राम से भी ज्यादा है और इसे महज 31 दिनों के अथक परिश्रम से तैयार किया गया है।
इस कृति को तैयार करने वाले एडवोकेट लोकेश मंगल ने बताया कि उन्हें इसकी प्रेरणा जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरि जी महाराज से मिली। उन्होंने कहा कि धर्मगुरुओं द्वारा पीतल को एक शुभ धातु माना जाता है और इस पर उकेरी गई कृति सैकड़ों वर्षों तक सुरक्षित रह सकती है।
उनका कहना है कि “रामायण को पीतल पर उकेरने का उद्देश्य ही यही है कि ये सैकड़ों साल तक रहेगा। ये हमारे साथ भी और हमारे बाद भी संसार में रहेगा।”
31 दिन में तैयार हुई 10 किलो की रामायण
इस पूरी रामायण को तैयार करने में 31 दिनों का समय लगा। काम की शुरुआत महर्षि वाल्मीकि जयंती (7 अक्टूबर) से हुई और यह कार्तिक पूर्णिमा (5 नवंबर) को संपन्न हुआ। रामायण के सभी कांडों को अलग-अलग पीतल की किताबों के रूप में बनाया गया है।
पूरी रामायण में कुल 1241 पीतल के पन्नों का इस्तेमाल हुआ है, जिनका कुल वजन 10 से 10.5 किलो के बीच है। इसमें बालकांड में 132, अयोध्या कांड में 256, किष्किंधा कांड में 153, सुंदरकांड में 176, युद्धकांड में 326 और उत्तरकांड में 67 पेज हैं। रामायण तैयार होने के बाद इसे हरिद्वार में स्वामी अवधेशानंद जी के पास ले जाया गया था, जिसके बाद इसे वापस इंदौर लाया गया।
सेवा भाव से हुआ काम, लागत सिर्फ धातु की
लोकेश मंगल के अनुसार, इस विशाल कार्य में धातु का खर्च करीब 10 से 11 हजार रुपए आया। बाकी सभी काम जैसे 2481 पीएलटी फाइलों को बनाना, पेजों की कटिंग और उनमें छेद करना, कई लोगों के सहयोग से सेवा भाव के रूप में किए गए। उन्होंने बताया कि अगर कोई व्यक्ति इसे व्यक्तिगत रूप से बनवाता है, तो इसमें लगभग साढ़े तीन साल का समय और करीब 37 लाख रुपए का खर्च आ सकता है।
पीतल पर संविधान और महाभारत भी उकेर चुके हैं मंगल
ऐसा पहली बार नहीं है जब लोकेश मंगल ने धातु पर कोई कृति उकेरी है। इससे पहले वे कई अन्य महत्वपूर्ण ग्रंथ और दस्तावेज भी पीतल पर तैयार कर चुके हैं।
भारतीय संविधान: 2022 में उन्होंने भारतीय संविधान को चित्रों के माध्यम से 54 पीतल के पन्नों पर उकेरा था, जिसका वजन 32 किलो था।
विश्व के संविधान: 193 देशों के संविधानों को 6177 चित्रों के जरिए 99 पीतल के पन्नों पर दर्शाया, जिसका वजन 57 किलो था।
महाभारत: गणेश उत्सव के दौरान 622 पीतल के पन्नों पर 1247 चित्रों के माध्यम से महाभारत का भी वर्णन तैयार किया है।
इसके अलावा, उन्होंने लेजर तकनीक का उपयोग कर 108 पत्थरों पर एक चित्रमयी रामायण भी बनाई है। उनकी यह पहल कला और आस्था के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।