स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर नगर निगम में घोटाला ( Indore Municipal Corporation Scam ) करने वाली पांच फर्मों को नगर निगम के ही दो विभाग बचाने का प्रयास कर रही है। जांच पड़ताल में यह खुलासा हुआ है की निगम के ही दो विभागों का कहना है कि हमारे यहां तो इन फर्मों ने अच्छा और बेहतर काम किया है। नगर निगम आयुक्त शिवम वर्मा के द्वारा गठित की गई जांच समिति के द्वारा इन सभी विभागों से उनके विभाग की फाइल के बारे में जानकारी मांगी गई थी। इन पांच फर्मों के द्वारा विभिन्न विभागों में काम किया गया है।
Indore Municipal Corporation Scam जांच समिति का दो विभाग नहीं दे रहे साथ
इंदौर नगर निगम में घोटाला ( Indore Municipal Corporation Scam ) की जांच समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ जैन ने जब सभी विभाग प्रमुखों से इन फाइलों के बारे में जानकारी देने के लिए कहा तो अलग-अलग विभाग के द्वारा जानकारी देने का काम कर दिया गया है। इसमें जनकार्य और उद्यान विभाग ऐसे विभाग हैं जिनके द्वारा यह कहा गया है कि इन फर्म ने हमारे विभाग में अच्छा और बेहतर कार्य किया है। इन फर्म के द्वारा जो बिल लगाकर हमारे विभाग का काम करना बताते हुए भुगतान प्राप्त किया गया है वह भुगतान भी सही है। जांच समिति के अध्यक्ष सिद्धार्थ जैन ने बताया कि इन विभागों में इन पांच फार्मो के द्वारा जो काम के बिल लगाए गए थे वह बिल अमूमन 12 और 15 लाख रुपए जैसी राशि के थे। विभाग के द्वारा इन कामों राशि के की पुष्टि कर दिए जाने के कारण अब इन्हें फर्जी नहीं माना जा सकता है।
ट्रेचिंग ग्राउंड से रिपोर्ट बिल फर्जी है
इन फर्मों के द्वारा ट्रेचिंग ग्राउंड में किए गए कामों के भी बिल लगाए गए थे। इस बिल को जब पुष्टि के लिए विभाग के पास भेजा गया तो ट्रेचिंग ग्राउंड से भी रिपोर्ट आ गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इन फर्म के द्वारा लगाए गए बिल फर्जी है। हमारे यहां पर इन फर्मों के द्वारा इस तरह का कोई काम नहीं किया गया है जिस तरह के काम के बिल इन फर्मों की ओर से लगाकर भुगतान प्राप्त किया गया है। ध्यान रहे की ट्रेचिंग राउंड से इन फार्मो के द्वारा 4 करोड रुपए से अधिक का काम करने का बिल लगाकर भुगतान लिया गया।
ड्रेनेज विभाग ने नकार दिया
ड्रेनेज विभाग के जो बिल इन फॉर्म के द्वारा लगाए गए थे उनमें से 60त्न बिलों को ड्रेनेज विभाग ने नकार दिया है। विभाग का कहना है कि हमारे द्वारा इन फार्मी को ना तो काम सौपा गया था और न हीं इन फार्मो के द्वारा जो बिल प्रस्तुत किया गया वह काम किया गया है। ऐसे में जहां सारे बिल फर्जी वार्ड के हैं। यह सारे बिल ऐसे हैं जिसमें से कोई भी बिल एक करोड रुपए से कम और 2 करोड रुपए से ज्यादा का नहीं है। इन सारे बिलों को फर्जी मान लिया गया है।