इंदौर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने मंदसौर जिले के मल्हारगढ़ में लगभग दो साल पहले एक युवक की संदिग्ध मौत के मामले में पुलिस की जांच पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने पुलिस की पूरी कार्यप्रणाली को ‘संदिग्ध और शंकास्पद’ करार देते हुए मामले की दोबारा जांच के आदेश दिए हैं। अदालत ने मंदसौर के पुलिस अधीक्षक को एक नई टीम गठित कर तीन महीने के भीतर जांच पूरी करने का निर्देश दिया है।
क्या है पूरा मामला?
यह मामला 2 अक्टूबर 2022 का है, जब मल्हारगढ़ निवासी 22 वर्षीय सोहेल मंसूरी का शव रेलवे ट्रैक पर मिला था। मल्हारगढ़ पुलिस ने शुरुआती तौर पर इसे एक हादसा मानते हुए मर्ग कायम किया था और जांच के बाद फाइल बंद कर दी थी। पुलिस ने इसे ट्रेन से कटकर हुई मौत बताया था।
हालांकि, मृतक के परिजन शुरुआत से ही इसे हत्या का मामला बता रहे थे। उनका आरोप था कि कुछ लोग सोहेल को घर से बुलाकर ले गए थे और बाद में उसका शव रेलवे ट्रैक पर मिला। उनका दावा था कि सोहेल की हत्या कर शव को ट्रैक पर फेंका गया ताकि यह एक हादसा लगे।
पुलिस जांच से असंतुष्ट परिजन पहुंचे हाईकोर्ट
स्थानीय पुलिस की जांच से असंतुष्ट होकर मृतक सोहेल के परिजनों ने अधिवक्ता केके गुप्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की। याचिका में पुलिस जांच पर सवाल उठाए गए और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की गई। याचिका में कहा गया कि पुलिस ने प्रभावशाली लोगों के दबाव में आकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश की और हत्या को दुर्घटना का रूप दे दिया।
कोर्ट ने पुलिस की जांच को बताया शंकास्पद
मामले की सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति विवेक शरण की एकलपीठ ने पुलिस की जांच रिपोर्ट और केस डायरी का अवलोकन किया। कोर्ट ने पाया कि पुलिस की जांच में कई खामियां हैं और उनकी कार्रवाई संदेह के घेरे में है। अदालत ने अपनी टिप्पणी में कहा कि पुलिस का रवैया और जांच की प्रक्रिया पूरी तरह से शंकास्पद है।
इस गंभीर टिप्पणी के साथ हाईकोर्ट ने मंदसौर के पुलिस अधीक्षक (SP) को मामले की दोबारा जांच के लिए एक नई टीम गठित करने का आदेश दिया। कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि नई जांच टीम का नेतृत्व पुलिस उपाधीक्षक (DSP) रैंक से नीचे का अधिकारी नहीं करेगा। अदालत ने जांच पूरी कर तीन महीने में रिपोर्ट पेश करने को कहा है। इस फैसले से मृतक के परिजनों को न्याय की उम्मीद जगी है।