इंदौर: मध्य प्रदेश शासन की महत्वाकांक्षी संपदा 2.0 एप योजना इंदौर में उस वक्त सवालों के घेरे में आ गई, जब एक गंभीर रूप से बीमार महिला को रजिस्ट्री के लिए एंबुलेंस से दफ्तर लाना पड़ा। यह घटना सरकार के उन दावों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है, जिसमें वरिष्ठ नागरिकों और अस्पताल में भर्ती मरीजों को घर बैठे रजिस्ट्री की सुविधा देने की बात कही गई है।
मामला इंदौर के ढक्कन वाला कुआं स्थित रजिस्ट्रार ऑफिस का है। यहां एक परिवार अपनी गंभीर रूप से बीमार महिला सदस्य को लेकर एंबुलेंस से पहुंचा। परिजनों के अनुसार, उन्होंने संपदा 2.0 एप के माध्यम से घर पर रजिस्ट्री करवाने के लिए कई बार प्रयास किया था, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली।
क्या है संपदा 2.0 एप?
दरअसल, शासन ने राजस्व बढ़ाने और नागरिकों, विशेषकर बुजुर्गों और मरीजों को सुविधा देने के उद्देश्य से संपदा 2.0 एप लॉन्च किया था। इस एप का एक प्रमुख प्रावधान यह है कि जो लोग गंभीर रूप से बीमार हैं या चलने-फिरने में असमर्थ हैं, उनके लिए रजिस्ट्री की प्रक्रिया घर पर ही पूरी की जा सकती है। इसके लिए संबंधित अधिकारी आवेदक के घर जाकर प्रक्रिया पूरी करते हैं।
सुविधा सिर्फ वीआईपी के लिए?
पीड़ित परिवार ने आरोप लगाया कि कई चक्कर काटने और अधिकारियों से अनुरोध करने के बावजूद उन्हें यह सुविधा नहीं दी गई। थक-हारकर उन्हें मरीज को एंबुलेंस में लेकर सीधे रजिस्ट्रार ऑफिस आना पड़ा, ताकि रजिस्ट्री का काम पूरा हो सके। इस घटना ने एक बड़ी बहस छेड़ दी है कि क्या यह सुविधा केवल वीआईपी, नेताओं और प्रभावशाली अधिकारियों के लिए ही उपलब्ध है?
इस मामले के बाद यह मांग उठ रही है कि वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जांच करनी चाहिए। जांच में यह पता लगाया जाना चाहिए कि पिछले कुछ समय में संपदा 2.0 एप के जरिए घर बैठे कितनी रजिस्ट्रियां की गईं और उनमें से कितने लाभार्थी आम नागरिक थे और कितने वीआईपी। इस घटना से यह स्पष्ट होता है कि योजनाओं का लाभ जरूरतमंदों तक पहुंचाने में जमीनी स्तर पर गंभीर खामियां हैं।