हाईकोर्ट के फैसले के बाद ही हटाया जाएगा BRTS

स्वतंत्र समय, इंदौर

बीआरटीएस ( BRTS ) को हटाने पर महापौर एवं एआईसीटीएसएल चेयरमैन पुष्यमित्र भार्गव ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के भोपाल की तरह इंदौर के बीआरटीएस को भी हटाने की घोषणा का स्वागत करते हुए इस ऐतिहासिक निर्णय को जनहित में इंदौर के ट्रैफिक को सुगम बनाने की दृष्टि से और देश कि वर्तमान में परिस्थिति से निर्णय को उचित बताया है।

ट्रैफिक को सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से हटा रहे BRTS

इस मामले में प्रदेश के नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने भी मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा की इंदौर के ट्रैफिक को सुगम एवं सुव्यवस्थित बनाने के उद्देश्य से बीआरटीएस ( BRTS  ) को हटाए जाने की दिशा में आगे बढऩे के निर्णय हेतु मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव जी के प्रति हृदय से अभिनन्दन व आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि बीआरटीएस को हटाने का यह निर्णय निश्चित ही अभिनंदनीय है जिससे शहर के हित में कई सकारात्मक परिणाम होंगे।

ट्रैफिक को सुगम बनाने 4-5 पुल बनाने की तैयारी

पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि मुख्यमंत्री के इस निर्णय को लेने के कई सारे कारण हो सकते हैं जो मुझे लगते हैं एक एबी रोड पर आने वाले समय में ट्रैफिक को सुगम बनाने की दृष्टि से 4-5 पुल बनाने की तरफ हम आगे बढ़ रहे हैं जिसका फिजिबिलिटी सर्वे भी बहुत तेजी से हो रहा है। दूसरा जब इस बीआरटीएस को बनाने की कल्पना हुई थी शहर में अर्बन ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देने की दृष्टि से और बीआरटीएस के माध्यम से जो पैसा शहर में आया उस कारण से ये पूरा रोड बना सडक़ बनी एंड टू एंड सडक़ बन गई।

मुख्यमंत्री का यह फैसला बहुत ऐतिहासिक

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि पूरे शहर की दृष्टि से उस बीआरटीएस को यदि हम कर पाते तो एक बड़ी उपलब्धि होती है पब्लिक ट्रांसपोर्ट की दृष्टि से इसलिए कॉमन एरिया में चलने वाले लोगों की सुविधा मुख्य मार्ग पर ट्रैफिक को सुगम बनाने की दृष्टि से भविष्य में होने वाले निर्माण जो अपने आप ट्रैफिक कंजेशन को ठीक करेंगे। इन कारणों से मुख्यमंत्री का यह फैसला बहुत ऐतिहासिक है हम इसका स्वागत करते हैं । साथ ही माननीय उच्च न्यायालय में जो जनहित याचिका लगी थी या एक और अन्य कोई याचिका जो लगी है उसके बारे में मैं यह कह सकता हूं कि भले कोई बीआरटीएस हटाने के लिए कोर्ट में गया उसको लेकर माननीय न्यायालय ने समय समय पर अलग-अलग कमिटीज भी बनाई। कई बार फैसले भी आए लेकिन आज उसको हटाने की याचिका लंबित है और मुख्यमंत्री का निर्णय नीतिगत निर्णय पॉलिसी डिसीजन है तो अगर यह नीतिगत निर्णय है।

बसों की संख्या बढ़ाएंगे

महापौर भार्गव ने कहा कि एक बात मैं बहुत स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मान लीजिए बीआरटीएस हट जाता है, फिर भी पब्लिक ट्रांसपोर्ट बस बंद नहीं होगी, लोगों की सुविधाओं के लिए चलने वाली बसें बनी रहेगी। हम उसको और सुगम सुलभ बनाने के लिए व्यवस्थाएं देंगे आवश्यकताएं पड़ेंगी, तो बसों की संख्या बढ़ाएंगे अभी पलासिया उसका उदाहरण है।

चलती रहेंगी बसें बंद नहीं होंगी

उन्होंने कहा कि प्रथम दृष्टया बस बदलनी पड़ेगी लेफ्ट हैंड पर स्टॉप बनाने पडेंगे। इतना ही हमको करना पडेगा वो हम करेंगे। इसलिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट और सुगम हो बसें जो है वो चलती रहेंगी बसें बंद नहीं होंगी। लोगों के लिए आवागमन के संसाधन और जितने बढ़ाने की आवश्यकता होगी वो बढाएंगे। बीआरटीएस जब बना तब और अभी की परिस्थितियों में बदलाव है। इसलिए यह निर्णय जनहित का है। महापौर ने कहा कि चूंकि ये मामला उच्च न्यायालय में लंबित है इस पर 2-3 माननीय न्यायाधीश महोदय के अलग-अलग व्यूज भी आए हैं तो एक याचिका के निराकरण के बाद होना।

  • नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मुख्यमंत्री के प्रति आभार व्यक्त किया
  • महापौर ने सीएम के निर्णय का किया स्वागत
  • बीआरटीएस में दौडऩे वाली बसें चलती रहेगी
  • लोक परिवहन की शेष व्यवस्थाएं बनी रहेगी
  • 4 फ्लायओव्हर ब्रिज के लिए फिजिबिलिटी सर्वे शुरु

BRTS तेरह साल बाद क्यों लग रहा गलत : अभिषेक चेंडके

अहमदाबाद के जिस बीआरटीएस प्रोजेक्ट को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पसंद करते हंै। जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे, जो काफिले को छोडक़र बीआरटीएस की बस में सवार होकर गंतव्य तक जाते थे। अहमदाबाद की देखा- देखी बना इंदौर का बीआरटीएस अब प्रदेश सरकार की आंखों में चुभने लगा। उसे तोडऩे की घोषणा का जश्न मनाया जा रहा है। अखबारों में विज्ञापन छप रहे है। जनता के गाढ़ी कमाई को उजाडऩे का ये कैसा जश्न? यदि यह फैसला पहले लिया जाता तो मेट्रो का रुट बीआरटीएस से गुजरता,क्योकि सबसे पहले हुए सर्वे में दिल्ली मेट्रो ट्रेन कापोरेशन के अफसरों ने इस रुट को मेट्रो के लिए सबसे लायक माना था, लेकिन तब इसे बनाने वाले अफसरों ने ‘उस तरफ देखना भी मत’ की चेतावनी सर्वे करने आए अफसरों को दी थी। अब तेरह साल बाद इसे तोडऩे की घोषणा का क्या तुक? जब परिस्थितियां बदल चुकी है।
अब यह तथ्य भी ध्यान रखना होगा कि बीआरटीएस के ट्रैफिक का बड़ा हिस्सा पूर्वी रिंग रोड पर डायवर्ट हो गया,क्योकि खजराना चौराहा से आईटी पार्क तक चार ब्रिज बन गए। दो और बन रहे है, उसके बाद तो बीआरटीएस का ट्रैफिक लोड और कम हो जाएगा। भंवरकुआ तक जाने के लिए कई वाहन चालक एलआईजी से रिंग रोड को राह अपनाने लगे है।
इसी कारण बीआरटीएस के एलिवेटेड रोड के सर्वे में भी एलआईजी से भंवरकुआ चौराहे तक का ट्रैफिक लोड चार प्रतिशत आया। ट्रैफिक कम होने के कारण उसे प्रोजेक्ट को रद्द करना पड़ा। आने वाले सालों में मेट्रो ट्रेन भी रिंग रोड से चलेगी। सिर्फ ब्रिज बनाने के लिए बीआरटीएस को तोडऩे का फैसला अजीबोगरीब है। बीआरटीएस के सबसे व्यस्त चौराहे विजय नगर और पलासिया पर तो वैसे ही ब्रिज नहीं बन पाएंगे,क्योकि वहां से मेट्रो रुट क्रास हो रहा है। फिर तीन चार चौराहों पर ब्रिज बनाने के लिए 300 करोड़ के बीआरटीएस को कुर्बान करने का क्या मतलब ?
यह भी सच है कि बीआरटीएस लेन में चलने वाली बसों में दिनभर 70 हजार से ज्यादा यात्री सफर करते है। इनमें ज्यादातर विद्यार्थी है। अब उनका क्या? ब्रिज तो बीआरटीएस लेन को बचाकर भी बनाए जा सकते है। एमवाय से व्हाईट चर्च की तरफ, एमजी रोड चौराहा से शेख हातिम चौराहा की तरफ क्या ब्रिज नहीं बन सकते। असल में ब्रिज की जरुरत भी क्रास जंक्शन पर है। जरुरी नहीं कि उन्हें बीआरटीएस पर ही बनाया जाए।