Indore Beggar: इंदौर में भिखारियों को भीख देने पर होगी FIR…1 जनवरी से शहर में लागू होगा ये नया नियम

मध्य प्रदेश सरकार ने अपने राज्य को भिखारी मुक्त बनाने के लिए एक अनोखा अभियान शुरू किया है, जिसका उद्देश्य भिखारियों को पुनर्वासित करना और उनके द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों पर रोक लगाना है। खासतौर से इंदौर में प्रशासन ने भिखारियों के पास से जो संपत्ति और धन पाया, उसने सभी को चौंका दिया।

इंदौर में महिला एवं बाल विकास विभाग ने हाल ही में 323 भिखारियों को पकड़ा और उन्हें उज्जैन के सेवाधाम आश्रम भेजा। प्रशासन की जांच में यह पता चला कि कई भिखारी सिर्फ भीख से ही लाखों रुपये कमा रहे थे। कुछ के पास तो 10 बीघा जमीन और संपत्ति भी है। एक महिला भिखारी ने बताया कि उसके पास से मिले 75,000 रुपये उसकी एक हफ्ते की कमाई थी। कुछ भिखारियों का रोजाना खर्च ड्रग्स पर 500 रुपये तक था।

इंदौर में यह भी देखा गया कि कुछ भिखारियों को नशे का कारोबार चलाने के लिए मजबूर किया जा रहा है, और इसके तार राजस्थान से भी जुड़े हुए हैं। इस अवैध धंधे को खत्म करने के लिए इंदौर के कलेक्टर ने सख्त कदम उठाए हैं। उनका कहना है कि इस अभियान के तहत भिखारियों को समाज में वापस लाने का प्रयास किया जा रहा है और उनके नशे की आदत को छोड़ने में मदद की जा रही है।

उज्जैन स्थित सेवाधाम आश्रम के प्रमुख सुधीर भाई गोयल ने बताया कि कई भिखारी जिनके पास बड़ी संपत्ति थी, उन्हें प्रशासन ने आश्रम में भेजा है। ये लोग नशे के आदी हैं और कई तो लाखों रुपये के मालिक भी हैं। आश्रम में इन भिखारियों की ज़िंदगी में सुधार लाने की कोशिश की जा रही है ताकि उन्हें फिर से समाज की मुख्य धारा में लाया जा सके।

प्रदेश सरकार की इस पहल को लेकर विपक्षी नेताओं ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि जबकि सरकार विदेशों से निवेश की भीख मांग रही है, उन्हें प्रदेश को कर्ज मुक्त बनाने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यदि सरकार ड्रग्स का कारोबार नहीं रोक सकती, तो कम से कम भिखारियों की मदद तो रोकी न जाए।

वहीं, इस मामले पर मध्य प्रदेश सरकार के राज्यमंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने इस पहल को सराहा। उनका कहना था कि यह एक सकारात्मक कदम है और इसके जरिए राज्य में भिखारी मुक्त समाज का निर्माण किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने जीवनयापन के लिए कई योजनाएँ चलाई हैं, जिसके तहत अब किसी को भी भीख मांगने की जरूरत नहीं रहनी चाहिए।

मध्य प्रदेश में भिक्षावृत्ति पर कड़ा कानून

मध्य प्रदेश में भिक्षावृत्ति पर सख्त कानून है। भिक्षावृत्ति निवारण अधिनियम, 1973 के तहत भीख मांगना दंडनीय अपराध है। इस अधिनियम के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति पहली बार भीख मांगते हुए पकड़ा जाता है तो उसे दो साल की सजा हो सकती है, और अगर वह फिर से पकड़ा जाता है तो उसे 10 साल तक की सजा हो सकती है। इसके अलावा, भीख मांगने को पब्लिक न्यूसेंस यानी सार्वजनिक परेशानी के तहत भी माना जाता है।