Indore Metro Rail: इंदौर मेट्रो परियोजना के तहत एयरपोर्ट से रीगल तिराहे तक 8.626 किलोमीटर लंबे भूमिगत खंड के निर्माण का कार्य हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड (HCC) और टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड के संयुक्त उपक्रम को सौंपा गया है। इस खंड में इंदौर रेलवे स्टेशन, राजवाड़ा, छोटा गणपति, बड़ा गणपति, रामचंद्र नगर, बीएसएफ/कलानी नगर और एयरपोर्ट सहित सात भूमिगत स्टेशन शामिल होंगे। यह इंदौर मेट्रो फेज़ 1 परियोजना का एकमात्र भूमिगत खंड है, जिसकी कुल लंबाई 33.53 किलोमीटर है। इस अनुबंध की अनुमानित लागत 2,550 करोड़ रुपये है और इसे चार वर्षों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है।
इस भूमिगत खंड के पूर्वी छोर पर, यह पैकेज IN-04 से जुड़ेगा, जिसका निर्माण वर्तमान में RVNL-URCC संयुक्त उपक्रम द्वारा किया जा रहा है। पश्चिमी छोर पर, यह पैकेज IN-03 से जुड़ेगा, जिसका निर्माण URCC द्वारा RVNL के उप-ठेकेदार के रूप में किया जा रहा है।
इस परियोजना के पूरा होने से इंदौर शहर में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार होगा, जिससे यात्रियों को सुगम और तेज़ यात्रा की सुविधा मिलेगी।
इंदौर मेट्रो परियोजना के एयरपोर्ट से रीगल तिराहे तक के 8.9 किलोमीटर लंबे भूमिगत खंड के निर्माण के लिए टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी ने सबसे कम वित्तीय बोली लगाई, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें यह अनुबंध प्राप्त हुआ। इस खंड में अप और डाउन लाइन की दो भूमिगत सुरंगें और सात भूमिगत स्टेशन शामिल होंगे। इस परियोजना की कुल लागत 2,190.91 करोड़ रुपये निर्धारित की गई है। अनुबंध की निविदा प्रक्रिया में देश की चार प्रमुख कंपनियों ने भाग लिया, जिनमें से टाटा कंस्ट्रक्शन कंपनी की बोली सबसे कम थी।
इस भूमिगत खंड के निर्माण से इंदौर शहर की सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार होगा, जिससे यात्रियों को सुगम और तेज़ यात्रा की सुविधा मिलेगी।
इंदौर मेट्रो रेल परियोजना के भूमिगत खंड के निर्माण के लिए एशियाई विकास बैंक (ADB) ₹1,600 करोड़ का ऋण प्रदान कर रहा है। इस वित्तीय सहायता के तहत, ADB सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी का वित्तीय मूल्यांकन करेगा और अनापत्ति प्रमाणपत्र (NOC) जारी करेगा। इसके पश्चात ही संबंधित कंपनी को भूमिगत मेट्रो निर्माण का कार्यादेश (वर्क ऑर्डर) प्रदान किया जाएगा।
इस परियोजना में कुल 7.65 किलोमीटर लंबी भूमिगत मेट्रो लाइन और सात स्टेशन शामिल हैं, जो इंदौर के घनी आबादी वाले क्षेत्रों से होकर गुजरेंगे और हवाई अड्डे से जुड़ेंगे। इसके अतिरिक्त, परियोजना के अंतर्गत मौजूदा बस और फीडर सेवाओं के साथ मेट्रो प्रणाली के एकीकरण के लिए मल्टीमॉडल सुविधाओं का विकास भी किया जाएगा, जिससे शैक्षणिक संस्थानों और बाजारों तक पहुंच में सुधार होगा।
इस परियोजना के सफल क्रियान्वयन से इंदौर शहर में सार्वजनिक परिवहन प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार होगा, जिससे यात्रियों को सुगम, सुरक्षित और तेज़ यात्रा की सुविधा मिलेगी।
इंदौर मेट्रो के भूमिगत सेक्शन की निर्माण प्रक्रिया में लगभग तीन महीने लगेंगे, क्योंकि एशियन डेवलपमेंट बैंक (ADB) सबसे कम बोली लगाने वाली कंपनी का वित्तीय मूल्यांकन करेगा और फिर NOC (अनापत्ति प्रमाणपत्र) जारी करेगा। इसके बाद ही वर्क ऑर्डर दिया जाएगा और निर्माण कार्य शुरू होगा।
इस अंडरग्राउंड मेट्रो प्रोजेक्ट की वित्तीय संरचना इस प्रकार है:
• 60% फंडिंग: एडीबी के ₹1,600 करोड़ के लोन से
• 20% फंडिंग: केंद्र सरकार से
• 20% फंडिंग: राज्य सरकार से
इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से इंदौर शहर में सार्वजनिक परिवहन की सुविधा में बड़ा सुधार होगा और लोगों को ट्रैफिक से राहत मिलेगी।