राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
प्रापर्टी में लगातार मंदी बढ़ने के कारण जो कालोनियां ( colonies ) पूरी तरह से डेवलप नहीं हो पाईं हैं, उनका काम बंद हो गया है। ‘अधूरे डेवलपमेंट’ के कारण कालोनाइजर को प्लाट की किस्तें देना बंद कर दी हैं, ऐसे में सारे प्रोजेक्ट बन पायेंगे, ये कहना मुश्किल है।
किस्त नहीं आने से colonies का डेवलपमेंट बंद हो गया
कालोनाइजर ने प्लाटधारियों के भरोसे कालोनी ( colonies ) का डेवलपमेंट शुरू कर दिया, कालोनाइजर को भरोसा था कि प्लाटधारी किस्तें समय पर देते रहेंगे तो उस पैसे से कालोनी का डेवलपमेंट होता जायेगा। अब दिक्कत ये हो गयी है कि किस्त का पैसा आना बंद हो गया तो कालोनाइजर ठेकेदारों को पैसा नहीं दे पा रहा है। ऐसे में कालोनियों का विकास का काम पूरी तरह से ‘ठप्प’ हो गया, ना तो पूरी सडक़ें बन पायीं हैं, ना पानी की टंकी का पता है, ना बगीचे का, सिर्फ कालोनी का गेट बन गया है, लेकिन सडक़ें भी अधूरी पड़ी हैं। अब कालोनाइजर प्लाट वालों को बकाया किस्त देने के लिए लगातार फोन लगा रहे हैं। प्रापर्टी में आयी मंदी के कारण इन्वेस्टर की हालत भी खराब हो गई है। इन्वेस्टर तो अब अपनी फंसी हुई प्रापर्टियों को बेचने की बात कर रहा है। कुल मिलाकर वायपास से लेकर सुपर कॉरिडोर, धार रोड, खंडवा रोड और देवास नाका तरफ सब कालोनियां ठप्प हो गई हैं। सबसे ज्यादा हालत उज्जैन रोड की खराब है, जहां पर ‘सिक्स लेन रोड और सिंहस्थ’ के नाम पर सबसे ज्यादा कालोनियां कटीं। अधिकांश कालोनियों के भाव इतने गिर गये हैं कि आज की तारीख में जिस भाव में लोगों ने प्रापर्टी खरीदी थी उस भाव में भी प्लाट वापिस नहीं बिक पा रहे हैं। कुल मिलाकर इंदौर में प्रापर्टी कारोबार अंधकार में है। जिसे दो-तीन साल पहले ‘उजाला’ मिलने की कोई संभावना नहीं दिखाई दे रही है। ऐसे में कोई भी कुछ कहने की स्थिति में नहीं है।