इंदौर पुलिस का इंटेलिजेंस फेल- 14 दिन इंदौर में थी सोनम रघुवंशी- नहीं लगी किसी को भनक

राजा हत्याकांड में एक बड़ा खुलासा हुआ है। जिसमें सोनम रघुवंशी ने शिलांग से आकर यहां पर स्टे किया था। सोनम, राजा की हत्या करके बाद सिलीगुड़ी के रास्ते इंदौर पहुंची थी। वहीं दूसरी ओर जहां पुलिस शिलांग में तलाश कर रही थी वहीं सोनम इंदौर पुलिस की आंखों में धूल झोंक कर इंदौर में ही रह रही थी।
बुर्के में आई थी इंदौर
राजा की हत्या के बाद सोनम किसी फिल्मी किरदार की तरह भागती रही। बुर्का पहन कर गुवाहाटी से लोखरा ISBT, फिर बस से सिलीगुड़ी, पटना, आरा और लखनऊ होते हुए इंदौर पहुंची। पुलिस की नजरों से बचने की हर कोशिश की गई। जब राजा की लाश मिली, तब सोनम इंदौर में ही थी। राजा के अंतिम संस्कार तक सोनम ने इंदौर में ही रहकर सब कुछ पर नजर रखी। इसके बाद राज को शक हुआ कि पुलिस उसके करीब पहुंच चुकी है।
सोनम को किया इंदौर से रवाना
राज को जब शक हुआ कि पुलिस अब उन तक पहुंच सकती है तो उसने तुरंत सोनम को सिलीगुड़ी रवाना कर दिया। योजना थी कि सोनम को अपहरण से पीड़ित साबित किया जा सके। लेकिन  अपहरण की कहानी सुनाने से पहले ही पुलिस ने आरोपियो की गिरफ्तारी कर ली। जिसके बाद सोनम ने गाजीपुर पहुंचकर अपने परिवार को फोन किया और वही कहानी सुनाई
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पुलिस ने नही की थी इंदौर में सर्चिग

सबसे बड़ी बात यह है कि जब सोनम इंदौर आती है तो उसे कोई नहीं देख पाता है । वह देवास नाका क्षेत्र में लगभग 14 दिन रहती है। लेकिन  लसुडि़या पुलिस को इसकी जानकारी नहीं लग पाती है। इससे यह बात साबित होता है कि पुलिस की इंटेलीजेंसी कमजोर है । यह तो सिर्फ सोनम थी इसी तरह कोई  देश विरोधी व्यक्ति भी इंदौर के किस फ्लैट में ठहर सकता है।

एग्रिमेंट के बावजूद पुलिस ने नही किया वैरिफिकेश
देवास नाका क्षेत्र में विशाल चौहान ने किराए का फ्लैट लिया। फ्लैट किराए से लेने से पहले विशाल ने बकायदा एग्रिमेंट किया । तो किराएदार का पुलिस वैरिफिकेशन क्यों नहीं किया गया। यदि मकान मालिक ने किराएदार की जानकारी नही दी तो क्या अब पुलिस मकानमालिक पर कार्रवाई करेगी। यहां यह बात भी सामने आती है कि इन्होने जो फ्लैट किराए से लिया वह निर्माणाधीन था फिर इसमें फ्लैट किराए से क्यो दिया गया। यह एक बड़ा प्रश्न भी मकान मालिक पर लगता है।