इंदौर BRTS तोड़ने में देरी पर हाईकोर्ट सख्त, कलेक्टर और कमिश्नर को 15 जुलाई को किया तलब

इंदौर: शहर के व्यस्त बीआरटीएस (बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम) कॉरिडोर को हटाने के आदेश का पालन नहीं करने पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने इस मामले में इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और नगर निगम कमिश्नर शिवम वर्मा को तलब किया है। दोनों अधिकारियों को 15 जुलाई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में पेश होकर जवाब देना होगा।

यह मामला बीआरटीएस कॉरिडोर की वजह से होने वाली ट्रैफिक समस्याओं और दुर्घटनाओं को लेकर दायर एक जनहित याचिका से जुड़ा है। अदालत ने पहले ही इस कॉरिडोर को हटाने के निर्देश दिए थे, लेकिन प्रशासन ने अब तक इस पर अमल नहीं किया है।

प्रशासन ने बताई मॉनसून और आचार संहिता की मजबूरी

सुनवाई के दौरान प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि लोकसभा चुनाव के कारण लागू आचार संहिता और अब मॉनसून की शुरुआत के चलते कॉरिडोर को हटाने का काम शुरू नहीं किया जा सका। प्रशासन ने अदालत से काम पूरा करने के लिए मॉनसून के बाद तक का समय मांगा था। उन्होंने कहा कि बारिश के दौरान निर्माण कार्य करने से आम लोगों को और अधिक परेशानी होगी।

याचिकाकर्ता ने उठाए प्रशासन की मंशा पर सवाल

वहीं, याचिकाकर्ता ने प्रशासन के तर्कों का विरोध किया। उन्होंने कहा कि प्रशासन के पास आचार संहिता लगने और मॉनसून आने से पहले काम शुरू करने के लिए पर्याप्त समय था, लेकिन जानबूझकर देरी की गई। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि अधिकारी इस मामले को टालना चाहते हैं और उनकी मंशा काम करने की नहीं है।

कोर्ट की सख्त टिप्पणी

जस्टिस एस.ए. धर्माधिकारी और जस्टिस देवनारायण मिश्रा की खंडपीठ ने प्रशासन द्वारा दिए गए कारणों को संतोषजनक नहीं माना। कोर्ट ने टिप्पणी की कि आदेश का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दिए जाने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अदालत ने प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कलेक्टर और कमिश्नर को व्यक्तिगत उपस्थिति के लिए समन जारी कर दिया। अब 15 जुलाई को होने वाली अगली सुनवाई में दोनों अधिकारियों को कोर्ट के सामने अपना पक्ष रखना होगा।