Indore Municipal Corporation ड्रेनेज घोटाले का ठेकेदार राहुल बडेरा और उसकी पत्नी गिरफ्तार

स्वतंत्र समय, इंदौर

इंदौर नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले में लिप्त और मुख्य ठेकेदार राहुल बडेरा और उनकी पत्नी रेणु बडेरा को पुलिस ने विजय नगर क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया है। मामले में पहले गिरफ्तार किए गए आरोपियों से पूछताछ में कई नई नई जानकारियां सामने आने लगी है। पूरे मामले की पर्दाफाश करने के लिए पुलिस की टीम तेजी से आगे बढ़ रही है। आरोपियों से बीती रात काफी देर तक पूछताछ की गई। आरोपियों ने खुलासा करते हुए कहा कि फर्जी फाइल हम नहीं बनाते थे, बल्कि यह फाइल निगम में ही बनकर तैयार होती थी। फाइल लगाने और पैसा आने में निगम का पूरा सिस्टम शामिल था । इसी प्रकार घोटाले में शामिल पांच फॉर्म की 2015 से लेकर अब तक के सारे कामकाज की फाइलें जप्त हो गई है । नगर निगम के द्वारा गठित की गई जांच समिति अगले दो दिन में अपनी रिपोर्ट सौप देगी।

Indore Municipal Corporation के आरोपियों के पकड़े जाने पर गलतफहमी

नगर निगम ( Indore Municipal Corporation ) के तहत ड्रेनेज विभाग में हुए करोड़ों के फर्जी बिल घोटाले में काफी मशक्कत के बाद डीसीपी पंकज पांडे और एमजी रोड टीआई विजय सिसोदिया की टीम को रविवार की रात कुछ कामयाबी हाथ लगी। इस घोटाले के सूत्रधार इनामी फरार आरोपी मोहम्मद साजिद और मोहम्मद जाकिर को गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि सूत्रों का कहना है कि इन दोनों आरोपी भाइयों ने खुद एमजी रोड थाने में सरेंडर किया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार रात में कड़ी पूछताछ में दोनों आरोपियों से महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई है। दोनों ने अपनी फर्म के नाम पर फर्जी बिल लगाने की बात स्वीकार की है, वहीं मामले में निगम के अफसरों व कर्मचारियों के शामिल होने की बात भी पुलिस को बताई है। मामला सामने आने के बाद दोनों आरोपी खंडवा भाग गए थे। फर्जी बिल कैसे तैयार करवाए गए और यह कहां-कहां से गुजरकर ऑडिट विभाग से होते हुए लेखा विभाग तक कैसे पहुंचे… इस संबंध में आरोपियों से पूछताछ की जा रही है।

इन फर्म के कारनामों का पहला मामला 28 करोड़ रुपए का था

बताया गया है की इन आरोपियों की फर्म नींव कंस्ट्रक्शन एवं किंग कंस्ट्रक्शन को इस घोटाले में शामिल पाया गया है । पांच फर्म के द्वारा अलग-अलग कामों की फर्जी फाइल बनाकर नगर निगम में लगाकर इन फाइल का भुगतान प्राप्त करने का खेल किया जा रहा था । इन फर्म के कारनामों का पहला मामला 28 करोड रुपए का पकड़ा गया, जब पुलिस के द्वारा मुकदमा दर्ज किया गया। इसके बाद में फिर जो मामले पकड़े गए उसमें तीन और मुकदमे भी दर्ज किया जा चुके हैं ।

फाइल बनाने का काम तो नगर निगम में ही होता था

डीसीपी पंकज पांडे ने बताया कि इन आरोपियों को पकड़े जाने के बाद से ही इनसे पूछताछ शुरू कर दी गई है । इस पूछताछ में इन आरोपियों के द्वारा बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा यह किया गया है कि फर्जी फाइल बनाने का काम हम नहीं करते थे । यह फाइल बनाने का काम तो नगर निगम में ही होता था । इस काम को निगम के अधिकारियों की देखरेख में कर्मचारियों के द्वारा किया जाता था । जब फाइल बन जाती थी तो उसे लगाने का काम हम करते थे । ऐसी फाइल लगने के बाद जब भुगतान आ जाता था तो फिर पैसा बंटता था ।

इस तथ्य को निगम में क्रॉस चेक किए जाने की जरूरत है

पांडे ने कहा कि अभी तो आरोपियों के द्वारा यह बात कही गई है अभी इस तथ्य को निगम में क्रॉस चेक किए जाने की जरूरत है । वैसे भी कई बार आरोपी गिरफ्तार होने के बाद में इस तरह की कुछ न कुछ बातें कह देते हैं और बाद में उनसे पलट जाते हैं । इस बात को ध्यान में रखते हुए हमारे द्वारा इन्वेस्टिगेशन के दौरान इन सारी चीजों पर बहुत ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है ।

निगम के दस्तावेज बरामद

इन आरोपियों के घर पर नगर निगम के अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस के द्वारा जब तलाशी का काम किया गया। तो वहां से नगर निगम के दस्तावेज बड़ी संख्या में बरामद हुए हैं । इसके साथ ही एक कंप्यूटर, पेन ड्राइव और हार्ड डिस्क भी मिली है ।अभी इन सभी की जांच करने का काम शेष है ।

फरार आरोपियों पर शिकंजा कसा

इसके साथ ही पुलिस के द्वारा फरार चल रहे आरोपियों को पकडऩे के लिए शिकंजा कस दिया गया है । इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी पर इनाम की घोषणा पहले ही हो चुकी है । इस मामले में अब बचे हुए तीन आरोपियों को पकडऩे के लिए पुलिस के द्वारा योजना तैयार की जा रही है।

घोटालेबाज 5 फर्म की 2015 से अब तक के काम की सारी फाइलें जप्त

इंदौर नगर निगम के करोड़ों रुपए के घोटाले में शामिल पांच फॉर्म की 2015 से लेकर अब तक के सारे कामकाज की फाइलें जप्त हो गई है । नगर निगम के द्वारा गठित की गई जांच समिति अगले दो दिन में अपनी रिपोर्ट सौप देगी ।निगम आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा बनाई गई जांच समिति के अध्यक्ष अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन ने बताया कि 28 करोड रुपए की गड़बड़ी करने की कोशिश में जो पांच फर्म सामने आई उनके पुराने कार्यों की जांच शुरू कर दी गई है । इन फर्मो के नाम पर 2015 से लेकर अब तक जितना भुगतान जारी हुआ वह सारी जानकारी जुटा ली गई है । इसके साथ ही साथ इस अवधि में इन फर्मो की ओर से पेमेंट के लिए जो भी फाइल लगाई गई वह सारी फाइल जप्त कर ली गई है
इन सारी फाइल को जांच की परिधि में लिया गया है । इसमें जांच करके अब यह देखा जाएगा कि इनमें से कौन सी फाइल बिना काम किये फर्जी रूप से तैयार कर लगाई गई और कौन सी फाइल काम के बाद लगाई गई है । इन पांच फर्मो की करीब 190 फाइल जप्त की गई है । इन सभी फाइल के परीक्षण का कार्य शुरू हो गया है । इस कार्य को तेजी के साथ किया जा रहा है । उन्होंने बताया कि उनकी जांच कमेटी के द्वारा अगले 2 से 3 दिन के अंदर अपनी रिपोर्ट निगम आयुक्त को सौंप दी जाएगी । इसके बाद फिर आगे की कार्रवाई शुरू होगी ।