इंदौर के महत्वाकांक्षी मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। शहर की घनी आबादी और व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बचाने के लिए मेट्रो के रूट में महत्वपूर्ण बदलाव किया गया है। अब खजराना चौराहे से रेलवे स्टेशन तक का 3.3 किलोमीटर का हिस्सा एलिवेटेड नहीं, बल्कि अंडरग्राउंड होगा। केंद्र सरकार ने इस संशोधित प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
केंद्रीय आवास एवं शहरी कार्य मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को भोपाल में इसकी औपचारिक घोषणा की। इस फैसले के पीछे मध्य प्रदेश सरकार के नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की अहम भूमिका मानी जा रही है, जिन्होंने जनता के विरोध को देखते हुए रूट परिवर्तन की वकालत की थी।
जनता की मांग और मंत्री का हस्तक्षेप
दरअसल, मेट्रो के मूल प्लान में शहर के बाहरी हिस्सों में तो कोई समस्या नहीं थी, लेकिन घनी आबादी वाले इलाकों में प्रवेश करते ही विवाद शुरू हो गया था। खजराना से रेलवे स्टेशन के बीच प्रस्तावित एलिवेटेड कॉरिडोर के कारण सैकड़ों मकानों और दुकानों पर संकट मंडरा रहा था। स्थानीय रहवासी और व्यापारी लगातार इसका विरोध कर रहे थे।
इस समस्या को सुलझाने के लिए मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने अधिकारियों के साथ कई दौर की बैठकें कीं। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिया था कि घनी बसाहट वाले क्षेत्रों में मेट्रो अंडरग्राउंड ही होनी चाहिए। उनका कहना था, ‘मेट्रो मींस अंडरग्राउंड। हमें मेट्रो अंडरग्राउंड चाहिए और खजराना से ही चाहिए… आप इसे अंडरलाइन कर लीजिए।’
प्रोजेक्ट में क्या-क्या बदलेगा?
संशोधित प्लान के लागू होने से मेट्रो प्रोजेक्ट के स्वरूप में बड़ा बदलाव आएगा:
- अंडरग्राउंड रूट की लंबाई बढ़ी: पहले अंडरग्राउंड हिस्सा 9 किलोमीटर प्रस्तावित था, जो अब बढ़कर 12 किलोमीटर हो जाएगा।
- नया अंडरग्राउंड स्ट्रेच: खजराना से एयरपोर्ट तक का पूरा मेट्रो ट्रैक अब भूमिगत होगा।
- स्टेशन: 8.7 किलोमीटर लंबे ट्रैक में करीब 7 अंडरग्राउंड स्टेशन बनाए जाएंगे।
- छोटा गणपति स्टेशन रद्द: इससे पहले छोटा गणपति मेट्रो स्टेशन को लेकर भी विरोध हुआ था, जिसे मंत्री के हस्तक्षेप के बाद रद्द कर दिया गया था।
लागत में 900 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी
मेट्रो को जमीन के नीचे ले जाने से प्रोजेक्ट की लागत में भारी इजाफा होगा। अनुमान है कि एलिवेटेड कॉरिडोर के बजाय अंडरग्राउंड टनल बनाने से खर्च करीब 800 से 900 करोड़ रुपये बढ़ जाएगा। राहत की बात यह है कि इस अतिरिक्त वित्तीय बोझ को राज्य सरकार वहन करेगी। इससे शहर की सुंदरता भी बनी रहेगी और लोगों के आशियाने भी सुरक्षित रहेंगे।
पार्किंग व्यवस्था पर भी दिया था जोर
कैलाश विजयवर्गीय ने मेट्रो स्टेशनों के पास पार्किंग की कमी को लेकर भी नाराजगी जताई थी। उन्होंने अधिकारियों और वास्तुविदों की आलोचना करते हुए कहा था कि स्टेशनों के पास पार्किंग की योजना न बनाना एक बड़ी भूल है। उन्होंने इंदौर विकास प्राधिकरण (आईडीए) को निर्देश दिए थे कि यदि उनके पास जमीन उपलब्ध है, तो वे नाममात्र की कीमत पर उसे मेट्रो स्टेशनों की पार्किंग के लिए उपलब्ध कराएं।
इस फैसले से इंदौर के उन हजारों परिवारों और व्यापारियों ने राहत की सांस ली है, जो मेट्रो के एलिवेटेड रूट की जद में आ रहे थे। अब शहर में मेट्रो न केवल सुगम यातायात का साधन बनेगी, बल्कि शहर के मौजूदा ढांचे को नुकसान पहुंचाए बिना संचालित होगी।