इंदौर पूर्वी रिंग रोड: 5 हजार करोड़ की लागत से बनेगा 84 किमी लंबा कॉरिडोर, 44 गांवों की जमीन होगी अधिग्रहित

इंदौर के बुनियादी ढांचे को मजबूती देने के लिए प्रस्तावित पूर्वी रिंग रोड (Eastern Ring Road) परियोजना अब धरातल पर उतरने को तैयार है। आउटर रिंग रोड के दूसरे चरण के रूप में देखे जा रहे इस प्रोजेक्ट के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज कर दी गई है। यह कॉरिडोर न केवल शहर के यातायात को सुगम बनाएगा, बल्कि आसपास के औद्योगिक क्षेत्रों को भी नई कनेक्टिविटी प्रदान करेगा।

प्रशासनिक स्तर पर इस महत्वाकांक्षी परियोजना की रूपरेखा पूरी तरह तैयार कर ली गई है। पूर्वी बायपास के निर्माण के लिए इंदौर और देवास जिले के कुल 44 गांवों को चिह्नित किया गया है। इन गांवों की लगभग 696 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) और जिला प्रशासन मिलकर इस प्रक्रिया को आगे बढ़ा रहे हैं।

5000 करोड़ रुपये का होगा निवेश

इस पूरे प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत करीब 5,000 करोड़ रुपये आंकी गई है। यह नया कॉरिडोर 84 किलोमीटर लंबा होगा, जो इंदौर के पूर्वी हिस्से में एक नई लाइफलाइन की तरह काम करेगा। इसके बनने से शहर के अंदरूनी हिस्सों में भारी वाहनों का दबाव कम होगा और देवास की ओर जाने वाला ट्रैफिक बिना शहर में प्रवेश किए बाहर से ही निकल सकेगा।

जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया तेज

अधिकारियों के अनुसार, भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया को पारदर्शिता और तेजी के साथ पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। जिन 44 गांवों की जमीन ली जानी है, वहां के किसानों और भू-स्वामियों के साथ प्रक्रियात्मक कदम उठाए जा रहे हैं। प्रशासन का प्रयास है कि मुआवजे और पुनर्वास से जुड़े मामलों को समय रहते सुलझा लिया जाए ताकि निर्माण कार्य में कोई बाधा न आए।

परियोजना का महत्व

इंदौर मध्य प्रदेश की व्यावसायिक राजधानी है और यहाँ लगातार ट्रैफिक का दबाव बढ़ रहा है। पश्चिमी रिंग रोड के बाद अब पूर्वी रिंग रोड का निर्माण शहर के चारों ओर एक मजबूत सड़क नेटवर्क तैयार कर देगा। इससे न केवल लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन में सुधार होगा, बल्कि रियल एस्टेट और औद्योगिक निवेश के लिए भी नए रास्ते खुलेंगे। 84 किलोमीटर लंबा यह कॉरिडोर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखकर डिजाइन किया जा रहा है।