जिधर देखो उधर Bloomberg की डायरी की चर्चा

स्वतंत्र समय, इंदौर

दैनिक स्वतंत्र समय में लगातार ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) की डायरियों की खबर छपने के बाद एक बार फिर शिकायतकर्ता सक्रिय हो गए हैं। कलेक्टर दफ्तर में जाकर चप्पल घिसवाने वालों को प्रशासन से फिर उम्मीद बनी है। रोज कलेक्टे्रट आफिस के चक्कर लगाने वाले धोखे के शिकार लोगों से परेशान होकर डायरी वालों को अफसरों ने कह दिया कि रोज-रोज दफ्तर मत आओ, अगले मंगलवार को जनसुनवाई में आना।

Bloomberg डायरी का गोरखधंधा सालों से चल रहा है

ब्लूमबर्ग ( Bloomberg ) के शिकायतकर्ताओं की शुरूआत लोकेश जैन से हुई थी, उनकी शिकायतों के आधार पर कलेक्टर ने हातोद थाना प्रभारी को कालोनी के कर्ताधर्ता प्रफुल्स सकलेचा के खिलाफ पुलिस केस दर्ज करने के लिए पत्र लिख दिया। हालांकि, बीस दिन बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई अभी तक नहीं की है। वैसे तो पुलिस वाले इस बात का इंतजार करते हैं कि उनके थाने में किसी भूमाफिया की शिकायत आ जाए तो उनकी चांदी हो जाती है। भ्रष्ट पुलिस अफसरों के कारण इंदौर में डायरी का गोरखधंधा कई सालों से चल रहा है। अफसरों की बयानबाजी के अलावा भू माफियाओं पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं होती है। स्वतंत्र समय में लगातार खबर छपने के बाद हमारे संवाददाता के पास लगातार पीडि़तो के फोन आ रहे हैंं। पीडि़तों का कहना है कि हमको अब अखबार से ही उम्मीद है। इस मामले को देख रहे एसडीएम और कालोनी सेल के प्रभारी प्रदीप सोनी का कहना है कि हमने जांच करके मामला पुलिस को सौंप दिया है। अब आगे की कार्रवाई पुलिस करेगी।
सेटलमेंट के लिए सकलेचा ने लगाए गुर्गे पीडि़तों का कहना है कि शहर में पांच सौ से ज्यादा डायरी वाले इधर-उधर घूम रहे हैं।

जनप्रतिनिधियों को भी कर चुके हैं शिकायत

जनप्रतिनिधियों के साथ दिक्कत यह है कि भू माफिया कालोनाइजरों से वो चंदा ले लते हैं। इस कारण पीडि़तों की पैरवी अफसरों से नहीं करवाते हैं। प्रफुल्स सकलेचा ने भी कुछ डायरी वालों को बुलाकर एक-दो लाख रुपए में सेटलमेंट करने के लिए अपने गुर्गे लगा दिए हैं। सूत्रों का दावा है कि इस पूरे मामले में कुछ भाजपा नेताओं की भी भूमिका संदिग्ध है। अनुसूचित जाति के एक नेता ने सकलेचा को इस बात की गारंटी दी है कि उनकी पार्टी की सरकार है, कोई कार्रवाई नहीं होगी। प्रफुल्स सकलेचा भाजपा नेताओं के भरोसे खुलेआम शहर में घूम रहा है। कई बार कलेक्ट्रेट दफ्तर में सकलेचा को नोटिस देकर बयान देने के लिए बुलाया गया, लेकिन हर बार सकलेचा ने यह कह दिया कि वो इंदौर से बाहर है।

अफसर खेल रहे नोटिस बाजी का खेल

सकलेचा ने अपने वकील के जरिए कालोनी सेल में जवाब भिजवा दिया, लेकिन अफसरों के सामने जाने की परवाह नहीं की। यही कारण है कि पीडि़त अभी भी परेशान हो रहे हैं। पीडि़तों ने अगले मंगलवार को जनसुनवाई के दौरान हंगामा करने की योजना बनाई है। कुछ पीडि़त तो आत्मदाह करने की चेतावनी भी दे चुके हैं। पुलिस और प्रशासन के अफसर भाजपा नेताओं के दबाव में आकर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं। अफसर अभी केवल नोटिस बाजी का खेल खेल रहे हैं। सकलेचा जैसे कालोनाइजर पर भी कार्रवाई नहीं होने के कारण सांवेर रोड, कनाडिया रोड, धार रोड और खंडवा रोड पर नए भू माफिया किसानों से सिर्फ एग्रीमेंट करके बिना कोई परमिशन के डायरी का धंधा तेजी से कर रहे हैं। इंदौर में डायरी का डायरिया हैजे की बीमारी की तरह फैलता जा रहा है। डायरी का धंधा करने वाले कालोनाइजर मां अहिल्या की नगरी के लिए कलंक साबित होते जा रहे हैं। डायरी वाले कह रहे हैं कि हमने दलालों के चक्कर में पडक़र गलती कर दी। अब दलाल ढूंढने पर भी नहीं मिल रहे हैं।