विपिन नीमा, इंदौर
शहर के अति व्यस्त रीगल , हाईकोर्ट और पलासिया चौराहों पर जिग-जैग लाइन या येलो बॉक्स ( yellow box ) मार्किंग पैटर्न जैसे असामान्य ट्रैफिक चिह्नों ने शायद आपका ध्यान खींचा होगा। येलो बाक्स चौराहा एक नए प्रकार सडक़ चिह्न है, जो भारतीय सडक़ कांग्रेस (आईआरसी) में दर्ज है। येलो बॉक्स मार्किंग का मतलब यह है की जिÞग-जैग रेखा आगे पैदल यात्री क्रॉसिंग को इंगित करती है, और वाहन चालक इस चिह्न द्वारा कवर किए गए क्षेत्र में रुक या ठहर नहीं सकते हैं। पीले चेकर पैटर्न, जिन्हें येलो बॉक्स मार्किंग के रूप में भी जाना जाता है, उस क्षेत्र को इंगित करते हैं जहां मोटर चालकों को अनिवार्य रूप से सडक़ खाली करनी होती है और रुकना नहीं होता है।
शहर के तीन चौराहों पर yellow box मार्किंग हो चुकी है
आने वाले दिनों में इस तरह की डिजाइन वाले टै्रफिक चिन्ह् शहर के लगभग सभी प्रमुख चौराहों पर नजर आने लगेंगे। नगर निगम और टै्रफिक पुलिस ने येलो बॉक्स ( yellow box ) मार्किंग के लिए चौराहों का चयन कर लिया है। फिलहाल शहर के तीन चौराहों पर येलो बॉक्स मार्किंग हो चुकी है। कुछ चौराहों पर जल्द ही मार्किंग होने वाली है। एक चौराहे की मार्किंग पर लगभग 40 से 50 हजार रुपया खर्च किए जा रहे है। जानकारी के मुताबिक शहर में टै्रफिक व्यवस्था सुधार की दिशा में कई तरह के प्रयोग हुए है। शहर जिस गति से बढता और फैलता जा रहा है उसी रफ्तार से वाहनों की संख्या में भी तेजी से इफाजा होता जा रहा है। वाहनों की संख्या बढने के कारण शहर के सभी प्रमुख चौराहों पर जाम की स्थिति बनी रहती है। नगर निगम ने शहर के जिन तीन चौराहों पर येलो बॉक्स मार्किंग की है उनमें रीगल चौराहा, हाईकोर्ट चौराहा और पलासिया चौराहा शामिल है। बताया गया है की येलो बॉक्स मार्किंग के लिए जो शहर के जिन प्रमुख चौराहों का चयन किया गया है उनमें विजय नगर, एलआईजी , शिवाजी वाटिका, जीपीओ, नवलखा, सपना संगीता, मालगंज, यशवंत रोड , रेडीशन, पाटनीपुरा, चिमनबाग, बड़ा गणपति, वीआईपी रोड, कालानी नगर , एयरपोर्ट रोड आदि शामिल है।
चौराहों पर इसलिए बनाए जाते है येलो बॉक्स
बताया गया है कि यह व्यवस्था ट्रैफिक को सुगम बनाने के लिए होती है। जिन चौराहे पर ट्रैफिक का दबाव अधिक होता है, वहां सिग्नल पाइंट की स्टॉप लाइन के बाहर इस बॉक्स को बनाया जाता है। पूरे चौराहे पर बॉक्स बने होते हैं। बॉक्स इसलिए बनाए जाते हैं, ताकि कोई वाहन बीच चौराहे पर फंस गया है या रूका हुआ है तो पीछे वाले वाहन को मार्किंग देख अपने वाहन को सिग्नल पाइंट की स्टॉप लाइन के पहले रोक देना चाहिए। ऐसा करने से विपरीत दिशा के सिग्नल खुलते ही वाहनों को चौराहा क्रॉस करने में आसानी होती है। इससे जाम की स्थिति निर्मित नहीं होगी। यलो जंक्शन बॉक्स मार्किंग में वाहन को तभी प्रवेश कराना है, जब एग्जिट यानी चौराहे के दूसरी ओर का पाइंट क्लीयर हो और वहां आसानी से वाहन ले जाया जा सके। इस बीच बिना वाहन रोके चालक को चौराहा क्रॉस करना होता है।
बैंगलूरु में हर चौराहे पर है येलो मार्किंग
एक अधिकारी ने बताया की बैंगलोर की सडक़ों पर यात्रा करते समय, चौराहों से गुजरते समय बड़े-बड़े सडक़ चिह्नों को देख सकते हैं। ये पीले रंग के बॉक्स गार्डन सिटी की धीमी और जाम से भरी सडक़ों को ठीक करने के लिए पुलिस द्वारा किया गया नवीनतम प्रयास है। शहर के मुख्य चौराहों पर पीले रंग के बॉक्स लगा दिए गए हैं।
येलो बॉक्स जंक्शन के नियम क्या हैं?
इस नियम के तहत सडक़ पर क्रॉस-क्रॉस पीली रेखाएँ पेंट की गई हैं (‘रोड मार्किंग’)। जब तक आपकी निकास सडक़ या लेन खाली न हो जाए, आपको बॉक्स में प्रवेश नहीं करना चाहिए। हालाँकि, जब आप दाएँ मुडऩा चाहते हैं, तो आप बॉक्स में प्रवेश कर सकते हैं और प्रतीक्षा कर सकते हैं, और ऐसा करने से आपको केवल आने वाले ट्रैफिक या दाएँ मुडऩे के लिए प्रतीक्षा कर रहे अन्य वाहनों द्वारा रोका जाता है।
येलो बॉक्स मार्किंग के बारे में कुछ और बातें
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येलो बॉक्स मार्किंग का इस्तेमाल, सडक़ जंक्शन, ट्राम पटरियों के जंक्शन, रेलवे क्रॉसिंग, बस लेन के निकास द्वारों वगैरह पर किया जाता है।
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चौराहे पर, वाहन चालकों को स्टॉप लाइन पर रुकना होता है, लेकिन वे जेब्रा क्रासिंग पार कर येलो बॉक्स में खड़े हो जाते हैं.
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पैदल राहगीरों को येलो बॉक्स में नहीं जाना चाहिए, बल्कि उन्हें जेब्रा क्रासिंग से ही सडक़ पार करनी चाहिए।
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पीले बॉक्स जंक्शन में रुकने के लिए कोई तय समय सीमा नहीं है।
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अगर निकास का रास्ता साफ न हो, तो बॉक्स में जाने से बचना चाहिए।
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बॉक्स में प्रवेश करने के बाद, जितनी जल्दी हो सके, उससे बाहर निकल जाना चाहिए।
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कई बॉक्स जंक्शनों पर कैमरे लगे होते हैं. अगर कोई गलत तरीके से बॉक्स का इस्तेमाल करता है, तो उस पर जुमार्ना लगाया जा सकता है।