इंदौर: शराब ठेकेदार हेमंत जायसवाल की आत्महत्या के मामले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। जायसवाल के सुसाइड नोट में 5 लाख रुपए की मासिक रिश्वत मांगने का आरोप लगने के बाद सहायक जिला आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने निलंबन का आदेश जारी किया।
यह मामला 21 जून का है, जब इंदौर के शराब ठेकेदार हेमंत जायसवाल ने आत्महत्या कर ली थी। उनके पास से एक सुसाइड नोट मिला था, जिसमें उन्होंने सहायक आबकारी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित पर गंभीर आरोप लगाए थे। नोट के अनुसार, दीक्षित उन पर हर महीने 5 लाख रुपए की रिश्वत देने का दबाव बना रही थीं, जिससे परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया।
परिवार का आरोप और ठेकेदारों का प्रदर्शन
हेमंत जायसवाल के बेटे दीपक जायसवाल ने आरोप लगाया था कि मंदाकिनी दीक्षित उनके पिता को लगातार प्रताड़ित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि अधिकारी दुकान पर आकर धमकी देती थीं और रिश्वत की मांग करती थीं। इस घटना के बाद जायसवाल के परिवार और शराब ठेकेदार एसोसिएशन ने मोती तबेला स्थित आबकारी कार्यालय के बाहर जमकर प्रदर्शन किया था।
प्रदर्शनकारियों की मांग थी कि आरोपी अधिकारी मंदाकिनी दीक्षित के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने (आईपीसी की धारा 306) के तहत एफआईआर दर्ज की जाए और उन्हें तत्काल पद से हटाया जाए। हंगामे की सूचना पर पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौके पर पहुंचे थे।
प्रशासन की कार्रवाई और जांच के आदेश
मामले की गंभीरता और बढ़ते दबाव को देखते हुए आबकारी आयुक्त अभिजीत अग्रवाल ने निलंबन का आदेश जारी किया। आदेश के अनुसार, मंदाकिनी दीक्षित को निलंबित कर ग्वालियर स्थित संभागीय उड़नदस्ता कार्यालय में अटैच किया गया है। निलंबन अवधि के दौरान उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
इस मामले की जानकारी आबकारी मंत्री जगदीश देवड़ा को भी दी गई थी, जिसके बाद उच्च स्तर से कार्रवाई के निर्देश दिए गए। वहीं, इंदौर के पुलिस कमिश्नर राकेश गुप्ता ने भी मामले की जांच के आदेश दिए हैं। पुलिस सुसाइड नोट और परिवार के बयानों के आधार पर मामले की गहनता से जांच कर रही है। फिलहाल, परिवार और ठेकेदार संघ प्रशासन की इस कार्रवाई से संतुष्ट हैं, लेकिन उनकी एफआईआर दर्ज करने की मांग अभी भी बनी हुई है।