राजेश राठौर
EXCLUSIVE
स्वतंत्र समय, इंदौर
इंदौर के प्रापर्टी ( Property ) के भाव में लगातार गिरावट आती गई। इसका कारण ये इंदौर में टोपीबाज कालोनाइजर इतने कलाकार हैं कि वे पुरानी कालोनी का डेवलपमेंट तो करते नहीं हैं और नई कालोनी फिर काट देते हैं। नाम बदलकर और कंपनी के डायरेक्टर बदलकर लोगों के साथ सरेआम खिलवाड़ करते हैं। ऐसे कालोनाइजरों को अभी तक जिला प्रशासन कुछ नहीं करता था लेकिन अब इन कालोनाइजरों को चिन्हित कर लिया है, जिनको नई कालोनी की परीमिशन नहीं दी जाएगी।
Property के रेट में लगातार गिरावट
भूमाफियाओं की कालोनी में दिवालिया कालोनाइजर, जिन्होंने किसान से लेकर प्लाट लेने वाले तक के पैसे खा लिए, उसके बाद कुछ समय के लिए गायब हो गए। फिर नए इलाके में, किसी नए नाम से, किसी नए पार्टनर के साथ कालोनी काटना शुरू कर देते हैं। इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने इस तरह की तमाम शिकायतें मिलने के कारण आदेश जारी कर दिया है कि जिन कालोनाइजरों ने पूर्व में कालोनी काटी है यदि उसमें डेवलपमेंट पूरा नहीं किया है तो फिर उनको नई कालोनी के डेवलपमेंट की परमिशन नहीं मिलेगी। अब ऐसे कालोनाइजर परेशान हो गए हैं, इन टोपीबाज कालोनाइजरों के कारण लोग इनके चंगुल में फंस गए। इसी कारण इंदौर के प्रापर्टी ( Property ) के भाव में लगातार गिरावट आती गई। यही कारण है कि इन टोपीबाज कालोनाइजरों को जब तक प्रशासन ठीक नहीं करेगा, तो ऐसे कालोनाइजर लगातार गड़बडिय़ां करते जाएंगे। इंदौर के कई भूमाफिया अलग-अलग नाम से उज्जैन और खंडवा रोड पर सबसे ज्यादा कालोनियां काट रहे हैं।
कई कालोनाइजर तो दिवालिया हो चुके हैं, लोगों के पैसे खा चुके हैं, जो प्लाट या पैसे मांगने आता है उसको डराने-धमकाने के लिए गुंडे-बदमाश अपने आफिस में बिठा लिए हैं। कई टटपुंजिये नेता इन गुंडे-बदमाश कालोनाइजरों के संरक्षणदाता बन गए हैं। यदि पुलिस इन कालोनाइजरों की हिस्ट्री निकालेगी तो कई अपराधी निकलेंगे। गुंडागर्दी, सट्टा और अवैध शराब का पैसा इंदौर की कालोनियों में लगता गया, इस कारण जरूरत से ज्यादा कालोनियां कटती गईं। अब जिन कालोनियों में उदाहरण के लिए 3000 रुपए स्क्वेयर फीट का भाव बताया जा रहा है, वहां पर 2 हजार रुपए स्क्वेयर फीट के हिसाब से भी कोई प्लाट खरीदने को तैयार नहीं है।
महंगी कीमत में खरीदे, कम में भी कोई नहीं ले रहा प्लाट
इंदौर की 80 फीसदी कालोनियों में 10-10 मकान भी अभी तक नहीं बने। कालोनाइजर ब्याज पर पैसा लेकर कालोनियां काट चुके हैं, अब प्रापर्टी में आई मंदी के कारण जिन लोगों ने कालोनाइजरों को ब्याज पर पैसा दिया था, वो सब एक-दूसरे को मारने पर उतारू हैं। जिन लोगों ने एक कालोनियों में 5-10 प्लाट ले लिए, वो जब बेचने जा रहे हैं तो कोई खरीददार नहीं मिल रहा है। ऐसे में इंदौर की प्रापर्टी की हालत दिन-ब- दिन और ‘बीमार मरीज’ की तरह बिगड़ती जा रही है।