इंदौर नगर निगम ने देवास विधायक गायत्री राजे पवार के तुकोजीराव ट्रस्ट को थमाया नोटिस, पलासिया की करोड़ों की संपत्ति पर कर विवाद

शहर के पलासिया क्षेत्र में स्थित एक बहुमूल्य भूमि को लेकर इंदौर नगर निगम और श्रीमंत महाराजा तुकोजीराव पंवार धार्मिक एवं चैरिटेबल ट्रस्ट के बीच विवाद गहराता जा रहा है। निगम ने इस संपत्ति पर बकाया कर को लेकर ट्रस्ट को नोटिस जारी किया है। यह ट्रस्ट देवास के स्वर्गीय तुकोजीराव पंवार के नाम पर बना है और वर्तमान में देवास विधायक गायत्री राजे पंवार इसकी संचालिका हैं।

पलासिया का विवादित प्लॉट और करोड़ों की संपत्ति

जानकारी के अनुसार, यह प्लॉट पलासिया के 21-22 नंबर स्थान पर स्थित है। ट्रस्ट के नाम दर्ज यह भूखंड लगभग 35,306 वर्गफीट क्षेत्रफल में फैला हुआ है। विशेषज्ञों के मुताबिक, इस जमीन की वर्तमान बाज़ार कीमत करीब 100 करोड़ रुपए आँकी गई है। इंदौर नगर निगम ने दावा किया है कि इस संपत्ति पर वर्ष 1996 से लेकर 2022-23 तक का संपत्ति-कर बकाया है, जिसे लेकर अब नोटिस जारी किया गया है।

नक्शा रोकने से शुरू हुआ विवाद

विवाद की शुरुआत तब हुई जब ट्रस्ट ने इस भूमि पर भवन अनुज्ञा (बिल्डिंग परमिशन) के लिए नक्शा अनुमोदन हेतु नगर निगम में आवेदन किया। निगम की ऑनलाइन प्रणाली के अनुसार, जिस संपत्ति पर कोई कर बकाया होता है, उसका नक्शा मंजूर नहीं किया जा सकता। इसी कारण निगम ने ट्रस्ट का नक्शा रोक दिया।
इसके बाद ट्रस्ट ने आंशिक रूप से विवाद को सुलझाने के लिए करीब 64 लाख रुपए की राशि जमा कराई, लेकिन साथ ही इस कर को विवादित करार देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी।

ट्रस्ट का पक्ष: “प्लॉट खाली है, कर नहीं बनता”

ट्रस्ट का कहना है कि पलासिया स्थित यह भूमि पूर्ण रूप से खाली है — यहाँ न कोई आवासीय, व्यावसायिक, या अन्य उपयोग किया गया है। इसलिए निगम द्वारा लगाया गया संपत्ति-कर अनुचित है। ट्रस्ट की दलील है कि केवल संपत्ति का स्वामित्व होना पर्याप्त नहीं है; जब तक भूमि का वास्तविक उपयोग नहीं किया जाता, तब तक संपत्ति-कर नहीं लगाया जाना चाहिए।

निगम की दलील: “संपत्ति है तो कर तो लगेगा”

वहीं दूसरी ओर, इंदौर नगर निगम का कहना है कि नगर निगम अधिनियम के अनुसार संपत्ति-कर किसी भी पंजीकृत संपत्ति पर लागू होता है, चाहे वह उपयोग में हो या नहीं। निगम के अनुसार, यह कर स्थायी संपत्ति कर की श्रेणी में आता है और इसे नियमों के तहत वसूला जाना आवश्यक है।

हाईकोर्ट का हस्तक्षेप और आदेश

इस मामले में ट्रस्ट द्वारा दायर की गई याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि संबंधित प्रशासनिक अधिकारी तीन माह के भीतर इस विवाद की सुनवाई कर अंतिम निर्णय लें। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि दोनों पक्षों को सुनने के बाद ही कर की वैधता पर फैसला किया जाए।

64 लाख रुपए का कर बना विवाद की जड़

नगर निगम ने इस खाली प्लॉट पर करीब 64 लाख रुपए का संपत्ति-कर निर्धारित किया है, जो इस पूरे विवाद का मूल कारण है। निगम के अधिकारियों का कहना है कि यदि कर जमा नहीं किया गया, तो भविष्य में वसूली कार्रवाई की जा सकती है। वहीं ट्रस्ट का पक्ष है कि अदालत के अंतिम निर्णय से पहले कोई भी कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए।

यह मामला अब कानूनी और प्रशासनिक दोनों स्तरों पर संवेदनशील बन चुका है। एक ओर नगर निगम अपने राजस्व अधिकारों को लेकर सख्त है, तो दूसरी ओर श्रीमंत तुकोजीराव पंवार ट्रस्ट इस कर को “अनुचित और तकनीकी रूप से गलत” मान रहा है। आने वाले महीनों में कोर्ट के फैसले से यह तय होगा कि इंदौर की इस बहुमूल्य भूमि पर कर वसूली होगी या ट्रस्ट को राहत मिलेगी।