कांग्रेस पार्टी में अंदरूनी मनमुटाव थमने का नाम नहीं ले रहा है। पार्टी में अंदर ही अंदर कितना विरोध है यह एक बार फिर सामने आया जब मध्य प्रदेश कांग्रेस ने 71 जिलों के लिए नए जिला अध्यक्ष और शहर अध्यक्षों की लिस्ट जारी की है, जिसके बाद पार्टी के अंदर विरोध के स्वर उठने लगे हैं। इंदौर में चिंटू चौकसे को शहर अध्यक्ष और विपिन वानखेड़े को जिला अध्यक्ष बनाए जाने का जमकर विरोध सामने आया है।
राहुल ने दिखा दिया था आईना
राहुल गांधी ने भोपाल में हुई पार्टी की बैठक में खुले रूप से चेतावनी दी थी कि अब कांग्रेस पार्टी में शादी के घोड़े नहीं चलेंगे। जिसे कांग्रेस में अब रेस के घोड़े ही चलेगे। इसका अर्थ यह था कि जो नेता कांग्रेस का जमीनी स्तर पर काम कर रहे है उन्हें ही अब कांग्रेस पार्टी मौका देंगी। जिसकों लेकर कांग्रेस में हलचल तो मची हुई थी। लेकिन हालहिं में मध्यप्रदेश कांग्रेस कमेटी ने जब जिलाध्यक्षो की घोषणा की तो पुरे प्रदेश में अंदरूनी कलह खुलकर सामने आने लगी। इंदौर शहर में अंदरूनी कलह इस तरह खुलकर सामने आई कि कांग्रेस के कई नेताओं ने जिलाध्यक्ष का पद चीटु चौकसे को देने पर आपत्ति तक जाहिर कर दी। इंदौर में चिंटू चौकसे के शहर अध्यक्ष और विपिन वानखेड़े के जिला अध्यक्ष बनाए जाने के बाद से असंतोष सामने आने लगा। विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि सर्वे और रायशुमारी को दरकिनार किया गया है।
निगम प्रतिपक्ष है चिंटु चौकसे
चौकसे इंदौर नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं और वानखेड़े आगर मालवा के पूर्व विधायक हैं। संगठन को नए सिरे से गढ़ने के लिए कांग्रेस ने मध्य प्रदेश में संगठन सृजन अभियान की घोषणा की थी। जिसके चलते उन्होंने ऊर्जावान लोगों को पार्टी का कार्य करने के लिए उतारने की रणनीति बनाई है। जिसके चलते कांग्रेस पार्टी में नई परिपाटी शुरू होती दिख रही है। जून में राहुल गांधी भोपाल पहुंचे थे संगठन सृजन के अभियान में सर्वे से लेकर रायशुमारी जैसे दौर हुए और दिल्ली से टीमें भी पहुंची थीं। अब इंदौर में कांग्रेस के लिए इसे नई शुरुआत माना जा रहा था।
छात्र नेता से विधायक तक रहे है वानखेड़े
पीसीसी अध्यक्ष जीतू पटवारी इंदौर शहर में अपना फिर से दबदबा बनाने के कयास लगा रहे है। जिसके चलते उन्होने अपने पंसद के नेताओं को मैदान में उतारा है। माना जा रहा है कि चौकसे और वानखेड़े दोनों प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी की पसंद है। दरअसल, विगत कुछ सालों से विपिन वानखेड़े आगर-मालवा में ही राजनीति कर रहे थे। उसके पहले विपिन वानखेड़े का इंदौर शहर में नाम चर्चा में रहा है। उन्होने छात्र राजनीति में अपना जमकर रोशन किया था। विगत कुछ सालों से जब वह आगर-मालवा में अपनी पकड़ बना कर विधायक बने तो उनकी इंदौर शहर से दूरियां हो चली थी। अब एक बार फिर वानखेड़े को इंदौर जिले में संगठन खड़ा करने की जिम्मेदारी दी गई है। जबकि चौकसे निगम में नेता प्रतिपक्ष हैं। चौकसे अपने दोस्त और पार्षद राजू भदौरिया को अध्यक्ष बनवाने में जुटे थे, लेकिन संगठन ने उन्हें ही शहर की कमान सौंप दी। इस बीच, अंदर से कुछ लोगों का असंतोष भी सामने आया है। विरोध कर रहे कांग्रेसजनों का कहना है कि सर्वे और रायशुमारी को दरकिनार कर अध्यक्षों का ऐलान करना था तो प्रक्रिया की ही क्यों गई। सीधे नियुक्ति कर देते।
नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़ेगे चिंटु?
इंदौर शहर अध्यक्ष बनने के बाद चिंटु चौकसे और वानखेड़े की ताजपोशी के साथ इंदौर जिले में कांग्रेस के तमाम समीकरण बदलते दिख रहे हैं। विगत दिनों प्रचलित “एक व्यक्ति एक पद” के नारे के बीच सवाल उठ रहा है कि क्या चौकसे अब संगठन के कहने पर नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी छोड़ देंगे? बताया जा रहा है कि चौकसे ने इससे पहले ही अपनी मंशा संगठन के सामने स्पष्ट कर दी थी। अब यह आगामी समय ही तय करेगा कि चौकसे और वानखेड़े की ताजपोशी इंदौर शहर में कांग्रेस को किस ओर ले जाती है। वैसे भी पूरे प्रदेश में इंदौर की राजनैतिक बिसात कैसी बिछ जाए इसका अनुमान कम ही लोग जान पाते है।