राजेश राठौर
exclusive
स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर के ठगोरे कॉलोनाइजरों ( land mafia ) ने जनता को कुछ इस तरह से ठगा जिसके पास उदाहरण के लिए दस एकड़ जमीन थी उसमें पन्द्रह एकड़ के हिसाब से फर्जी नक्शे के आधार पर प्लॉट बेच दिए, बाद में प्लॉट वाले जब मौके पर गए तो प्लॉट ही नहीं मिले, कॉलोनाइजर ऐसे लोगों को लगातार झूठ बोलकर टरका देते हैं।
land mafia प्रापर्टी का डब्बा गोल पार्ट- 10
सुपर कॉरिडोर पर कटी एक कालोनी ब्लूमबर्ग में कालोनाइजर ( land mafia ) ने ऐसा ही किया जितनी जमीन वास्तव में किसान से खरीदी थी उससे अधिक जमीन पर कालोनी काटना बता दिया। फर्जी नक्शे के आधार पर डेढ़ गुना प्लॉट बेच दिए, लोग डायरी लेकर खुश हो गए, कॉलोनाईजर प्रफुल्लित होता रहा कि उसने जनता को गुमराह कर दिया। लोगों से प्लाट के पैसे वसूल लिए। वास्तव में इतने प्लॉट तो थे नहीं, फिर प्लॉट लेने वाले कॉलोनाईजर के चक्कर काटते रहे। दवाब बना तो कॉलोनाईजर ने कह दिया कि किसान बदमाश निकला, हमें पूरी जमीन नहीं दी, तो प्लॉट वालों ने कहा कि किसान से एग्रीमेंट के आधार पर कैसे प्लॉट काट दिए, तो फिर कॉलोनाईजर ने झूठ बोला कि किसान से जितनी जमीन का एग्रीमेंट हुआ था, उतनी जमीन की किसान ने रजिस्ट्री करने से मना कर दिया। जबकि हकीकत यह थी कि किसान को जब कॉलोनाईजर ने पूरी जमीन का पैसा नहीं दिया तो फिर किसान तो उतनी ही जमीन की रजिस्ट्री करायेगा जितनी जमीन का पैसा मिला है। कॉलोनाईजर ने कुछ लफड़े की जमीनें खरीद लीं, इसलिए लफड़े की जमीन पर कॉलोनाईजर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग से नक्शा मंजूर नहीं करा पाया। जब ऐसा हुआ तो कॉलोनाईजर लोगों को प्लॉट नहीं दे पाया। अब ऐसे कई प्लॉट वाले चाय की गुमठी वाली डायरी लेकर मारे-मारे घूम रहे हैं। इस तरह के कई हादसे आम आदमी के साथ हुए, लोग प्रापर्टी के ऐसे दीवाने हो गए थे कि लगातार धोखे खाते गए। अब, जब लोगों के साथ धोखे हुए तो वो परेशान हो गए हैं। ऐसे टोपीबाज कॉलोनाईजरों के कारण इंदौर की प्रापर्टी लगातार गर्त में जाती रही, लोगों का विश्वास उठा इसी कारण दूसरे लोगों ने प्रापर्टी में इन्वेस्टमेंट करना बंद कर दिया। जो तेजी आई थी वो तेजी फ्लॉफ साबित हो गई, क्योंकि वास्तव में प्लॉट के भाव हवा में तैर रहे थे। लोग समझे कि एक दो प्लॉट तो ले ही लो, नहीं तो भाव बढ़ जाएंगे और हम प्लॉट लेने से वंचित रह जाएंगे। लोगों की इसी भावना का फायदा उठाकर नटवरलाल कॉलोनाईजरों ने कई कालोनियां काट दीं। वास्तव में प्रापर्टी में इतनी तेजी नहीं थी जितनी बताई गई।
अब लोग सिर पर माथा रखकर पश्चाताप कर रहे हैं कि हम कहां फंस गए। इनकी कोई अब सुनवाई भी नहीं कर रहा है, इंदौर में पहले जहां रोजाना लगभग हर घर में प्रापर्टी खरीदने की खुशी मनाई जाती थी। वहां अब एक तरह से मातम मन रहा है। अपने जीवन की पूंजी लगाकर जो लोग धोखे के शिकार हो गए वो रोने पर मजबूर हैं। हमेशा जैसा होता रहा है वैसा ही इन प्लाटधारियों के साथ हुआ। ये तो सब कुछ लुटाकर घर बैठ गए और कॉलोनाईजर ने तो अपने परिवार की शादी में करोड़ों रूपए खर्च किए, लाखों रूपये की दारू पिलाई, शानदार फ्लेट में रह रहे हैं, लाखों की कारों में घूम रहे हैं।
अब डायरी वालों को कॉलोनाईजर के दर्शन भी नहीं हो रहे हैं। अभी भी, इंदौरवासी जागरूक हो जाएं जिन्होंने भी धोखेबाज कॉलोनाईजरों से प्लॉट खरीदे हैं वो होश में आ जाएं। अपने प्लॉट की रजिस्ट्री करा लें, उस प्लॉट पर तार फेंसिंग करके अपने नाम का बोर्ड लगा दें, महीने में एक बार जाकर अपने प्लॉट के दर्शन कर लें। ताकि ये पता चल जाए कि कहीं प्लॉट पर कब्जा तो नहीं हो गया है। कॉलोनाईजर ने उनका प्लॉट बेचकर दूसरे के नाम की रजिस्ट्री तो नहीं कर दी।