इंदौर में हाल ही में एक शर्मनाक घटना घटी, जिसमें कुछ बदमाशों ने कालरा के घर में घुसकर उनके परिवार के सदस्यों के साथ न केवल मारपीट की, बल्कि अपमानजनक दुर्व्यवहार भी किया। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने इस घटना को अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया और कहा कि पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए FIR दर्ज की है और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर 9 आरोपियों की पहचान की है, जिनमें से 6 को गिरफ्तार किया जा चुका है।
इस घटना में एक नाबालिक के साथ भी दुर्व्यवहार हुआ, जिस कारण POCSO एक्ट के तहत भी मामला दर्ज किया गया है। मुख्यमंत्री ने पुलिस को कड़ी निर्देश दिए हैं कि इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई की जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि न्याय मिले।
क्या है पूरा मामला ?
दौर के वार्ड-65 के भाजपा पार्षद कमलेश कालरा के बेटे दीपेश पर अज्ञात हमलावरों ने उनके घर में घुसकर हमला कर दिया। इस घटना के बाद कमलेश कालरा ने आरोप लगाया कि यह हमला निगम के एमआईसी सदस्य जीतू यादव के उकसावे पर हुआ है। उनका कहना है कि एक निगम के मामले को लेकर जब उन्होंने जीतू यादव का नाम लिया था, तो विवाद शुरू हो गया और बाद में यह विवाद हिंसक रूप ले लिया।
कमलेश कालरा ने खुलासा किया कि जीतू यादव ने पहले उन्हें फोन पर धमकाया और फिर अपने समर्थकों के साथ उनके घर पर हमला करवा दिया। कालरा के मुताबिक, करीब 50 लोग उनके घर में घुस आए और हमला किया। हमले के बाद भाजपा कार्यकर्ता सड़कों पर उतर आए और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की। इसके बाद पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम गठित कर दी है और जांच शुरू कर दी है।
वायरल ऑडियो से बढ़ा विवाद
यह मामला और भी गहरा तब हो गया जब एक ऑडियो क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें भाजपा पार्षद कमलेश कालरा निगम के कर्मचारी जतिन से अभद्र भाषा में बात करते हुए सुनाई दे रहे हैं। इस ऑडियो ने भाजपा में सियासी घमासान मचा दिया और पार्टी में चल रहे अंतर्विरोधों को उजागर कर दिया।
यह पूरा विवाद केवल एक निगम के कार्यों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाजपा के भीतर की राजनीति का भी हिस्सा बन चुका है। विधानसभा 4 के वार्ड-65 के पार्षद कमलेश कालरा और विधानसभा 2 के वार्ड-24 के पार्षद और एमआईसी सदस्य जीतू यादव के बीच बढ़ते मतभेद अब सड़कों पर दिखाई देने लगे हैं। दोनों नेताओं के बीच सत्ता संघर्ष और विभिन्न मुद्दों पर टकराव के कारण यह स्थिति और भी गंभीर हो गई है।
फिलहाल, जीतू यादव या भाजपा के अन्य नेताओं की ओर से इस मामले में कोई सार्वजनिक बयान नहीं आया है। हालांकि, यह बात स्पष्ट हो गई है कि यह विवाद भाजपा के भीतर की सत्ता की जंग का परिणाम है। हमले के बाद भाजपा कार्यकर्ता इस घटना के खिलाफ सड़कों पर उतर आए और पुलिस से कड़ी कार्रवाई की मांग की। पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विशेष टीम का गठन किया और जांच प्रक्रिया शुरू की।