स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर ( Indore ) नगर निगम सीमा में शामिल हुए 29 गांवों में अभी भी कई तरह की समस्याएं हैं। इन गांवों को शहरी सीमा में शामिल हुए एक दशक हो गया है लेकिन आज भी इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। 2014 को इंदौर नगर पालिका निगम में शहर के लगे 29 गांवों को शहरी सीमा में शामिल किया गया था। इन गांवों में सडक़, बिजली, नर्मदा की लाइन, ड्रेनेज जैसी सुविधाएं मुहैया नहीं कराई जा सकी हैं.।
Indore नगर निगम ने 900 करोड़ का प्रोजेक्ट सरकार को भेजा
इंदौर ( Indore ) निगम सीमा में आए ये गांव 10 वार्डों में तब्दील हो गए है। अब इन गांवों को विकसित करने के लिए मोहन सरकार ने पूरी रिपोर्ट भोपाल बुलवाई है। नगर निगम ने दो दिन पहले लगभग 900 करोड़ रुपए का पूरा प्रोजेक्ट बनाकर सरकार के पास पहुंचा दिया है। राशि स्वीकृत होते ही गांवों को विकसित करने का कार्य प्रांरभ हो जाएगा। इससे पहले भोपाल से अधिकारियों का एक दल इंदौर आएंगा और वह 29 गांवों का दौरा कर इसकी रिपोर्ट तैयार करेगा। उसके बाद स्वीकृत राशि जारी की जाएगी। जानकारी के मुताबिक लगभग 10 साल पहले यानी 2014 में शहर से लगे 29 गांवों को नगर निगम सीमा में शामिल किया गया था। तब से लेकर आज तक इन गांवों में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। सडक़, पेयजल, ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट, स्टॉर्म वाटर और सीवर जैसे कार्य नहीं हुए है। इसी प्रकार यह भी जानकारी सामने ्आई है की इन गांवों में कृषि भूमि पर कई कालोनियां बन गई हैं और बड़ी इमारतें भी खड़ी हो गई हैं। गांवों में रहने वाले लोगों को मकान बेचने या ऋण लेने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि उनके पास रजिस्ट्री, पट्टा या अन्य दस्तावेज नहीं हैं। इन गांवों में रहने वाले लोग मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत भी कर चुके है, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।
प्रोजेक्ट भोपाल भेजा
पिछले दिनों जब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव शहर के विकास कार्यों की समीक्षा करने आए थे, तब उनके सामने भी 29 गांवों में लोगों को मूलभूत सुविधा न मिलने का मुद्दा उठा था। इस पर उन्होंने कार्ययोजना बनाकर भोपाल भेजने का कहा था। इसके बाद निगम ने 29 गांव के वार्डों का सर्वे कर विकास कार्य करने का प्रोजेक्ट बनाया और फिर इस प्रोजेक्ट को कलेक्टर के माध्यम से भोपाल भेज दिया है। तकरीबन 850 से 900 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट बनाया गया है। इसके मंजूर होते ही और राज्य सरकार से पैसा मिलते ही 29 गांव के वार्डों की समस्या दूर होगी, क्योंकि 850 करोड़ रुपए से सडक़, पेयजल, ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट और स्टॉर्म वाटर के काम होंगे।
4 करोड़ रुपए में रोशन होंगे 29 गांव
महापौर भार्गव का कहना है कि 850 करोड़ रुपए का यह प्रोजेक्ट है, जिसमें से तकरीबन 300 करोड़ रुपए ड्रेनेज की पाइप लाइन डालने पर खर्च होंगे। 29 गांव के वार्डों की कई कॉलोनी-मोहल्लों में ड्रेनेज की लाइन नहीं है। बाकी के पैसे सडक़, पेयजल, स्ट्रीट लाइट और स्टार्म वाटर लाइन डालने का काम होगा। वैसे, इस प्रोजेक्ट के मंजूर होने के पहले निगम अपने स्तर पर 4 करोड़ रुपए खर्च कर 29 गांव के वार्डों में स्ट्रीट लाइट लगाकर रोशनी करेगा। स्ट्रीट लाइट लगाने को लेकर टेंडर बुलाए जा रहे हैं। प्रयास है कि पिछले 10 वर्ष से मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहे लोगों को सारी सुविधा मिल सके।
पहले होगा सर्वे
जानकारी के मुताबिक 29 गांवों को विकसित करने के लिए सरकार पूरी तरह से तैयार है, लेकिन इन गांवों में क्या क्या कार्य किए जाने है इसको लेकर नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट सरकार को भेज दी है। बताया गया है की भोपाल से अधिकारियों की एक टीम जल्द ही इंदौर आने वाली है जो इन गांवों का सर्वे कर सरकार को रिपोर्ट पेश करेंगी। इसके बाद गांवों के विकास के लिए इंदौर नगर निगम को राशि जारी की जाएंगी। 29 गांवों में आने वाले वार्ड-15, 16, 18, 19, 35, 36, 75, 76, 77 और 79 की कॉलोनी के रहवासी पिछले 14 वर्ष से पेयजल, सडक़, ड्रेनेज, स्ट्रीट लाइट और बरसात के पानी भरने आदि समस्याओं से जूझ रहे हैं। साथ ही लगातार शिकायत निगम में करते आ रहे हैं, लेकिन यह काम नहीं हुए। अगर हुए भी तो बहुत कम। मेयर इन-कौसिंल (एमआइसी) से लेकर निगम परिषद की बैठक तक में 29 गांवों के लोगों की समस्याओं को लेकर बात होती रही, पर काम नहीं हुआ। पिछले दिनों सीएम के समक्ष महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने 29 गांवों में विकास कार्य करने के लिए विशेष पैकेज देने की बात रखी थी।
वर्तमान में इन गांवों की स्थिति…
- गांवों में कृषि भूमि पर कई कालोनियां बन गई हैं और बड़ी इमारतें भी खड़ी हो गई हैं.
- गांवों में रहने वाले लोगों को मकान बेचने या ऋण लेने में दिक्कत हो रही है, क्योंकि उनके पास रजिस्ट्री, पट्टा या अन्य दस्तावेज नहीं हैं.
- इन गांवों में रहने वाले लोगों ने मुख्यमंत्री हेल्पलाइन पर शिकायत की थी, लेकिन उन्हें सिफऱ् आश्वासन मिला था.
- इन समस्याओं को दूर करने के लिए, मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं कि इन गांवों में रहने वाले भूमिस्वामियों को धारणाधिकार के तहत पट्टा दिया जाए। इसके लिए, 29 सितंबर, 2024 को जूनी इंदौर, मल्हारगंज, राऊ, बिचौली हप्सी, और कनाडिय़ा तहसील कार्यालयों में आवेदन प्राप्त करने के लिए शिविर भी आयोजित किए गए थे।