इंदौर: इंदौर विकास प्राधिकरण (IDA) की प्रस्तावित आवासीय योजना ‘स्कीम 171’ को लेकर विवाद गहरा गया है। सोमवार को इस योजना से प्रभावित सैकड़ों किसानों और भूमिस्वामियों ने कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जोरदार प्रदर्शन किया। उन्होंने कलेक्टर आशीष सिंह से मुलाकात कर एक ज्ञापन सौंपा और योजना को तत्काल रद्द करने की मांग की। किसानों के समर्थन में विधायक मालिनी गौड़ और पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता समेत कई जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहे।
यह मामला बड़ा बांगड़दा, पालखेड़ी, लिम्बोदागारी, टिगरिया बादशाह और रेती मंडी जैसे इलाकों की कृषि भूमि से जुड़ा है। किसानों का कहना है कि आईडीए ने उनकी सहमति के बिना यह योजना तैयार की है, जो पूरी तरह से उनके हितों के खिलाफ है।
किसानों का आरोप- बिल्डरों को फायदा पहुंचाने की साजिश
प्रदर्शन कर रहे भूमिस्वामियों ने आरोप लगाया कि आईडीए की यह स्कीम उन्हें उचित मुआवजा देने के बजाय कुछ चुनिंदा बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए लाई गई है। किसानों का नेतृत्व कर रहे पूर्व पार्षद दिलीप शर्मा ने कहा कि आईडीए उनकी बेशकीमती जमीन के बदले सिर्फ 20 प्रतिशत विकसित जमीन देने की बात कर रहा है, जो उन्हें किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं है।
किसानों का दावा है कि कई बिल्डरों ने पहले ही इस क्षेत्र में जमीनें खरीद ली हैं और अब आईडीए उनके फायदे के लिए यह योजना ला रहा है। उनकी मांग है कि यदि योजना लागू करनी ही है तो इसे सरकार की ‘लैंड पूलिंग’ नीति के तहत लाया जाए, ताकि उन्हें उनकी जमीन का सही और न्यायपूर्ण मुआवजा मिल सके।
जनप्रतिनिधि भी किसानों के समर्थन में उतरे
किसानों के इस विरोध प्रदर्शन को स्थानीय जनप्रतिनिधियों का भी पुरजोर समर्थन मिला। इंदौर-4 से विधायक मालिनी गौड़ और पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता भी कलेक्टर कार्यालय पहुंचे। उन्होंने किसानों की मांगों को जायज ठहराते हुए कहा कि वे इस लड़ाई में पूरी तरह उनके साथ हैं। जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी से किसानों के पक्ष को और मजबूती मिली है।
कलेक्टर ने दिया जांच और न्याय का आश्वासन
किसानों और जनप्रतिनिधियों के प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ने मामले की गंभीरता को स्वीकार किया। उन्होंने प्रदर्शनकारियों को आश्वासन दिया कि वे इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराएंगे।
कलेक्टर ने कहा, “मैं जल्द ही आईडीए के अधिकारियों के साथ एक बैठक करूंगा और किसानों के पक्ष को मजबूती से रखूंगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी किसान के साथ अन्याय न हो।” हालांकि, किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं और स्कीम 171 को रद्द नहीं किया गया, तो वे एक बड़ा और उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होंगे।