Ahilya Path पर चढ़ा राजनीति का रंग

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर विकास प्राधिकरण के अहिल्या पथ को लेकर सारा कबाड़ा अफसारों ने किया लेकिन इस आग में भाजपा के ही नेता, घी डालने का काम कर रहे हैं। जिनकी निगाह आईडीए के अध्यक्ष पद पर है। हालांकि भाजपा संगठन चुनाव होने के कारण आईडीए अध्यक्ष का फैसला फिलहाल होते हुए नहीं दिख रहा है।

Ahilya Path के दो नक्शे, एक असली दूसरा काल्पनिक

अहिल्या पथ ( Ahilya Path ) के दो नक्शे बाजार में प्रॉपर्टी के दलालों के पास घूम रहे थे। एक नक्शा वास्तविक और दूसरा नक्शा काल्पनिक था। काल्पनिक नक्शे के आधार पर आईडीए के अफसरों ने जमीन मालिक को काम में ले लिया। कितने जमीन मालिक काम में आए और क्या गड़बडी हुई, इसकी सही जानकारी अभी तक सामने नहीं आई है। इतना जरूर सुनने में आ रहा है कि काल्पनिक नक्शे की उपज, आईडीए के प्लानिंग विभाग के अफसरों की थी। जो वास्तविक नक्शा है उसको लीक करके जमीन मालिकों के नक्शे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से मंजूर करा दिए। अहिल्या पथ की योजना उस समय बनी जब बोर्ड भंग हो गया था। जब यह मामला अभी उठा तो पुराने अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा को घेरने की कोशिश की गई। चावड़ा के संगठन मंत्री रहते हुए जो नेता उनसे नाराज थे उन्होंने सोशल मीडिया का सहारा लेकर यह अफवाह फैला दी कि अहिल्या पथ की योजना चावड़ा के सामय बनी थी। जबकि चावड़ा के हटने के बाद ही इस योजना पर काम शुरू हुआ। चावड़ा के समय तो ग्रीन कॉरिडोर की योजना बनी थी, जिस पर अभी पूरा काम शुरू नहीं हो पाया। कांग्रेस की तरह भाजपा में भी एक-दूसरे को निपटाने के लिए कोई मौका नेता नहीं छोड़ते हैं। सोशल मीडिया पर बदनाम करने का षडय़ंत्र हर कोई करने लग जाता है, विरोधियों के खिलाफ प्रचार करके, एक-दूसरे को वाट्सअप किए जाते हैं। हालांकि भाजपा संगठन के प्रदेश मुखिया इन सब बातों से वाकिफ हैं। अफसरों के कारनामों पर राजनीति का रंग चढ़ाने में विरोधियों ने देरी नहीं की। इंदौर में भाजपा के नेता एक-दूसरे के खिलाफ, निपटाने के लिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल फर्जी शिकायतों के जरिए करते रहे हैं। इंदौर की राजनीति को इसीलिए कहा जाता है कि कब, किसके खिलाफ, कौन सा अभियान चला दिया जाए, इसका कोई भरोसा नहीं है। ‘स्वतंत्र समय’ ने इस पूरे मामले की गहराई से पड़ताल की, तो स्पष्ट हुआ कि यह सारा करा-धरा, तीन-चार महीने का है। इस दौरान ही अहिल्या पथ की योजना आई, जिस पर अफसरों ने ‘खेला’ कर दिया। हालांकि बाद में आईडीए अध्यक्ष, संभागायुक्त दीपक सिंह और कलेक्टर आशीष सिंह ने पिछले छह महीने के मंजूर नक्शे, टाउन एंड कंट्री प्लाङ्क्षनग विभाग को निरस्त करने के लिए कह दिया है। इंदौर के तमाम भाजपा नेताओं की निगाह, आईडीए अध्यक्ष पद पर ही है जिसको लेकर आने वाले समय में घमासान और बढ़ेगा।

रोड मास्टर प्लान की, खेल जमीन लेने में

वास्तव में अहिल्या पथ की जो रोड आईडीए ने घोषित की है, वह रोड मास्टर प्लान में है, जिसको बनाने की जवाबदारी आईडीए की ही है। जब यह बात जुलाई महीने में सामने आई तो आईडीए के प्रशासनिक बोर्ड ने यह कहा कि सडक़ बनाने के लिए आईडीए पैसे कहां से लाएगा, फिर यह तय हुआ कि रोड के आसपास की जमीनें जहां, जितनी मिल रही है, उस पर आईडीए स्कीम घोषित कर दे। जमीन मालिकों को रेशो के हिसाब से विकसित प्लाट दे देंगे। बचे हुए प्लाट बेचकर आईडीए रोड बनाने का खर्चा निकाल लेगा। उसके बाद आईडीए अफसरों ने खसरे नंबर देखकर मास्टर प्लान की रोड के आसपास की जमीनें देखना शुरू की। रोड के आसपास कहीं 200 मीटर, तो कहीं 300, तो कहीं 400 मीटर तक स्कीम डालने के नाम पर अफसरों ने खेल चालू किया। गैरराजनीतिक बोर्ड होने के कारण आईडीए के प्लानिंग विभाग के अफसरों ने जमीन मालिकों से अपनी दुकानदारी चालू कर दी। बस, उसी कारण अहिल्या पथ को लेकर भ्रष्टाचार की बातें होने लगीं। अभी तो स्कीम लागू करने के लिए धारा 50(1) की कार्रवाई शुरू हुई है। स्कीम लगाने के बाद आईडीए जो दावे, आपत्ति बुलवाता है उसमें भी अभी काफी समय बाकी है।