स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर विकास के नाम पर भ्रष्टाचार का नाला इंदौर विकास प्राधिकरण ( Indore Development Authority ) में बह रहा है। आईडीए के इतिहास में सबसे बड़े भ्रष्टाचार और घोटाले का खेल 5 महीनों में आईडीए सीईओ राम प्रसाद अहिरवार, मयंक जगवानी, योगेन्द्र पाटीदार, सीसीपी रचना बोचरे एंव टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के प्रमुख षड्यन्त्रकारी डिप्टी डायरेक्टर केएस गवली और डायरेक्टर शुभाशीष बनर्जी ने मिलकर 90 करोड़ से अधिक का भ्रष्टाचारी लेन देन करके अहिल्या पथ में मध्यप्रदेश सरकार और आईडीए को 500 करोड़ से 1000 करोड़ का नुकसान पहुंचाया हैं। कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव ने आईडीए के सीईओ राम प्रसाद अहिरवार पर 75 करोड़ से अधिक राशि भ्रष्टाचार के रूप में भू माफियाओं से प्राप्त करके आईडीए एंव मप्र सरकार को 500 से 1000 करोड़ का आर्थिक नुक़सान पहुँचाया हैं। अहिल्या पथ के नाम पर करोड़ों के भ्रष्टाचार के खेल का प्रारंभ आईडीए अध्यक्ष जयपाल सिंह चावड़ा और सीईओ राम प्रसाद अहिरवार ने संयुक्त रूप से षड्यंत्र बनाकर नवम्बर 2023 में शुरू किया था।
Indore Development Authority जगवानी के माध्यम से शुरू हुआ षड़यंत्र
करोड़ों के घोटाले में षडयंत्र की शुरुआत आईडीए ( Indore Development Authority ) में प्रायवेट कांट्रेक्ट के तौर पर नियुक्त कंसल्टेंट मंयक जगवानी के माध्यम से की गयी थी। साल 2024 जनवरी में चावड़ा को मुख्यमंत्री ने पद से बेदख़ल कर दिया था। लेकिन इसके बाद भी चावड़ा एंव सीईओ अहिरवार ने खेल जारी रखा। अध्यक्ष पद से हटने के बाद चावड़ा करोड़ों के लालच में अहिरवार के साथ मिलकर भू माफियाओं को फ़ायदा पहुंचाकर करोड़ों की वसूली करने में कामयाब हो गये। इस अहिल्या पथ भ्रष्टाचार कांड से मुख्यमंत्री, संभागायुक्त एंव कलेक्टर आज तक अनभिज्ञ हैं। सिलसिलेवार घटनाक्रम देँखें तो एयरपोर्ट से उज्जैन रोड तक पहले से ही मास्टर प्लान की दो सडक़ें विघमान हैं। लेकिन विकास के नाम पर अगर भ्रष्टाचार किया जाये तो पकडऩा बेहद मुश्किल होता हैं। चावड़ा, अहिरवार, जगवानी, गवली, बैनर्जी सहित जमीन के तीन दलाल जादूगर सचिन भाईजी सीए, अतुल काकरिया सहित दो पूर्व अधिकारियों ने मिलकर गिरोह बनाया। इसके पश्चात नवम्बर 2023 से अहिल्या नगर बसाने के नाम पर खेल की शुरुआत हुई।
कोड़ियों के दाम में करवाई जमीन की रजिस्ट्री
नवम्बर 2023 में विधानसभा चुनाव के पश्चात टीपीएस स्कीम के माध्यम से रिज़लाय से उज्जैन रोड़ का खेल शुरू किया गया। जनवरी 2024 में मुख्यमंत्री ने आईडीए अध्यक्ष जयभान सिंह चावड़ा को पद मुक्त कर दिया। इसके पश्चात सारा खेल आईडीए सीईओ राम प्रसाद अहिरवार ने टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डिप्टी डायरेक्टर केएस गवली और डायरेक्टर शुभाशीष बनर्जी के साथ मिलकर खेला। 24 जनवरी को अंतिम बोर्ड मीटिंग में चावड़ा शामिल हुए। इसके पश्चात 15 फऱवरी को बजट बैठक में इस खेल को अमलीजामा पहनाया गया। इसके पश्चात 2 अप्रैल एवं 5 अप्रैल की समीक्षा बैठक में भूमिका बनाई गई। 12 अप्रेल को पहली बार अहिरवार ने अहिल्या पथ की स्कीम की समीक्षा करके खसरों पर सीमांकन कराकर ज़मीन के दलालों को अहिल्या पथ पर लागू होने वाली स्कीम का प्रिंट आउट दे दिया। ज़मीन के जादूगरों ने 20 अप्रैल 2024 से 20 जून 2024 के मध्य 155 एकड़ के नक्शे टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से स्वीकृत कराये जबकि टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के डायरेक्टर को यह मालूम था की उक्त भूमि पर आईडीए की स्कीम लागू होने वाली है। क्योंकि प्रत्येक बोर्ड मीटिंग में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग अधिकारी शामिल रहे हैं। कोडिय़ों के दामों में ज़मीन की रजिस्ट्री कराकर डायवर्शन भी तत्काल कराया गया। बुलेट ट्रेन की गति से यह कार्य किया गया। पिछली बोर्ड मीटिंग में यह स्कीम लॉंच होना थी लेकिन कुछ बड़े ज़मीन के सौदे भोपाल के एक अधिकारी को करना थे। इसलिए 9 जुलाई की बोर्ड मीटिंग में यह मामला रखने के बाद भी हटा लिया गया। सारा मामला सेट होने के बाद आज 16 अगस्त आईडीए बोर्ड मीटिंग में अहिल्या पथ स्कीम लॉंच करके भ्रष्टाचारियों के विकास की गाथा लिखी जाना हैं।
आईडीए की स्कीम का किया बंटाढार
कांग्रेस महासचिव राकेश सिंह यादव के अनुसार सीईओ अहिरवार ने पूर्व मुख्यमंत्री को चुनाव में 20 करोड़ की आर्थिक मदद खुलेआम की हैं।पूर्व मुख्यमंत्री का खुला संरक्षण सीईओ राम प्रसाद अहिरवार को प्राप्त हैं। प्रमोटी आईएएस भी पूर्व मुख्यमंत्री की मेहरबानी से बनने के बाद भ्रष्टाचार के नये कीर्तिमान बना रहे हैं। इसी खेल के पैसों को ही पूर्व मुख्यमंत्री के लोकसभा चुनाव में लगाया गया हैं। सीईओ अहिरवार ने लगभग 75 करोड़ से ज़्यादा की राशि लेकर आईडीए की स्कीम का बंटाधार कर दिया हैं। प्रति एकड़ 65 लाख से 75 लाख भू माफियाओ से मिले हैं। इस खेल से आईडीए को लगभग 4 लाख 50 हज़ार वर्ग फि़ट क्षेत्रफल प्लॉट एरिया का सीधा नुक़सान हुआ हैं। जिसका वर्तमान लागत लगभग 500 से 1000 करोड़ है। इसका सीधा मतलब यह है कि ज़मीन का नक्शा टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से स्वीकृत कराने वाले 500 से 1000 करोड़ आने वाले 5 सालों में कमाएँगे । वहीं सारा डेवलपमेंट आईडीए मुफ़्त में करके देगा। वहीं आईडीए और म.प्र. सरकार को लगभग 1000 करोड़ की राजस्व हानि होने जा रहीं हैं।