इंदौर वासियों के लिए यह दीपावली संकेत दे गई है कि जल्द ही अपने पर्यावरण को सुधारने का प्रयास कर ले अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब इंदौरवासी भी दिल्ली की तरह शद्ध हवा के लिए तरसने लग जाएंगे। इस बार इंदौरवासियों की आतिशबाजी पर्यावरण के लिए हानिकारक साबित हुई है। इंदौर में दीपावली की रात पटाखों के धुएं से वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 500 तक पहुंच गया, जो ‘खतरनाक’ स्तर है। रीगल क्षेत्र में आठ घंटे तक एक्यूआई 500 रहा, जबकि एयरपोर्ट क्षेत्र में सात घंटे तक यह स्तर बना रहा। शहर के अन्य क्षेत्रों में भी प्रदूषण का स्तर उच्च रहा।
अलसुबह तक बना रहा प्रदुषण का स्तर
दीपावली की रात हुई आतिशबाजी और पटाखों के धुएं के कारण प्रदूषण वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) इंदौर में उच्च स्तर पर पहुंचा। रीगल क्षेत्र में मंगलवार सुबह तक प्रदूषण ‘खतरनाक’स्तर 500 पर रहा। यही स्थिति एयरपोर्ट क्षेत्र में भी रही, जहां सात घंटे तक वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर 500 रहा। रात में कुछ समय के लिए वायु प्रदूषण स्तर की यह स्थिति शहरवासियों के स्वास्थ्य के लिए इमरजेंसी अलर्ट की तरह ही थी। रेसीडेंसी क्षेत्र में रात 12 से दो बजे तक प्रदूषण उच्च स्तर पर पहुंचा।
हरियाली वाले क्षेत्रों में दिखा कम असर
शहर के इन तीन इलाकों के मुकाबले रीजनल पार्क क्षेत्र में ज्यादा हरित क्षेत्र व कम आबादी होने के कारण प्रदूषण स्तर कम रहा। इस क्षेत्र में प्रदूषण का उच्चतम स्तर 395 तक पहुंचा, जो खतरनाक श्रेणी में है। इस तरह की स्थिति आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए आपातकालीन स्थिति मानी जाती है। यानी वायु गुणवत्ता सूचकांक की खतरनाक श्रेणी के दौरान घर से बाहर निकलने वाले लोगों को खांसी, श्वसन संबंधी बीमारी होने का खतरा ज्यादा रहता है।
इंदौर का औसत एक्यूआई 154 रहा
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार शहर में सोमवार का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक स्तर 154 रहा। इसके अलावा पिछले तीन वर्षों के मुकाबले शहर में इस बार दीपावली पर वायु गुणवत्ता सूचकांक का स्तर कम रहा। विजयनगर व रीगल क्षेत्र में पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार भले प्रदूषण का स्तर कम दर्ज किया गया, लेकिन महूनाका क्षेत्र में इस बार पिछले साल के मुकाबले प्रदूषण अधिक रहा।
सांस के रोग के मरीजों की बढ़ेगी संख्या
500 से अधिक एक्यूआई का स्तर आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक स्थिति होती है। तय मानक से पीएम 10 व पीएम 2.5 का स्तर अधिक होने पर लोगों को निमोनिया व अस्थमा होने की आशंका रहती है। पहले से श्वसन व दमा संबंधित मरीजों के अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति बन सकती है। लंबे समय तक एक्यूआई का यह स्तर हो तो लोगों को कैंसर होने खतरा रहता है।