इंदौर के एमवाय अस्पताल में एक दर्दनाक मामला सामने आया है, जहां भर्ती मासूम बच्ची की मौत चूहों के काटने से हो गई। इस पूरे घटनाक्रम में अस्पताल प्रबंधन पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। ताजा खुलासे में पता चला कि अस्पताल प्रशासन ने मृत बच्ची को लावारिस मानते हुए अंतिम संस्कार की तैयारी कर ली थी। लेकिन ठीक समय पर जयस संगठन के कार्यकर्ता बच्ची के माता-पिता को लेकर वहां पहुंचे और इस हैरान कर देने वाली सच्चाई को उजागर कर दिया।
परिजनों के गंभीर आरोप
धार जिले के सरदारपुर निवासी देवराम और उनकी पत्नी मंजू ने एमवाय अस्पताल पर बड़ी लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि उनकी बच्ची बिल्कुल सामान्य थी, बस उसका जन्म के समय मल त्याग का मार्ग नहीं बना था। इसी कारण उसे उपचार के लिए एमवाय अस्पताल में भर्ती कराया गया। पिता का आरोप है कि डॉक्टरों ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि जरूरत पड़ने पर परिवार को फोन पर बुलाया जाएगा, लेकिन न तो किसी ने उन्हें बुलाया और न ही उनकी बच्ची की मौत की खबर दी गई। उनका कहना है कि अगर वे समय पर अस्पताल नहीं पहुंचते तो प्रबंधन बच्ची का अंतिम संस्कार बिना परिवार को बताए कर देता।
जयस संगठन ने लगाया प्रबंधन पर बड़ा आरोप
जयस (जय आदिवासी युवा शक्ति) कार्यकर्ताओं ने इस पूरे मामले में अस्पताल प्रबंधन को जिम्मेदार ठहराया है। उनका कहना है कि बच्ची की मौत के बाद भी अस्पताल ने परिजनों को सूचना नहीं दी, बल्कि पूरे मामले को दबाने की कोशिश की। कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह केवल लापरवाही नहीं बल्कि सीधा अपराध है। उनका आरोप है कि इस घटना से अस्पताल की कार्यप्रणाली और जिम्मेदार अधिकारियों की लापरवाही उजागर हो गई है। जयस नेताओं का साफ कहना है कि यह सिर्फ मुआवजे का मामला नहीं है, बल्कि दोषियों पर सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए।
परिवार का दर्द और आक्रोश
मृत बच्ची की मां मंजू और पिता देवराम का गुस्सा और दर्द पूरे अस्पताल परिसर में साफ दिखाई दिया। परिजनों ने कहा कि उनकी बच्ची का इलाज लापरवाही से किया गया और उसकी मौत की खबर तक छिपाई गई। जयस कार्यकर्ताओं और परिवार ने मिलकर आवाज उठाई कि अस्पताल प्रशासन और जिम्मेदार डॉक्टरों को बचाने की बजाय उन पर केस दर्ज होना चाहिए।
विपक्ष ने उठाई कार्रवाई की मांग
इस घटना पर राजनीति भी गरमा गई है। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने एमवाय अस्पताल के डीन और अधीक्षक पर तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा कि एमवाय अस्पताल में चूहों के काटने से दो मासूम बच्चों की जान चली गई और सरकार जांच एजेंसी पर ठीकरा फोड़कर असली गुनहगारों को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि पेस्ट कंट्रोल और उसकी निगरानी की जिम्मेदारी सीधे तौर पर कॉलेज प्रशासन और सरकार की थी, जिसे गंभीरता से नहीं निभाया गया।
“जवाबदेही से बचना चाहती है सरकार”
उमंग सिंघार ने अपने बयान में सरकार को घेरते हुए कहा कि भाजपा सरकार अस्पतालों में व्याप्त अव्यवस्था की जिम्मेदारी से भाग रही है। उनका स्पष्ट कहना है कि डीन और अधीक्षक को तत्काल पद से हटाकर उनके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार दूसरों पर कार्रवाई का दिखावा करके जनता की आंखों में धूल झोंक रही है, जबकि असली जिम्मेदार लोग बचाए जा रहे हैं।